इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछ़ड़े वर्ग के लोगों को अपनी पार्टी जदयू से जोड़ने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के नाम पर ‘कर्पूरी चर्चा’ कर रहे हैं। इसके साथ ही वे बिहार के मुसलमानों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ‘कारवाने इत्तिहाद और भाईचारा यात्रा’ निकलवा रहे हैं। यह यात्रा 1 अगस्त से शुरू हुई है, जो 6 सितंबर तक चलेगी। यात्रा के संयोजक हैं विधान पार्षद खालिद अनवर। जदयू का कहना है कि राजनीतिक लाभ के लिए भाजपा राज्य में नफरत फैला रही है। इससे सामाजिक सद्भाव बिगड़ रहा है। इसलिए सद्भावना यात्रा निकाली जा रही है। वहीं भाजपा का कहना है कि जदयू के कारण राज्य में नफरत फैल रही है। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी कहते हैं, ”रामनवमी हो या मुहर्रम, कुछ भी होता है, तो भाजपा के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध मामले दर्ज होते हैं। इससे लोगों में सरकार को लेकर बहुत गुस्सा है।” बता दें कि इन दिनों बिहार में भाजपा के नेताओं की गिरफ्तारी हो रही है। आरोप है कि ये लोग नफरत फैला रहे हैं।
वहीं बिहार के अनेक राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि दरअसल, नीतीश कुमार अपनी गिरती साख से परेशान हैं। उन्हें लगता है कि पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों को अपने साथ जोड़ लेने से 2025 के विधानसभा चुनारव में उनकी नैया पार हो जाएगी। इसलिए वे कर्पूरी चर्चा से लेकर ‘कारवाने इत्तिहाद और भाईचारा यात्रा’ तक करवा रहे हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि कर्पूरी चर्चा वे जिस मंशा को पूरा करने के लिए कर रहे हैं, वह पूरी नहीं हो रही है। इसके उदाहरण हैं नीतीश के बहुत ही पुराने साथी रहे प्रमोद चंद्रवंशी। गत 7 अगस्त को प्रमोद चंद्रवंशी नई दिल्ली में भाजपा में शामिल हो गए। बिहार भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े ने उन्हें भाजपा में शामिल कराया। इस अवसर पर विनोद तावड़े ने कहा कि प्रमोद चंद्रवंशी के भाजपा में आने से बिहार में पार्टी की ताकत बढ़ेगी।
बता दें कि प्रमोद चंद्रवंशी ने इस वर्ष मार्च में जदयू से त्यागपत्र दे दिया था। कुछ समय पहले ही उनके भाई की हत्या हो गई थी। प्रमोद चंद्रवंशी का कहना है कि जदयू और राजद के कार्यकाल में बिहार में अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हुए हैं।
प्रमोद चंद्रवंशी का भाजपा में आना जदयू के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। बता दें कि जदयू पिछड़ी जातियों के नाम पर राजनीति करता रहा है। इसी के तहत बिहार सरकार इन दिनों पिछड़ी जातियों की गणना भी करवा रही है। इसके बावजूद उससे पिछड़ी जाति के नेता जदयू से बिदक रहे हैं। इनमें से एक प्रमुख नाम है जदयू के पूर्व अध्यक्ष आर.सी.पी. सिंह। अब आर.सी.पी. का एक ही सपना है नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाना। जिस तरह जदयू से लोग निकल रहे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाला समय नीतीश कुमार के लिए चुनौती भरा होने वाला है।
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