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गत 17 से 19 अगस्त तक मध्य प्रदेश के उज्जैन में रा.स्व.संघ की समन्वय बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में देशभर से आए प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने समाज में परिवर्तन लाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को देश में समाजिक परिवर्तन लाने का माध्यम बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्संघ से संबंधित 35 के लगभग संगठन हैं और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक मजबूत तंत्र। मुझे लगता है यदि हम सब साथ मिलकर काम करें तो समाज में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकते हैं।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बोलते हुए श्री भागवत ने कहा कि इस समय भ्रष्टाचार ज्वलंत मुद्दों में से एक है, जिसका तुरन्त समाधान किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें तय करना होगा कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए हम क्या योगदान कर सकते हैं। इस अवसर पर संघ सहित विविध संगठनों के अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे।
बैठक के समापान के पश्चात् पत्रकारों को संबोधित करते हुए सरकार्यवाह श्री सुरेशराव उपाख्य भैयाजी जोशी ने कहा कि एक ही उद्देश्य से प्रेरित राष्ट्र एवं समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत संगठनों के प्रमुख कार्यकर्ता 3-4 वर्षों के अंतराल पर विचार विमर्श के उद्देश्य से एकत्रित होते हैं। परस्पर अनुभवों का आदान-प्रदान होता है। इसी श्रृंखला में उज्जैन में यह समन्वय बैठक संपन्न हुई है, जिसमें विभिन्न पहलुओं पर विचार हुआ है। साथ ही वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों पर भी चिंतन हुआ है।
भैयाजी ने कहा कि कालेधन की वापसी और भ्रष्टाचार देशव्यापी चिंता का विषय बना हुआ है। जनसामान्य को व्यथित करने वाली इस समस्या के प्रति जनभावनाएं आंदोलन के माध्यम से प्रखरता से प्रकट हो रही हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् द्वारा संचालित व्यूथ अगेन्स्ट करप्शनव् आंदोलन हो, स्वामी रामदेव के मार्गदर्शन में व्भारत स्वाभिमान ट्रस्टव् के तत्वावधान में चल रहा आंदोलन हो अथवा श्री अन्ना हजारे के नेतृत्व में व्जनलोकपालव् की मांग को लेकर चलाये जा रहे आंदोलन को मिलने वाला व्यापक जनसमर्थन, देशभक्ति तथा प्रखर भावना का परिचायक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मार्च, 2011 में संपन्न हुई व्अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभाव् में पारित प्रस्ताव में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भ्रष्टाचार के विरोध में चलने वाले आंदोलनों का संघ समर्थन करता है। उसके अनुसार संघ के स्वयंसेवक ऐसे आंदोलनों में सभी के साथ सक्रिय रूप से सहभागी हो रहे हैं। अत: हमारा यह समर्थन जारी रहेगा। हमारा यह मानना है कि विभिन्न आंदोलनों के समन्वित प्रयास होने की आवश्यकता है। सब मिलकर चलें यह आवश्यक है।
भैयाजी ने कहा कि शांतिपूर्ण, अहिंसात्मक एवं अनुशासित ढंग से चल रहे आंदोलन का दमन करने का शासन का रवैया, आंदोलनकर्ताओं से चर्चा करते हुए समाधान ढूंढने के स्थान पर उनको कारागार में भेजना यह समझ से परे है। लोकतंत्र में जनभावनाओं का सम्मान करते हुए समाधान की दिशा में पहल हो यह सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा प्रस्तुत व्सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयकव् देश की एकात्मता एवं सामाजिक सौहार्द को गंभीर हानि पहुंचाने वाला सिद्ध होगा। यह विधेयक संविधान की मूलभूत भावना पर आघात करता है। इतना ही नहीं, यह समाज में अविश्वास तथा विघटन निर्माण करने वाला रहेगा। यह प्रस्तावित विधेयक उक्त परिषद् की सांप्रदायिक एवं विघटनकारी मानसिकता को उजागर करता है।
सरकार्यवाह ने कहा कि यह प्रस्तावित विधेयक संविधान के द्वारा निर्मित संघीय रचना की उपेक्षा करने वाला सिद्ध होगा और राज्यों को प्राप्त अधिकारों का हनन करने वाला रहेगा। अत: इस प्रस्तावित विधेयक को सरकार सिरे से नकारे एवं इस देश की एकात्मता को सुरक्षित रखे। इस प्रकार का विधेयक प्रस्तुत कर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् ने देश के प्रति स्वयं की प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि समाज के विभिन्न समूह प्रत्येक स्तर पर इस प्रस्तावित विधेयक का कडा विरोध करेंगे। सरकार को चाहिए की समाज के सौहार्द के लिए हानिकारक एवं सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने वाली इस पहल पर गंभीरतापूर्वक विचार करे।
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