एकता सेतु का निर्माण
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एकता सेतु का निर्माण

केसरी वीकली द्वारा आयोजित 'ब्रिंजिंग साउथ कॉन्क्लेव' में विभिन्न वक्ताओं ने देश की एकता और एकात्मता के पक्ष में अपनी बात रखी। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आह्वान किया कि हमें अपनी सनातनी संस्कृति के मूल्यों का प्रतीक बनकर रहना होगा। विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि भगवान राम ने उत्तर और दक्षिण को जोड़ा है

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Dec 22, 2023, 09:22 am IST
in विश्लेषण, केरल, धर्म-संस्कृति
केसरी वीकली द्वारा आयोजित 'ब्रिंजिंग साउथ कॉन्क्लेव' को संबोधित करते केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

केसरी वीकली द्वारा आयोजित 'ब्रिंजिंग साउथ कॉन्क्लेव' को संबोधित करते केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘‘सनातन मेरी सार्वभौमिक दृष्टि वाली विरासत है, आत्मा की अवधारणा से परिभाषित एक ज्ञान सभ्यता है, इसलिए मुझे इस पर गर्व है।’’

हिंदू एकमात्र ऐसी सभ्यता है जहां विविधता को प्रकृति के नियम के रूप में मान्यता दी गई है। हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों और सभ्यतागत विचारों का प्रतीक बनना चाहिए। नई दिल्ली में 12 दिसंबर को केसरी वीकली द्वारा आयोजित ब्रिजिंग साउथ कॉन्क्लेव में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘‘सनातन मेरी सार्वभौमिक दृष्टि वाली विरासत है, आत्मा की अवधारणा से परिभाषित एक ज्ञान सभ्यता है, इसलिए मुझे इस पर गर्व है।’’

देश में शुद्ध सनातन धर्म का स्थान है केरल। केरल कभी भी प्रत्यक्ष विदेशी शासन के अधीन नहीं रहा। चूंकि केरल में मातृसत्तात्मक व्यवस्था थी, इसलिए उन्होंने केरल की दयालु प्रकृति पर जोर दिया। उन्होंने दुनिया भर में चिकित्सा क्षेत्र में केरल की महिलाओं की उपस्थिति का भी उदाहरण दिया।

विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने इस बात पर जोर दिया कि ये आंतरिक ताकतें ही हैं, जो विभाजनकारी विचारों को जन्म दे रही हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे लोगों के प्रयासों से ही विभिन्न राज्यों की एकता संभव हो सकी। उन्होंने कहा कि जो लोग यह सोचते हैं कि इस्लामी आतंकवाद का प्रयोग करके भारत को विभाजित किया जा सकता है, वे मूर्खोें के स्वर्ग में रह रहे हैं। जब तक भाजपा है, देश की अखंडता सुरक्षित रहेगी। उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में पीएम नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता और स्वीकार्यता से अलगाववादी चिंतित हैं। कांग्रेस, सीपीआईएम, डीएमके जैसी पार्टियां इन अलगाववादियों का समर्थन कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि ‘हालांकि यह कोई नया विचार नहीं है कि दक्षिण अलग है, लेकिन यह विचार हमेशा हाशिए पर रहा है। अब मुख्यधारा के राजनीतिक दल निहित स्वार्थ के लिए इसका समर्थन कर रहे हैं।’

‘भारत हमेशा भारत ही रहेगा, चाहे कोई भी इसे विभाजित करने का प्रयास करे। केरल का प्राचीन काल से ही देश के अन्य हिस्सों के साथ मजबूत सांस्कृतिक संबंध रहा है। अखंड भारत की अवधारणा मलयालम ग्रंथों में भी पाई जा सकती है जो सदियों पुराने हैं। जहां भगवान राम दक्षिण और उत्तर को जोड़ते हैं, वहीं भगवान कृष्ण पश्चिम और पूर्व को जोड़ते हैं। शिव पूरे देश को एकजुट करते हैं। ब्रिजिंग साउथ सांस्कृतिक एकता के इस संदेश को फैलाने का एक वैचारिक प्रयास है। यह वास्तव में दिमागों को जोड़ने वाला ‘आसेतु हिमाचल’ (हिमाचल से रामसेतु तक) है।’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक था और एक रहेगा। अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला टुकड़े-टुकड़े गैंग के चेहरे पर करारा तमाचा है। दो या अधिक भारत की अवधारणा एक औपनिवेशिक सोच है। केसरी वीकली का ब्रिजिंग साउथ कॉन्क्लेव विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ कड़ा संदेश प्रेषित करता है।’’

आर्गनाइजर वीकली के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने तथाकथित
उत्तर-दक्षिण विभाजन पर बोलते हुए कहा,

‘‘केरल पर केंद्र सरकार की तथाकथित लापरवाही की चलाई रही धारणा वास्तव में एक मिथक है। संशोधित नीति के अनुसार केंद्र सरकार राज्य सरकारों को राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में उनके योगदान के बराबर आवंटित करेगी। वर्तमान उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार प्रत्यक्ष करों में केरल राज्य का योगदान लगभग 1.4 प्रतिशत है और अप्रत्यक्ष करों का योगदान केवल 2.3 प्रतिशत है। इस डेटा से हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि केरल को केंद्र सरकार से उसकी अपेक्षा कहीं अधिक मिल रहा है।’’

केसरी साप्ताहिक के मुख्य संपादक डॉ. एन. आर. मधु ने कहा,

‘‘आज, केसरी साप्ताहिक, पत्रकारिता उत्कृष्टता की प्रतीक, मलयालम मीडिया में सबसे अधिक सदस्यता वाली मुख्यधारा की पत्रिका बन गई है, जो राष्ट्रवाद और मूल्य-आधारित मीडिया कार्य का प्रतीक है। केसरी, नागपुर के संघ प्रचारक स्वर्गीय शंकर शास्त्रीजी और स्वर्गीय पी. परमेश्वर जी के प्रयासों का परिणाम है, जो अपनी प्रारंभिक शैशवावस्था से आगे निकल गया है और मलयालम मीडिया में एक वास्तविक उपस्थिति बन गया है जिसकी कोई भी अनदेखी नहीं कर सकता है।’

डॉ. एन. आर. मधु ने कहा,

‘‘केसरी ने आपातकाल सहित कई सामाजिक-राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों में हस्तक्षेप किया था और हाल के वर्षों में केरल में शुरू हुई विघटनकारी गतिविधियों के खिलाफ लगातार लड़ रहा है। कुछ मीडियाकर्मियों, राजनीतिक दलों और धार्मिक कट्टरपंथियों ने दुश्मन देशों से पैसे लेकर केरल, तमिलनाडु, आंध्र और कर्नाटक जैसे राज्यों को अखंड भारत से अलग करने के विचार के लिए जमीन तैयार करने के लिए कटिंग साउथ नामक एक तर्क उठाया है।’’

प्राचीन तमिल साहित्य ‘पुरनन्नूर’ का हवाला देते हुए जेएनयू की उपकुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने विस्तार से बताया कि प्राचीन काल से दक्षिण और उत्तर भारत के बीच कोई सांस्कृतिक अंतर नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि बढ़ता धर्मांतरण और देश विरोधी गतिविधियां देश के लिए खतरा हैं।

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा, ‘‘जनसांख्यिकीय संतुलन को बदलकर भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का एक सचेत प्रयास किया जा रहा है। केंद्र सरकार सभी राज्यों के साथ समान व्यवहार करती है।’’
उपनिषद मंत्रों का उद्धरण देते हुए अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने पूरे भारत में आध्यात्मिक एकता को समझने के महत्व पर जोर दिया। ‘ईसावस्यमिदं सर्वम्’ मंत्र की तरह व्यक्ति को यह अहसास होना चाहिए कि सब कुछ ईश्वर में व्याप्त है। आध्यात्मिक भारत ने आत्मा की अद्वैत वास्तविकता के माध्यम से हर चीज की एकता स्थापित की है।

केसरी वीकली द्वारा अपनी पचहत्तरवीं वर्षगांठ के निकट आयोजित इस सम्मेलन में विद्वानों, शिक्षाविदों, मीडियाकर्मियों, छात्रों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम को प्रतिभागियों और प्रतिनिधियों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए सराहा गया। कुछ महीने पहले कनाडा से मिले धन के बूते कुछ संगठनों ने केरल में कटिंग साउथ सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसका उद्घाटन सीएम पिनराई विजयन ने किया था।

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