दृष्टिपात
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अमरीकी विदेश विभाग ने पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई न करने के लिए फटकार लगाई है। आतंकवाद पर तैयार हुई विभाग की सालाना रपट में कहा गया है कि पाकिस्तान में संदिग्ध आतंकवादियों पर चलने वाले मुकदमों में 75 फीसदी दोषियों को बरी कर दिया जाता है। अमरीका ने यहां तक कहा है कि पाकिस्तान संदिग्ध आतंकवादियों पर मुकदमा चलाने में लगभग अयोग्य है। पाकिस्तान अमरीका द्वारा चिन्हित लश्करे तोयबा और जैशे मोहम्मद जैसे आतंकी गुटों के खिलाफ भी कोई गौरतलब कार्रवाई नहीं कर रहा है। उल्लेखनीय है कि मुम्बई बम हमले के संदर्भ में लश्कर सरगना जकीउर्रहमान लखवी के खिलाफ पाकिस्तान में मुकदमा चल रहा है। लेकिन उसे कोई सजा दी जाएगी, ऐसा कोई नहीं मानता।
पाकिस्तान में आतंकी मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतों द्वारा 2010 में दिए गए फैसलों की गहन समीक्षा करने के बाद अमरीका ने पाया कि लगभग 75 फीसदी अपराधी बरी कर दिए गए थे। रपट के अनुसार, व्पाकिस्तान का कानूनी तंत्र संदिग्ध आतंकियों पर मुकदमा चलाने में लगभग नाकारा है। पाकिस्तान के कानूनी तंत्र ने बड़े-बड़े बम काण्डों में दोषी पाए गए आतंकियों तक को बरी कर दिया।व् अमरीकी रपट कहती है कि लश्करे तोयबा और जैशे मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को धड़ल्ले से पैसा मिल रहा है, लेकिन पाकिस्तानी सत्ता उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। जैशे मोहम्मद की गतिविधियों पर 2002 में पाबंदी लगने के बावजूद यह आतंकी गुट पाकिस्तान में खुलेआम सक्रिय है। 2010 में इसने पाकिस्तान में आई जबरदस्त बाढ़ की आड़ में आतंकी गतिविधियों के लिए जमकर पैसा बटोरा था। यह गुट पत्रिकाओं और पर्चों पर विज्ञापन छापकर चंदा मांगता है। अमरीकी विदेश विभाग के अनुसार, जैश ने अल रहमत ट्रस्ट को फिर से सक्रिय करके पैसा इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ लश्करे तोयबा ने जमाअत-उत-दावा की ही तरह एक और गुट व्फलाह-ए-इंसानियतव् खड़ा कर लिया है। इस गुट ने अल कायदा और तालिबान से मजबूत रिश्ते कायम कर लिए हैं। लश्कर के जिहादी अल कायदा के आतंकियों की पाकिस्तान में आवाजाही आसान बनाने में मदद कर रहे हैं।
सोमालियाई समुद्री लुटेरों का आका है पाकिस्तान
पिछले लंबे समय से इस तरह की खबरें सुनने में आती रही हैं कि फलां भारतीय जहाज को सोमालियाई समुद्री लुटेरों ने पकड़ लिया, या भारतीय मछुआरों और नाविकों को बंधक बना लिया। इन खबरों से भारत की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो चुकी थीं और उन्हें ऐसे संकेत भी मिले थे कि उन सोमालियाई समुद्री लुटेरों के पीछे पाकिस्तान है। लेकिन अब इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि पाकिस्तान ही उन समुद्री लुटेरों को भारत के खिलाफ परोक्ष युद्ध लड़ने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है। 14 अगस्त को भारतीय नौसेना ने मुम्बई तट के पास से ईरान का एक अपह्मत जहाज एम.वी. नफीस-1 पकड़ा, जिस पर 9 विदेशी नागरिक सवार थे- पांच यमनी, दो तंजानियाई, एक केन्याई और एक सोमालियाई। इनके पास से अधिकारियों को पाकिस्तान में बना और डिब्बा बंद किया बड़ी तादाद में खाने का कच्चा सामान, जूस के पाउच, दो ए.के. 47, एक पिस्तौल और भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा मिली। खाने के डिब्बों पर पाकिस्तानी कंपनियों के नाम छपे हैं। बोरा भर चाय की पत्तियां मिलीं जिन्हें खाकर ये लुटेरे खुद को जगाए रखते थे। इन समुद्री लुटेरों सहित जहाज को 15 अगस्त को पोरबंदर पुलिस के हवाले किया गया जहां अनुवादकों की मदद से उन विदेशी नागरिकों से और राज उगलवाए जा रहे हैं। पुलिस को पाकिस्तानी कंपनियों में बना खाने-पीने का सामान और हथियारों को लेकर पक्का यकीन है कि ये कोई साधारण समुद्री लुटेरे नहीं थे, बल्कि पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रहे थे।
ओबामा ने की हिन्दू संस्था की प्रशंसा
व्हाइट हाउस में पिछले दिनों अमरीका में कार्यरत व्हिन्दू अमेरिकन सेवा चैरिटीजव् संस्था का दूसरा वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया था। खुद राष्ट्रपति बराक ओबामा न केवल इसमें शामिल हुए बल्कि उन्होंने संस्था द्वारा किए जा रहे जन सेवा और अंतरपांथिक सहयोग के कार्यों की दिल खोलकर तारीफ भी की। उक्त संस्था आम लोगों की सेवा और अमरीका में बसे हिन्दू समाज को सजग, सबल रखने के लिए आपस में सहयोग और मेल-मिलाप की भावना को बढ़ावा देने में जुटी है। संस्था के बारे में जानकर ओबामा ने कहा कि दूसरों के जीवन को ऊंचा उठाने के संकल्प को लेकर काम करने वाली व्हिन्दू अमेरिकन सेवा चैरिटीजव् जैसी संस्थाएं अमरीकी लोगों की दूसरों की सेवा की भावना और दुनिया में उभर रहीं चुनौतियों का मिलकर सामना करने की हमारी काबिलियत को प्रकट करती हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम निस्वार्थ भाव का सम्मान करते हैं और देश के उन तमाम लोगों को विशेष महत्व देते हैं जो आगे बढ़कर मानवता की भलाई के लिए महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस हिन्दू-अमरीकी आयोजन को ऐतिहासिक करार दिया।
इसके साथ ही, एक और दिलचस्प खबर यह है कि ओबामा के फिर से राष्ट्रपति पद पर चुनाव के लिए चल रहे प्रचार अभियान में चार भारतीय अमरीकियों ने सबसे ज्यादा चंदा जुटाया है। चुनाव प्रचार के लिए अब तक जुटाए गए 8.6 करोड़ डालर में से 3.5 करोड़ डालर जिन 244 लोगों ने जुटाए हैं उनमें सबसे ज्यादा चंदा जुटाने वाले चार भारतीय अमरीकी नागरिक हैं- अजिता राजी, शेफाली राजदान दुग्गल, देवेन पारेख और कविता तान्खा। इन चारों ने अपने अलावा अपने दोस्तों से भी पैसा इकट्ठा किया है। अजिता राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड की सदस्य भी हैं।
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