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‘जासूस’ टिकटॉक पर ‘फुलस्टॉप’

भारत की पहल पर, अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और कनाडा जैसे पश्चिमी देशों की सरकारों ने अपने यहां इस एप को प्रतिबंधित किया। इस बात में किसी को कोईसंदेह नहीं है कि टिकटॉक के माध्यम से बीजिंग में बैठे गुप्तचर सुरक्षा तथा डाटा की गोपनीयता को खतरा पैदा करते हैं

by Alok Goswami
Apr 12, 2023, 01:45 pm IST
in भारत, विश्व, विश्लेषण
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भारत सहित दुनिया के सभी प्रमुख देशों के इस कदम से टिकटॉक की मूल कंपनी ‘बाइटडांस’ और चीन की जिनपिंग सरकार का बौखलाना स्वाभाविक ही था। टिकटॉक ने आस्ट्रेलिया के उक्त कदम पर गहन आपत्ति दर्ज कराई है।

जासूसी और उपभोक्ताओं की निजी जानकारियों पर हाथ साफ करने को लेकर दुनियाभर में बदनाम हो चुके चीन के टिकटॉक एप पर लगातार गाज गिर रही है। भारत की पहल के बाद, दुनिया के कुछ बड़े देशों में इस पर रोक लगाई जा चुकी है। इस सूची में ताजा नाम जुड़ा है आस्ट्रेलिया का। अब यहां भी सरकारी अधिकारी और आम कर्मचारी अपने फोन में इस एप को नहीं रख पाएंगे।

आस्ट्रेलिया की सरकार अंतत: कम्युनिस्ट चीन के इस खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए बदनाम हो चुके एप के विरुद्ध सख्त कदम उठाने की ठान चुकी है। गत 4 अप्रैल को वहां सरकारी उपकरणों में चीन के इस लघु वीडियो एप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई है। भारत, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और यूरोपीय संघ के अनेक प्रतिष्ठानों की तरह ही, चीन के इस ‘दागदार एप’ टिकटॉक पर आस्ट्रेलिया ने भी पूरी छानबीन के बाद प्रतिबंध लगाया है।

आस्ट्रेलिया के महान्यायवादी मार्क ड्रेफुस ने 4 अप्रैल को जारी किए अपने वक्तव्य में कहा है कि गुप्तचर तथा सुरक्षा एजेंसियों के साथ परामर्श करने के बाद यह प्रतिबंध लागू किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि भारत ने 2020 में गलवान में चीन के साथ छिड़े संघर्ष के वक्त टिकटॉक की हरकतों को पकड़ते हुए इस पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। टिकटॉक के अलावा भारत ने तो अन्य 50 से ज्यादा चीनी एप प्रतिबंधित किए हैं। उसके बाद अमेरिका की गुप्तचर एजेंसियां सतर्क हुर्इं और वहां भी हुआवेई सहित टिकटॉक को मर्यादाओं और उस देश में लागू कायदों की धज्जियां उड़ाते पाया गया। अमेरिका ने भी बिना वक्त गंवाए दोनों कंपनियों को अपने बाजार से बाहर कर दिया।

यूरोपीय संघ की संसद ने न सिर्फ अपने सांसदों को यह एप अपने फोन से हटा देने को कहा है बल्कि वहां कार्यरत कर्मचारियों को भी अपने फोन आदि से इस एप को हटाने को कहा गया है। यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संघ परिषद ने भी टिकटॉक पर ऐसी ही पाबंदी लगाई हुई है।

भारत ने 2020 में गलवान में चीन के साथ छिड़े संघर्ष के वक्त टिकटॉक की हरकतों को पकड़ते हुए इस पर और अन्य 50 से ज्यादा चीनी एप्स पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। इसके बाद अमेरिकी गुप्तचर एजेंसियां सतर्क हुईं।

भारत सहित दुनिया के सभी प्रमुख देशों के इस कदम से टिकटॉक की मूल कंपनी ‘बाइटडांस’ और चीन की जिनपिंग सरकार का बौखलाना स्वाभाविक ही था। टिकटॉक ने आस्ट्रेलिया के उक्त कदम पर गहन आपत्ति दर्ज कराई है। आस्ट्रेलिया में प्रतिबंध लगने के बाद, वहां ‘बाइटडांस’ कंपनी के महाप्रबंधक ली हंटर का बयान आया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘हमें आस्ट्रेलिया सरकार के निर्णय से बहुत निराशा हुई है। यह निर्णय, हमारे अनुसार, राजनीतिक आधार पर किया गया है, तथ्य के आधार पर नहीं’।

हंटर ने कहा कि ‘ऐसा कोई सबूत नहीं है कि टिकटॉक किसी भी तरह आस्ट्रेलिया के नागरिकों की सुरक्षा को खतरा पैदा करता है। इसे दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म से अलग माना जाना ठीक नहीं है’। हंटर ने आस्ट्रेलिया सरकार से यह अनुरोध भी किया है कि सभी कारोबारों के साथ ‘वे किस देश से हैं, उसकी चिंता किए बिना’ निष्पक्ष व्यवहार किया जाए।

लेकिन भारत सहित इस एप को अपने यहां प्रतिबंधित करने वाले अन्य पश्चिमी देशों की सरकारों को इस बात पर जरा संदेह नहीं है कि टिकटॉक के पीछे बीजिंग में बैठे गुप्तचर सुरक्षा तथा डाटा की गोपनीयता को खतरा पैदा करते हैं। इस एप को बीजिंग के बारे में गलत जानकारियों का प्रसार करने के लिए प्रयोग किए जाने का भी खतरा है।

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