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विश्व ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस (10 जुलाई) पर विशेष : भारत में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का हो रहा है तेजी से विस्तार

ऊर्जा-स्वतंत्र दुनिया के लिए नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती अनिवार्यता

by योगेश कुमार गोयल
Jul 10, 2024, 12:11 pm IST
in भारत, विश्व, विश्लेषण, पर्यावरण
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अक्षय ऊर्जा स्रोतों, ऊर्जा विविधीकरण और टिकाऊ ऊर्जा समाधानों में तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने तथा लोगों को तेल, कोयला और गैस जैसे प्राकृतिक और परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के अलावा नवीकरणीय तथा टिकाऊ ऊर्जा समाधानों के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 10 जुलाई को ‘वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस सर्बियाई अमेरिकी आविष्कारक, भौतिक विज्ञानी, यांत्रिक एवं विद्युत अभियंता निकोला टेस्ला के जन्मदिन के अवसर पर उनके सम्मान में आयोजित किया जाता है, जो आधुनिक प्रत्यावर्ती धारा विद्युत आपूर्ति प्रणाली के क्षेत्र में दिए गए अपने अभूतपूर्व योगदान के कारण विख्यात रहे।

दुनियाभर में यह दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को धीरे-धीरे नवीकरणीय और कम हानिकारक ऊर्जा की ओर से अग्रसर करना है ताकि वर्तमान के साथ ही भविष्य की पीढ़ियों को भी ऊर्जा संकट का सामना नहीं करना पड़े और वे आसानी से आगे बढ़ते रहें। दरअसल माना जाता है कि तेल, कोयला और गैस जैसे प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों का कभी न कभी अंत हो जाएगा और उस चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए हमें उसके समानांतर नई ऊर्जा का विकास करना होगा।

वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस की स्थापना लॉस एंजिल्स काउंटी के पर्यवेक्षक तथा कैलिफोर्निया के हरित ऊर्जा के प्रवर्तक माइकल डी. एंटोनोविच द्वारा वर्ष 2006 में निकोला टेस्ला के सम्मान में की गई थी। हालांकि इसे वैश्विक मान्यता मिलने में कई साल लग गए और मान्यता मिलने के बाद पहली बार यह दिवस 2012 में मनाया गया था। तब पहला वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस अक्षय ऊर्जा स्रोतों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए मनाया गया था।

इस अवसर पर दुनियाभर में लोगों को न केवल नवीकरणीय और प्रदूषण कम करने वाले ऊर्जा स्रोतों के बारे में बताया जाता है बल्कि वायु ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा जैसे ऊर्जा विविधीकरण और टिकाऊ ऊर्जा समाधानों के बारे में भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। कुल ऊर्जा का 40 प्रतिशत से अधिक घरों, इमारतों, शॉपिंग सेंटर, सड़कों, कारखानों तथा अन्य स्थानों में बिजली के लिए उपयोग किया जाता है और अधिकांश बिजली गैस, तेल, कोयला और अन्य गैर-नवीकरणीय स्रोतों से आती है जबकि नवीकरणीय ऊर्जा कभी खत्म नहीं होने वाले पवन, सौर और भूतापीय स्रोतों से मिलती है, इसलिए गंभीर होती वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए इसकी ओर तेजी से कदम बढ़ाना अब दुनिया के लिए बहुत जरूरी हो गया है।

वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और देश को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विस्तार और ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए निरंतर महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इसी उद्देश्य से ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता और संरक्षण को बढ़ावा देना है। इसके तहत ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) की स्थापना की गई थी, जो ऊर्जा संरक्षण के उपायों को लागू करने के लिए नीतियां तैयार करता है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारत ने भारी निवेश किया है। 2022 में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 150 गीगावॉट तक पहुंच गई थी, जिसमें सौर, पवन, जल विद्युत और बायोमास ऊर्जा शामिल हैं। गरीब परिवारों को स्वच्छ ऊर्जा स्रोत प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की गई ताकि पारंपरिक बायोमास पर लोगों की निर्भरता कम करते हुए स्वच्छ ईंधन का उपयोग बढ़ाया जा सके।

2015 में भारत और फ्रांस द्वारा इंटरनेशनल सोलर एलायंस की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है। स्मार्ट ग्रिड मिशन के जरिये बिजली वितरण को अधिक कुशल और विश्वसनीय बनाने, बिजली चोरी को कम करने तथा ऊर्जा की बचत को बढ़ावा देने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। जैव ईंधन उत्पादन को बढ़ावा देने और पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए 2018 में राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति लागू की गई, जिसके तहत एथेनॉल मिश्रण और जैव डीजल उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाता है। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के माध्यम से हर छत पर सोलर पैनल लगाकर वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के प्रयास भी जारी हैं।

2024 का वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस ‘ऊर्जा परिवर्तन अभी: तेज़, स्मार्ट, लचीला!’ विषय के साथ मनाया जा रहा है। इसका लक्ष्य लोगों, समुदायों और संगठनों द्वारा स्थायी ऊर्जा प्रथाओं की दिशा में सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने में निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है। यह हरित ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को भी प्रोत्साहित करता है और वैश्विक अक्षय ऊर्जा पहलों का समर्थन करता है। इस विषय का उद्देश्य यही है कि वैश्विक स्तर पर स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने के महत्व को उजागर करते हुए पारम्परिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम की जा सके और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके।

2023 में यह दिवस हरित ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करने और वैश्विक अक्षय ऊर्जा पहलों का समर्थन करने के लिए ‘समुदायों को सशक्त बनाना, दुनिया को बदलना’ विषय के साथ मनाया गया था। वास्तव में यह दिवस अक्षय ऊर्जा स्रोतों, ऊर्जा विविधीकरण और संधारणीय ऊर्जा समाधानों में तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने पर केन्द्रित है, जो तमाम देशों की सरकारों, संस्थानों और लोगों को गैर-नवीकरणीय संसाधनों पर निर्भरता कम करने और स्वच्छ तथा अधिक विश्वसनीय ऊर्जा प्रणालियों पर स्विच करने के महत्व के बारे में स्मरण कराता है। हमारे जीवन के हर पहलू के लिए ऊर्जा आज बेहद महत्वपूर्ण है, फिर चाहे वह अर्थव्यवस्था हो, जलवायु आपातकाल हो या खाद्य उत्पादन लेकिन पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों पर हमारी बढ़ती निर्भरता की पर्यावरणीय लागत भी बहुत तेजी से बढ़ रही है और इसी के चलते जीवाश्म ईंधन प्रदूषण तथा जलवायु परिवर्तन में बड़ा योगदान दे रहे हैं।

दुनियाभर में बढ़ती आबादी और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण पहले से ही दबाव में चल रहे ऊर्जा संसाधनों पर और दबाव बढ़ रहा है। दरअसल जैसे-जैसे तकनीक दुनिया पर अधिक से अधिक हावी होती जा रही है, ऊर्जा की मांग भी बढ़ रही है और संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के अनुसार 2050 तक दुनिया की आबादी 9.5 बिलियन हो जाने की उम्मीद है, जिससे स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में ऊर्जा की मांग में भी तेजी से बढ़ोतरी होने वाली है। यही कारण है कि सौर, पवन, जलविद्युत, बायोगैस इत्यादि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की ओर रुख करना अब सबसे की सबसे बड़ी मांग बन चुकी है। चूंकि सौर, पवन, जलविद्युत और भूतापीय जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत पर्यावरण के अनुकूल हैं और पर्यावरण पर बहुत कम प्रभाव डालते हैं, इसीलिए हाल के वर्षों में पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के व्यवहार्य और टिकाऊ विकल्प के रूप में इनकी ओर आकर्षण बढ़ना स्वाभाविक है। पर्यावरण वैज्ञानिकों के मुताबिक नवीकरणीय ऊर्जा को व्यापक रूप से अपनाने से कार्बन उत्सर्जन को 30 प्रतिशत तक कम करने में योगदान मिल सकता है।

ऊर्जा खपत का इतिहास कुछ सदियों में काफी विकसित हुआ है। जलाऊ लकड़ी के सरल उपयोग से लेकर जीवाश्म ईंधन के जटिल निष्कर्षण तक ऊर्जा के लिए मानवता की खोज अथक रही है। बिजली से लेकर तेल और गैस से लेकर कोयले तक, ऊर्जा हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गई है। हमारी बढ़ती खपत मांगें आज हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले अधिकांश गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बहुत तेजी से खत्म कर रही हैं। विश्वभर में लोग आमतौर पर ऊर्जा के स्रोतों के रूप में तेल, कोयला और गैस का सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं।

जीवाश्म ईंधन इसी प्रकार की ऊर्जा है, जिसके साथ अब अनेक चिंताएं भी जुड़ी हैं। पहली चिंता यही है कि जीवाश्म ईंधन अंततः समाप्त हो जाएंगे। जीवाश्म ईंधन से जुड़ी अन्य प्रमुख चिंताओं में वायु और जल प्रदूषण, भूमि क्षरण, ग्लोबल वार्मिंग इत्यादि शामिल हैं। इसीलिए पूरी दुनिया में वैज्ञानिक अब इन समस्याओं के स्थायी हल के लिए अक्षय ऊर्जा स्रोतों की खोज कर रहे हैं। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत, परमाणु ऊर्जा और भूतापीय ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा के ही उदाहरण हैं।

मानव विकास के लिए ईंधन के नवीकरणीय और स्वच्छ स्रोत बहुत जरूरी हैं। दरअसल वर्तमान में हम जिन जीवाश्म ईंधन को अपने ऊर्जा स्रोतों के रूप में उपयोग कर रहे हैं, उन्हें बदलने की आवश्यकता है क्योंकि जीवाश्म ईंधन प्रदूषणकारी होने के साथ ही गैर-नवीकरणीय भी हैं, जिन्हें बनने में लाखों साल तक लग जाते हैं और जिस दर से दुनिया में इनका उपभोग बढ़ रहा है, ऐसे में कुछ सौ सालों में ये स्रोत समाप्त हो जाएंगे, इसलिए अब समय आ गया है कि हम ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ें और ऊर्जा के ऐसे अन्य विकल्प खोजें, जो पूरी तरह से पर्यावरण के लिए बेहतर हों और निर्बाध रूप से ऊर्जा जरूरतें पूरी करने में सक्षम भी। बहरहाल, हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी ऊर्जा की कमी और मांग के बारे में चिंता न करनी पड़े, इसके लिए वर्तमान परिवेश में नवीकरणीय ऊर्जा ही ऊर्जा-स्वतंत्र दुनिया को प्राप्त करने का सबसे बेहतरीन विकल्प है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, पर्यावरण मामलों के जानकार और पर्यावरण पर ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ पुस्तक के लेखक हैं)

Topics: तकनीकी प्रगतिवैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवसप्राकृतिक ऊर्जा स्रोतइंटरनेशनल सोलर एलायंसTechnological advancementGlobal Energy Independence DayNatural energy sourcesपर्यावरण संरक्षणDependence on fossil fuelsInternational Solar Allianceजीवाश्म ईंधन पर निर्भरतापाञ्चजन्य विशेष
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