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‘प्रतिबंध हटाओ, गेंहू पाओ’, दुनिया में अनाज संकट पर रूस ने की दो टूक बात

खाद्यान्न संकट गंभीर होता जा रहा है, दुनियाभर में हाहाकार मचने लगा है, कीमतें आसमान छू रही हैं। इससे लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं। रूस इस स्थिति से उबार सकता है क्योंकि वह गेहूं का दुनिया में सबसे बड़ा निर्यातक है

by WEB DESK
Jun 9, 2022, 12:00 pm IST
in विश्व
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

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एक तरफ यूक्रेन—रूस संघर्ष लंबा खिंचता जा रहा है तो दूसरी तरफ दुनिया के एक बड़े हिस्से में खाद्यान्‍न संकट की वजह से हाहाकार मच रहा है। कारण, यूक्रेन और रूस ही ज्यादातर अनाज उपलब्ध कराते हैं। इन हालात में दुनिया रूस की तरफ देख ही रही है। उधर रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पश्चिमी देशों के सामने एक शर्त रखी है। पुतिन ने साफ कहा है कि उस पर लगे प्रतिबंध हटाए जाएं तो वह गेंहू अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचा सकता है।

उल्लेखनीय है कि खाद्यान्न संकट गंभीर होता जा रहा है और दुनियाभर में हाहाकार मचने लगा है, कीमतें आसमान छू रही हैं। इससे लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं। रूस इस स्थिति से उबार सकता है क्योंकि वह गेहूं का दुनिया में सबसे बड़ा निर्यातक है। इतना ही नहीं, यूक्रेन की गेहूं निर्यात व्यवस्था पर भी रूस का ही आधिपत्य हो चुका है।

आज जो परिस्थितियां पैदा हुई हैं उन्हें देखकर रूस ने साफ कह दिया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की आपूर्ति चाहिए तो उसके ऊपर लगे प्रतिबंध हटने चाहिए। ऐसा न होने पर उसके लिए समुद्री रास्ते से गेहूं की आपूर्ति कर पाना संभव नहीं है। हैरानी की बात है कि नाटो के सदस्य देश तुर्किए ने रूस की इस शर्त का समर्थन किया है। उसने कहा है कि रूस की बात कानूनी तोर पर सही है। लेकिन एक अन्य देश इटली ने उलटे रूस से ही कहा है कि यूक्रेन को गेहूं के निर्यात का रास्ता दें।

गौर करने की बात है कि दुनियाभर में रूस गेहूं और खनिज उवर्रक का सबसे बड़ा निर्यातक है। युद्ध में बनी परिस्थितियों की वजह से फिलहाल गेहूं के दूसरे बड़े निर्यातक यूक्रेन की गेहूं निर्यात व्यवस्था पर भी रूस का दबदबा हो गया है। ऐसे में यदि रूस की शर्त को नहीं माना जाता तो उसका सीधा असर ये होगा कि पूरी दुनिया में खाद्यान्न का भीषण संकट पैदा हो जाएगा।

यही वजह है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आदेश जारी किया है कि रूस पर पश्चिमी देशों के लगे सभी प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रतिबंध हटाएं जाएं, तभी गेहूं का निर्यात शुरू किया जाए। राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने यह जानकारी सार्वजनिक की है।

क्रेमलिन के प्रवक्ता ने बताया है कि यूक्रेन युद्ध के विरोध में लगे प्रतिबंधों की वजह से रूस के जहाजों के बीमा, भुगतान और यूरोपीय बंदरगाहों में ठहरने पर रोक लगाई गई है। इसके चलते समुद्र में मालवाहक जहाजों का आवागमन संभव नहीं है। रूस द्वारा गेहूं निर्यात में आ रही व्यावहारिक रुकावटों के बारे में संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों को बताया गया है। लेकिन कोई भी बुनियादी वजहों की बात ही नहीं कर रहा है।

नाटो के सदस्य देश तुर्किए के विदेश मंत्री कावूसोग्लू ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से वार्ता के बाद कहा कि रूस की मांग उचित है। रूस और यूक्रेन मिलकर दुनिया की जरूरत का करीब 33 प्रतिशत गेहूं निर्यात करते हैं। रूस उवर्रक का सबसे बड़ा निर्यातक है तो यूक्रेन बड़ी मात्रा में मक्का और सूरजमुखी तेल का भी निर्यात करता है।

Topics: kremlinrussiaputinukrainwheatfoodscarcityworldnatoturkiye
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