दिल्ली नगर निगम चुनाव में एक बात दिखी कि मुसलमान मतदाता आम आदमी पार्टी से दूर हो रहे हैं। उनका झुकाव कांग्रेस की ओर होता दिख रहा है।
इस बार के दिल्ली नगर निगम चुनाव में मुसलमानों ने आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। 23 मुस्लिम—बहुल वार्ड में से केवल आठ पर आम आदमी पार्टी जीती है। शेष में कांग्रेेस या फिर निर्दलीय जीते हैं। कांग्रेस द्वारा जीती गई नौ सीटों में से सात उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में स्थित हैं।
कांग्रेस ने तीन मुस्लिम बहुल वार्ड चौहान बांगर (शगुफ्ता चौधरी जुबैर), मुस्तफाबाद (सबिला बेगम) और अबुल फजल एन्क्लेव (अरीबा खान) को आम आदमी पार्टी से छीन लिया। कांग्रेस ने ज़ाकिर नगर (नाजिया दानिश), शास्त्री पार्क (समीर अहमद) और कबीर नगर (जरीफ) में भी जीत हासिल की है। आम आदमी पार्टी को चांद महल, जामा मस्जिद और बल्लीमारान जैसे वार्ड में जीत मिली है, लेकिन दंगा प्रभावित वाले क्षेत्रों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा है।
बल्लीमारान के तीन वार्ड में से दो पर आम आदमी पार्टी और एक पर भाजपा जीती है। मुस्तफाबाद विधानसभा के सभी पांच वार्ड और सीलमपुर विधानसभा के सभी चार वार्ड में आम आदमी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं ओखला विधानसभा के पांच वार्ड में से चार पर आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। मटिया महल विधानसभा और चांदनी चौक विधानसभा के सभी ती—तीन वार्डों पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली है।
ऐसा माना जाता है कि मुसलमानों ने अरविंद केजरीवाल के उस बयान को ठीक नहीं माना, जिमसें उन्होंने कहा था कि नोटों पर गणेश—लक्ष्मी के चित्र प्रकाशित हों। यह बयान उन्होंने गुजरात चुनाव को देखते हुए दिया था, लेकिन इसका उल्टा असर हुआ। न तो गुजरात के मुसलमानों ने और न ही दिल्ली के मुसलमानों ने आम आदमी आदमी पार्टी का साथ दिया।
इसका एक और प्रमाण यह भी है कि पिछले दिनों दिल्ली में कांग्रेस के दो मुस्लिम पार्षद आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। जैसे ही यह खबर फैली उनके क्षेत्रों में मुसलमान विरोध में कूद पड़े। लोगों ने साफ कहा कि दोनों पार्षदों ने कांग्रेस के समर्थकों के साथ धोखा किया है। लोगों के तेवर को देखते हुए कुछ ही घंटों में दोनों पार्षद कांग्रेस में लौट आए।
कह सकते हैं कि मुसलमान मतदाता धीरे—धीरे ही सही एक बार फिर से कांग्रेस की ओर लौट रहे हैं। यही बात कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी भी कह रहे हैं।
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