प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने के अपने अभियान के तहत गुरुवार को राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट के पास आजादी की लड़ाई के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया तथा राष्ट्रपति भवन तक जाने वाले मुख्य मार्ग राजपथ का नामकरण ‘कर्तव्य पथ’ के रूप में किया।
गुलामी के दौर में राजपथ का नाम किंग्सवे था तथा इंडिया गेट के पास एक छतरी के नीचे ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम की प्रतिमा स्थापित थी। आजादी के कुछ वर्ष बाद जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हटा दी गई थी। इसके बाद यह स्थान खाली पड़ा था। प्रधानमंत्री ने 28 फुट ऊंची और छह फुट चौड़ी नेताजी की प्रतिमा का अनावरण करने के साथ ही राजपथ का ‘कर्तव्य पथ’ के रूप में विधिवत नामकरण किया।
प्रधानमंत्री ने इससे पहले इंडिया गेट पर कर्तव्य पथ के पुनर्विकास से जुड़ी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास कार्य में शामिल श्रमजीवियों से बातचीत की। प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस परेड में सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास परियोजना पर काम करने वाले सभी लोगों उनके विशेष अतिथि होंगे।
सरकार के अनुसार सत्ता के प्रतीक राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना जन प्रभुत्व और सशक्तिकरण का एक उदाहरण है। यह कदम प्रधानमंत्री के ‘पंच प्राण’ में से एक की तर्ज पर है यानी ‘औपनिवेशिक मानसिकता का कोई भी निशान मिटाएं।’
सरकार के अनुसार वर्षों से, राजपथ (अब कर्तव्यपथ) और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के आसपास के इलाकों में आगंतुकों की बढ़ती भीड़ का दबाव देखा जा रहा था, जिससे इसके बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ रहा था। इसमें सार्वजनिक शौचालय, पीने के पानी, स्ट्रीट फर्नीचर और पार्किंग स्थल की पर्याप्त व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। इसके अलावा, मार्गों के पास अपर्याप्त बोर्ड, पानी की खराब सुविधाएं और बेतरतीब पार्किंग थी। साथ ही, गणतंत्र दिवस परेड और अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान कम गड़बड़ी और जनता की आवाजाही पर कम से कम प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता महसूस की गई। इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए पुनर्विकास किया गया जबकि वास्तु शिल्प का चरित्र बनाये रखने और अखंडता भी सुनिश्चित की।
कर्तव्य पथ बेहतर सार्वजनिक स्थानों और सुविधाओं को प्रदर्शित करेगा, जिसमें पैदल रास्ते के साथ लॉन, हरे भरे स्थान, नवीनीकृत नहरें, मार्गों के पास लगे बेहतर बोर्ड, नई सुख-सुविधाओं वाले ब्लॉक और बिक्री स्टॉल होंगे। इसके अलावा इसमें पैदल यात्रियों के लिए नए अंडरपास, बेहतर पार्किंग स्थल, नए प्रदर्शनी पैनल और रात्रि के समय जलने वाली आधुनिक लाइटों से लोगों को बेहतर अनुभव होगा। इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, भारी वर्षा के कारण एकत्र जल का प्रबंधन, उपयोग किए गए पानी का पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन और ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था जैसी अनेक दीर्घकालिक सुविधाएँ शामिल हैं।
वहीं प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का भी अनावरण किया। यह प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस (23 जनवरी) के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था। ग्रेनाइट से बनी यह प्रतिमा हमारे स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के अपार योगदान के लिए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है और देश के उनके प्रति ऋणी होने का प्रतीक है। मुख्य मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा तैयार की गई 28 फुट ऊंची और छह फुट चौड़ी प्रतिमा को एक ग्रेनाइट पत्थर से उकेरा गया है और इसका वजन 65 मीट्रिक टन है।
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