काशी तमिल संगमम् में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि काशी और तमिल के मंदिरों की देन है कि आज भी हिन्दू समाज अपने संस्कारों के साथ कनेक्ट है। हमारे मंदिरों का योगदान समाज को जोड़ना है। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसलिए इस तरह की योजना बनाई है हम सब एक होकर राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा दें। मंदिर हमारी परंपराओं की पहचान है।
विदेश मंत्री ने कहा दुनिया भर के मंदिरों को संरक्षित करने की जरूरत है। नेपाल, चीन, भूटान, कंबोडिया, श्रीलंका, बांग्लादेश, अमेरिका समेत कई देशों में हजारों मंदिर हैं। सऊदी अरब जैसे देश में मंदिर की स्थापना ग्लोबल विलेज की कल्पना का एक हिस्सा है। कंबोडिया का अंकोरवाट विश्व विख्यात मंदिर है। जिसे जीर्णोद्धार कर संरक्षित किया गया है। विश्व पटल पर ऐसे प्रयास चल रहे हैं।
विशिष्ट वक्ता के रूप में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि हमारे पूर्वजों एवं ऋषियों ने समाज के प्रत्येक क्षेत्र के लोगों को मंदिरों ने जोड़ा। जब कभी कोई संकट राष्ट्र के सामने आया तो इन्हीं मंदिरों के प्रतिनिधियों ने उसको दूर किया। जिसके अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं, हमारे मंदिर राष्ट्रीय चेतना के संवाद हैं।
प्रो द्विवेदी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की देन है कि आज हमारे मंदिरों को संवारने का काम हो रहा है। तमिलनाडु के एम नचियप्पन ने कहा कि तमिलनाडु के मंदिरों में आज भी हिन्दू धर्म सुरक्षित है और तमिल की जनता मोदी जी को धन्यवाद देती है। भारत में मंदिरों ने समाज को जोड़ने का काम किया है। काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि काशी तमिल संगमम् ने समाज में एक नया विश्वास जगाया है।
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