सांझीवालता के साधक
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

सांझीवालता के साधक

चिरंजीव जी ने अपना पूरा जीवन देश और समाज को समर्पित कर दिया था। वे वास्तव में कर्मयोगी थे।

by WEB DESK
Nov 28, 2023, 10:57 am IST
in भारत, संघ, श्रद्धांजलि, पंजाब
सरदार चिरंजीव सिंह जी

सरदार चिरंजीव सिंह जी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अमृतसर में ‘राष्ट्रीय सिख संगत’ का गठन हुआ। सरदार शमशेर सिंह गिल इसके अध्यक्ष तथा चिरंजीव जी महासचिव बनाए गए। 1990 में शमशेर जी के निधन के बाद चिरंजीव जी इसके अध्यक्ष बने।

गत 20 नवंबर को लुधियाना में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक सरदार चिरंजीव सिंह जी का निधन हो गया। 93 वर्षीय चिरंजीव जी का केंद्र लुधियाना ही था। अधिक आयु के कारण उनका प्रवास बंद था, लेकिन लुधियाना संघ कार्यालय में रहकर वे कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया करते थे। इस आयु में भी वे प्रतिदिन कुछ न कुछ कार्य करते थे। वे कुछ महीनों से अस्वस्थ थे। 18 नवंबर को शारीरिक कष्ट बढ़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्यागा। चिरंजीव जी ने अपना पूरा जीवन देश और समाज को समर्पित कर दिया था। वे वास्तव में कर्मयोगी थे।

चिरंजीव सिंह जी का जन्म 1 अक्तूबर, 1930 को पटियाला में एक किसान श्री हरकरण दास (तरलोचन सिंह) तथा श्रीमती द्वारकी देवी (जोगेंदर कौर) के घर हुआ। मां सरकारी विद्यालय में पढ़ाती थीं। चिरंजीव जी से बड़े दो भाई थे, पर वे काफी पहले बहाने इस दुनिया से चल बसे थे। दो संतानों को खोने के बाद माता-पिता ने मंदिर और गुरुद्वारों में पूजा-अर्चना की। इसके बाद जन्मे इस बालक का नाम चिरंजीव रखा गया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सनातन धर्म संस्कृत इंग्लिश हाई स्कूल पटियाला में हुई। 1944 में कक्षा सात में पढ़ते समय वे अपने मित्र रवि के साथ पहली बार संघ की शाखा गए।

वहां के खेल, अनुशासन, प्रार्थना और किसी के नाम के साथ ‘जी’ लगाने से वे बहुत प्रभावित हुए और वे संघ के स्वयंसेवक हो गए। उस समय शाखा में वे एक मात्र केशधारी थे। 1948 में मैट्रिक करने के बाद उन्होंने राजकीय महाविद्यालय, पटियाला में प्रवेश लिया। वहीं से उन्होंने 1952 में अंग्रेजी, राजनीतिशास्त्र व दर्शनशास्त्र से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उनके एक साथी मदनमोहन कालिया आई.पी.एस. अधिकारी बने। स्वाभाविक रूप से चिरंजीव जी के माता-पिता भी यह चाहते थे कि उनका बेटा भी कुछ ऐसा ही करे। लेकिन संघ की शाखा से उन्हें जो प्रेरणा मिली, उसने उन्हें कुछ और ही करने के लिए प्रेरित कर दिया। 1946 में उन्होंने प्राथमिक वर्ग का शिक्षण पूरा किया। फिर 1947, 50 और 52 में भी उन्होंने संघ शिक्षण प्राप्त किया। 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा गया दिया। प्रतिबंध काल में सत्याग्रह करने की वजह से उन्हें दो माह जेल में भी रहना पड़ा।

14 जून, 1953 को वे संघ के प्रचारक बने। वे मलेर कोटला, संगरूर, पटियाला, रोपड़, लुधियाना में तहसील, जिला, विभाग व सह संभाग प्रचारक रहे। 1975 में वे प्रांत बौद्धिक प्रमुख बने। उसी समय आपातकाल लगा। उस दौरान चिरंजीव जी ने भूमिगत रहकर जन-जागरण का काम शुरू किया और साथ ही जो कार्यकर्ता बंदी बना लिए गए थे, उनके परिवारों की देखभाल करने का भी दायित्व संभाला।

एक कार्यक्रम में सरदार चिरंजीव सिंह को सम्मानित करते श्री मोहनराव भागवत। साथ में हैं (दाएं) डॉ. बजरंगलाल गुप्त

असंख्य लोगों को राष्ट्रीयता के प्रवाह में जोड़ा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने स्व. चिरंजीव सिंह जी को इन शब्दों में श्रद्धांजलि दी है-
आजीवन संघ के निष्ठावान प्रचारक रहे सरदार चिरंजीव सिंह जी ने पंजाब में दशकों तक कार्य किया। तत्पश्चात् राष्ट्रीय सिख संगत के कार्य के द्वारा उन्होंने पंजाब में पैदा हुई कठिन परिस्थिति के कारण उत्पन्न परस्पर भेद और अविश्वास को दूर कर समूचे देश में सांझीवालता और राष्ट्र-भाव के प्रकाश में एकात्मता और सामाजिक समरसता को पुष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके अगाध परिश्रम, पंजाब की गुरु-परंपरा के गहन अध्ययन और उत्तम संगठन कौशल्य के कारण असंख्य लोगों को उन्होंने राष्ट्रीयता के प्रवाह में जोड़ दिया। सरदार चिरंजीव सिंह जी के स्नेहिल और मधुर व्यक्तित्व ने सब को जीत लिया था। कुछ समय से अस्वस्थता के कारण सक्रिय नहीं रह पाने पर भी उनके उत्साह में कमी नहीं थी। आदरणीय सरदार जी के निधन पर हम उनके परिजनों व परिचितों को अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं तथा अकालपुरख से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा दिव्य ज्योति में लीन होवे। ॐ शांति:॥

गुरु नानकदेव जी के प्रकाश पर्व (24 नवंबर, 1986) पर अमृतसर में ‘राष्ट्रीय सिख संगत’ का गठन हुआ। सरदार शमशेर सिंह गिल इसके अध्यक्ष तथा चिरंजीव जी महासचिव बनाए गए। 1990 में शमशेर जी के निधन के बाद चिरंजीव जी इसके अध्यक्ष बने। चिरंजीव जी ने संगत के काम के लिए अपने देश के साथ ही इंग्लैंड, कनाडा, जर्मनी, अमेरिका आदि देशों में प्रवास किया। उनके कार्यक्रमों में हिंदू और सिख दोनों आते थे। 1999 में ‘खालसा सिरजना यात्रा’ पटना में संपन्न हुई। 2000 में न्यूयॉर्क के ‘विश्व धर्म सम्मेलन’ में वे 108 संतों के साथ गए, जिनमें आनंदपुर साहिब के जत्थेदार भी थे। ऐसे कार्यक्रमों से संगत का काम विश्व भर में फैल गया। इसे वैचारिक आधार देने में तत्कालीन सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन का भी बड़ा योगदान रहा। वृद्धावस्था के कारण 2003 में उन्होंने सिख संगत के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया।

पंजाब में उग्रवाद के दिनों में जब सामाजिक समरसता की बात कहना दुस्साहस जैसा बन गया था, उस समय संगठन की योजना से गठित ‘पंजाब कल्याण फोरम’ के संयोजक का महत्वपूर्ण दायित्व भी उन्होंने निभाया। वे जान हथेली पर रखकर सांझीवालता की सोच रखने वाले सिख विद्वानों, सिख संतों और अन्य प्रमुख हस्तियों से निरंतर संवाद करते और उग्रवाद से पीड़ित परिवारों के साथ खड़े रहते। उनकी हर आवश्यकता को उन्होेंने पूरा करने का प्रयास किया।

1987 में उन्होंने एक और बहुत ही प्रेरणादायक कार्य किया। उन्होंने गुरुसिख संतों व सनातन परंपरा के संतों से संवाद शुरू करवाया। इसका उद्देश्य था आत्मीयता, प्रेम, सौहार्द व सांझीवालता के संदेश को दूर-दूर तक पहुंचाना। इसके लिए ‘ब्रह्मकुण्ड से अमृतकुण्ड तक’ नाम से एक विशाल यात्रा हरिद्वार से अमृतसर तक निकाली गई। इसमें भारत के कोने-कोने से लगभग 10,000 संतों ने भाग लिया। इससे पूरे देश में समरसता का वातावरण बना। जब सारे विश्व में विशेषकर भारत में खालसा सिरजना की त्रिशताब्दी मनाने का भारी उत्साह था, उस अवसर का भी उन्होंने सांझीवालता का संदेश देने हेतु उपयोग किया।

भारत के विभिन्न मत-संप्रदायों के संतों से संपर्क कर उन्होंने श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के जन्मस्थल पटना साहिब से एक यात्रा निकाली। 300 संतों के साथ 24 मार्च, 1999 को प्रारंभ हुई यह यात्रा राजगीर, बोधगया, काशी, अयोध्या होते हुए 10 अप्रैल को श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित ‘संत समागम’ में सम्मिलित हुई। इस यात्रा का हरिमंदिर साहिब, दमदमा साहिब, केशगढ़ साहिब सभी प्रमुख गुरुद्वारों में सम्मान-सत्कार हुआ। इस यात्रा से सारे देश में एकात्मता एवं सांझीवालता का वातावरण बना। पाञ्चजन्य परिवार की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।

Topics: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघRashtriya Swayamsevak SanghphilosophyPolitical Scienceराष्ट्रीय सिख संगतराजनीतिशास्त्रदर्शनशास्त्रशिक्षा सनातन धर्मRashtriya Sikh SangatShiksha Sanatan Dharma
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सोमवार को केशव कुंज कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के संबंध में जानकारी दी। साथ में  दिल्ली प्रांत के संघचालक अनिल अग्रवाल जी।

आरएसएस के 100 साल:  मंडलों और बस्तियों में हिंदू सम्मेलन का होगा आयोजन, हर घर तक पहुंचेगा संघ

भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए राज्यपाल राजेन्द्र आर्लेकर

राजनीति से परे राष्ट्र भाव

indian parliament panch parivartan

भारतीय संविधान और पंच परिवर्तन: सनातन चेतना से सामाजिक नवाचार तक

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

वैष्णो देवी यात्रा की सुरक्षा में सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies