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बिहार: गांव के 95% निवासी हिन्दू, फिर भी अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर गोविंदपुर गांव की जमीन पर ठोंका दावा

by Parul
Aug 29, 2024, 02:10 pm IST
in बिहार
बिहार के गोविंदपुर गांव की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने कर दिया दावा।

बिहार के गोविंदपुर गांव की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने कर दिया दावा।

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नई दिल्ली: बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड ने गोविंदपुर गांव के सात किसानों को नोटिस भेजकर उनकी भूमि पर अपना अधिकार जताया है। यह गांव पटना से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां 95% निवासी हिंदू हैं। वक्फ बोर्ड ने किसानों को 30 दिनों के भीतर जमीन खाली करने का आदेश दिया है, जिससे स्थानीय समुदाय में हड़कंप मच गया है। लोगों ने वक्फ बोर्ड पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

ग्रामीणों का विरोध और कानूनी कार्रवाई

ग्रामीणों ने इस नोटिस का विरोध करते हुए कहा है कि यह भूमि उनके पूर्वजों के समय से उनके नाम पर है। नोटिस प्राप्त करने वाले किसानों में बृजेश बल्लभ प्रसाद, राजकिशोर मेहता, रामलाल साव, मल्टी देवी, संजय प्रसाद, सुदीप कुमार और सुरेंद्र विश्वकर्मा शामिल हैं। इन सभी ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा है कि यह भूमि 1910 से इन किसानों के वंशजों के नाम पर है।

वक्फ संपत्ति के विवाद में बढ़ती चिंता

यह पहला मामला नहीं है जब वक्फ बोर्ड ने भूमि पर दावा किया है। इससे पहले, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेण रिजिजू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024 पेश करते समय ऐसे मामलों पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि कुछ सरकारी और निजी जमीनों को वक्फ संपत्ति घोषित करने की प्रक्रिया में अनियमितताएँ हैं।

रिजिजू ने लोकसभा में अपने भाषण में बताया कि तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले में एक गांव की पूरी नगरपालिका वक्फ संपत्ति घोषित कर दी गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि “क्या कोई नगरपालिका किसी की निजी संपत्ति है?” इससे यह स्पष्ट होता है कि वक्फ बोर्डों को दिए गए अधिकारों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के वडानगे गांव में महादेव मंदिर के आसपास की जमीन पर वक्फ बोर्ड के द्वारा दावा किया गया था। जिसके बाद ग्राम पंचायत की विफलता और संदिग्ध भूमिका के कारण गांव की भूमि वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दी गई है। इसके संबंध में स्थानीय हिंदू संगठनों और निवासियों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। तमिलनाडु में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया।

स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया

गोविंदपुर के ग्रामीणों ने इस कदम को अन्यायपूर्ण बताया है और इसे अपने अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं। स्थानीय नेताओं ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। वक्फ बोर्ड के प्रशासन पर संपत्तियों का गलत उपयोग करने के आरोप लगाये जा रहें हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में एक श्मशान भूमि को स्थानीय नेताओं को बेच दिया गया।

बिहार में वक्फ बोर्ड द्वारा भूमि पर किए गए दावों ने न केवल स्थानीय किसानों को प्रभावित किया है, बल्कि यह पूरे देश में भूमि अधिकारों के मुद्दे पर एक नई बहस को जन्म दे रहा है। इस विवाद ने यह प्रश्न उठाया है कि वक्फ बोर्ड को विशेष अधिकार दिए गए हैं, जबकि अन्य अल्पसंख्यक समूहों को ऐसे समान अधिकार नहीं मिले। ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई और स्पष्टता की आवश्यकता है ताकि किसानों के अधिकारों की रक्षा की जा सके और भूमि विवादों का समाधान किया जा सके।

 

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Topics: biharवक्फ संपत्ति विवादwaqf boardWaqf Property DisputeLand RightsWaqf Act 1923Religious Land IssuesGovernment Land PoliciesMinority Rights in IndiaLand Acquisition ControversyWaqf Claimsबिहार वक्फ बोर्ड
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