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ताशकंद समझौता

सोवियन संघ भारत की ओर था। सोवियत संघ, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र महासभा

by WEB DESK
Aug 16, 2023, 10:13 am IST
in भारत
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।

प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।

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सोवियन संघ भारत की ओर था। सोवियत संघ, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र महासभा के दबाव में सुरक्षा परिषद ने 20 सितंबर, 1965 को प्रस्ताव पारित किया और भारत-पाकिस्तान से 22 सितंबर तक युद्ध बंद करने को कहा

1965 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, तब चीन और अमेरिका पाकिस्तान की तरफ था, जबकि सोवियन संघ भारत की ओर था। सोवियत संघ, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र महासभा के दबाव में सुरक्षा परिषद ने 20 सितंबर, 1965 को प्रस्ताव पारित किया और भारत-पाकिस्तान से 22 सितंबर तक युद्ध बंद करने को कहा।

23 सितंबर को दोनों देशों के बीच युद्ध समाप्त हुआ। इसके बाद सोवियत संघ की मध्यस्थता में 4 जनवरी, 1966 को ताशकंद (अब उज्बेकिस्तान) में भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत शुरू हुई। 10 जनवरी, 1966 को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। लेकिन समझौते के कुछ घंटे बाद ही 11 जनवरी को ताशकंद में संदिग्ध परिस्थितियों में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई।

कांग्रेस में टूट

1966 में इंदिरा को प्रधानमंत्री बनाया गया, क्योंकि वह नेहरू की बेटी थीं। न तो उनके पास अनुभव था और न ही संगठन पर पकड़। 1967 के आम चुनाव में कांग्रेस की सरकार तो बन गई, लेकिन इस चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बीते तीन चुनावों के मुकाबले कमजोर रहा। हालांकि सरकार पर इंदिरा गांधी की पकड़ थोड़ी मजबूत हुई, लेकिन पार्टी में उनकी हैसियत कमजोर बनी रही। इंदिरा का विरोधी गुट, जिसमें कांग्रेस सिंडिकेट के सदस्य थे, वे उन्हें प्रधानमंत्री पद के योग्य नहीं मानते थे। इसलिए सिंडिकेट के कई सदस्यों ने इंदिरा गांधी को पद से हटाने की कोशिश की।

मई 1969 में तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद विरोधी गुट अपने किसी उम्मीवार को राष्ट्रपति बनाना चाहता था। इस क्रम में जब उन्होंने नीलम संजीव रेड्डी का नाम आगे किया तो इंदिरा गांधी खुल कर मैदान में आ गई। विरोधी गुट को जबरदस्त पराजय का सामना करना पड़ा।

तब विरोधी गुट के नेताओं ने 12 नवंबर, 1969 को अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए इंदिरा को पार्टी से बाहर कर दिया। इसके बाद पार्टी के दो टुकड़े हो गए। इंदिरा ने कांग्रेस (आर) यानी कांग्रेस रिक्विजिशनिस्ट नाम से पार्टी बनाई, जबकि दूसरे गुट ने अपनी पार्टी का नाम कांग्रेस (ओ) यानी कांग्रेस आर्गनाइजेशन रखा।

Topics: इंदिरा गांधीPresident of Pakistan General Ayub KhanIndira Gandhiअमेरिका पाकिस्तानUnited Nations General Assemblyसंयुक्त राष्ट्र महासभापाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वीभारत-पाकिस्तानराष्ट्रपति जाकिर हुसैनप्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीIndia-PakistanPresident Zakir HussainPrime Minister Lal Bahadur Shastri
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