कांग्रेस नेता राहुल गांधी वो भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो कि अक्सर विदेशों में जाकर भारत को असहज बनाने की कोशिशें करते रहते हैं। ऐसा ही एक और वाकया अमेरिका से आया है। अमेरिका के डल्लास में एक बार फिर से राहुल गांधी ने चीन के प्रति अपना प्रेम दिखाते हुए दावा किया चीन में बेरोजगारी की समस्या नहीं है। जबकि, दूसरी ओर राहुल गांधी अपनी तुच्छ राजनीति के चक्कर में भारत को नीचा दिखाने से बाज नहीं आए। उन्होंने कहा कि भारत में बेरोजगारी की समस्या है।
राहुल गांधी कहते हैं कि पश्चिम, अमेरिका, यूरोप और भारत ने उत्पादन के विचार को छोड़ दिया है और उन्होंने इस विचार को चीन को सौंप दिया है। जबकि, राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के द्वारा शुरू किए गए रोजगारपरक कार्यों को अनदेखा कर देते हैं। राहुल गांधी जानबूझकर आत्मनिर्भर भारत, इंडस्ट्रियलाइजेशन के कारण पैदा हो रहे रोजगारों और पीएम मोदी के लोकल फॉर वोकल कार्यक्रमों को अनदेखा कर रहे हैं।
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चीन, राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी का गठजोड़ भी समझिये
गलवान में जिस चीनी कब्जे की खबर राहुल गांधी ने ट्वीट कर उड़ाई थी, वह फर्जी थी। वह खबर फर्जी वीडियो के माध्यम से चीन ने बनाई थी। गलवान पर कब्जे के कथित समारोह का एक वीडियो चीन ने जारी किया था। यह फर्जी वीडियो बनाने में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने चीनी एक्टर वू जिंग और उनकी पत्नी शी नान से एक्टिंग कराई थी। उसकी शूटिंग चीन ने गलवान नदी से करीब 28 किलोमीटर पीछे शूटिंग अकसाई चिन में की थी। चीन ने अपना प्रोपेगेंड को हवा देने के लिए ये वीडियो जारी किए थे। इसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भी प्रसारित किया था। राहुल गांधी ने उस झूठी खबर पर ट्वीट कर अपने ही देश की सरकार को हमेशा की तरह कठघरे में खड़ा किया था।
चीनी प्रोपेगेंडा को हवा देने में राहुल और उनकी पार्टी कांग्रेस का यह पहला मामला नहीं था। समूची लोकतांत्रिक दुनिया में यह मान्य परम्परा है कि जब भी किसी दुश्मन देश से युद्ध की स्थिति हो, तब सारा देश और सभी पार्टियां चट्टान की तरह अपनी सरकार के साथ खड़ी रहती हैं। सभी साथ मिलकर अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाते रहते हैं। गलवान गतिरोध का पिछले वर्षों का मामला देखें तो डोकलाम समेत किसी भी जगह कोई गतिरोध उत्त्पन्न हुआ, कांग्रेस केंद्र सरकार के खिलाफ खड़ी दिखी। एक से एक झूठ गढ़ कर विदेशी मामलों में भी अपनी ही सरकार को बदनाम किया गया। एक स्वर में राहुल गांधी समेत कांग्रेस के लगभग सभी नेताओं ने गलवान में भी भारत की पराजय, देश के समर्पण की घोषणा कर दी थी। सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर अभियान चले। जहां सरेंडर हुए नरेंदर… आदि हैशटैग तक ट्रेंड कराए गए थे। ऐसे अभियानों से आखिर किसे लाभ मिल सकता है?
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डोकलाम गतिरोध के समय राहुल गांधी की एक और ‘गुप्त मीटिंग’, जो तब के शीर्ष चीनी राजनयिक के साथ हुई थी। पहले कांग्रेस ने मीटिंग से इनकार किया लेकिन बाद में साक्ष्य सामने आ जाने पर मानना पड़ा। कांग्रेस द्वारा चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट से सोनिया-राहुल की उपस्थिति में एमओयू भी हुआ। राहुल गांधी इस समय विपक्ष के नेता हैं, वे बाहर जाकर कोई भी बयान देंगे तो स्वाभाविक है उसकी चर्चा होगी। चीन और पाकिस्तान में भी होगी। कथित राजनीतिक सत्ता के लिए देश के विरोध में खड़े होना उचित नहीं है।
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