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लोकतंत्र पर घुन की तरह चिपके भ्रष्ट राजनेता.

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Mar 3, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 03 Mar 2014 12:53:04

आवरण कथा ह्यलड़ाई लोकतंत्र सेह्ण से प्रतीत होता है कि आम जनमानस, जो बड़े विश्वास के साथ जनप्रतिनिधियों को चुनकर सत्ता के शीर्ष पर भेजते हैं वे ही आज उसको नष्ट करने पर उतारू हैं। लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ ही है लोगों का तंत्र, लेकिन शायद यह परिभाषा अब धूमिल होती जा रही है। आज सत्ता के सिंहासन पर सच्चे जनप्रतिनिधियों के बजाय एक परिवार द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि या व्यवस्था के नाम पर बंधक बनाने पर उतारू अराजक टोलियां लोकतंत्र पर हावी हैं, जो लोकतंत्र को बौना साबित करने के लिए रात-दिन कुचक्र में लगी हैं।

-उदय कमल मिश्र

सीधी (म.प्र.)

 

– आज लोकतंत्र नाम का लोकतंत्र रह गया है। जिस लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी होनी चाहिए थी वहां पर कुछ ऐसे लोगों का कब्जा है, जो परिवार को पूजते हैं। जहां उजले दिखते चेहरोंगिरोहबंदी है, जो इस लोकतंत्र के खिलाफ है।

-ब्रजेन्द्र कुमार अग्रवाल

पीलीभीत (उ.प्र.)

 

– वंशवाद के चलते आज कांग्रेसी नेता अपने स्वार्थ के लिए लोकतंत्र को घुन की तरह खा रहे हैं। वोट के नाम पर लोगों को बांट कर कै से राज किया जाये उसकी जुगत में वे कुछ भी कर गुजरने को हरदम तैयार रहते हैं। यह सब जानते हैं कि इसी वंशवाद ने समाज को कितने ही घाव दिये हैं। लेकिन आज हम सभी के पास समय है, जब हम खोखला करते लोकतंत्र व अराजकता को परास्त करने वालों को जवाब दे सकते हैं।

-लक्ष्मी चन्द्र

ग्राम-बांध कसौली

 

 

जिला-सोलन (हि.प्र.)

वेलेन्टाइन नहीं वसंत पञ्चमी मनाएं आज देखा जा रहा है कि अधिकतर पाश्चात्य देशों में लोग भारतीय संस्कृ ति को पसंद कर उसको अपना रहे हैं। लेकिन इन सभी के बीच कुछ हमारे ही भाई-बहन जबरदस्ती पाश्चात्य त्योहारों को मनाने के लिए उतावले दिखाई पड़ते हैं। उनको जानकारी होनी चाहिए कि कुछ ईसाई मिशनरियां हमारी संस्कृति को नष्ट करने के लिए इस प्रकार के त्योहारों को भारत में बढ़ावा देकर षड्यंत्र रचती हैं। लेकिन युवाओं को ऐसे त्योहारों से बचना चाहिए क्योंकि हमारे यहां तो हर दिन पावनहोता है।

-कुवर वीरेन्द्र सिंह 'विद्रोही'

कम्पू ,लश्कर,ग्वालियर (म.प्र.)

 

 

नेहरू की तुष्टीकरण नीति

आज से नहीं सदैव से ही नेहरू-गंाधी परिवार तुष्टीकरण की नीति को अपनाकर देश को तोड़ने की साजिश करता रहा है। लेकिन कुछ समय पहले कांग्रेस ने जिस विष के बीज बोये थे आज उसके विषैले फल लगने लगे हैं, जो उसको ही नष्ट करने के लिए तैयार हैं। यह वही कांग्रेस है,जिसने अल्पसंख्यकवाद और बहुसंख्यकवाद के नाम से देश को दो खंडों में विभाजित कर अपनी वोट बैंक की राजनीति को पाला-पोसा । लेकिन आज जनता ने उसकी मानसिकता को भांप लिया है और आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका खामियाजा भी उसको भुगतना पड़ेगा।

-मनोहर मंजुल

पिपल्या-बुजुर्ग,प.निमाड (म.प्र.)

 

ममता का चेहरा उजागर

ममता सरकार ने सिमी के कट्टर समर्थक को राज्यसभा में भेजने का जो निर्णय लिया है वह देश विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। क्योंकि सिमी एक आतंकवादी संगठन है, जो देश में होने वाली कई आतंकवादी घटनाओं में वंछित भी है, जिसके चलते उसे के न्द्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित भी किया गया है। लेकिन इन सब के बाद भी ममता द्वारा ऐसा घृणित कार्य करना यह दर्शाता है कि यह कदम उन्होंने पं.बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव में मुसलमानों के वोट पाने के लिए किया गया । उनका यह कदम भारतीय लोकतंत्र की अखण्डता के खिलाफ है क्योंकि एक जिहादी सोच वाले व्यक्ति को राज्यसभा में बैठाना देश हित में घातक है।

– हरिओम जोशी

चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्र.)

 

घर में ही छुपे हैं भेदिये

वर्तमान केन्द्र सरकार न तो देश के बाहर की चिन्ता कर रही है और न ही देश के अन्दर की। जहां सीमा पर पाकिस्तानी व चीनी सेना द्वारा कभी भी घुसपैठ करके हमारे सैनिकों के सिर काटकर हमारी ही चौकियों पर कब्जा जमा लिया जाता है। तो दूसरी ओर नक्सली जो देश के अन्दर आतंक का माहौल बनाकर देश विरोधी शक्तियों के साथ मिलकर आए दिन अनेकों घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। फिर भी हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते है कि हम जवाबी कार्रवाई करने पर विचार विमर्श कर रहे हैं। समय गुजर जाता है और कार्रवाई कागजों में ही रह जाती है। सवाल यह है कि ऐसी सरकार और ऐसे प्रधानमंत्री से क्या अपेक्षा की जा सकती है?

– रमेश कुमार मिश्र

कान्दीपुर,अम्बेडकरनगर (उ.प्र.)

 

स्वदेशी अपनाओ,विदेशी भगाओ

चीन हमारे देश में अपने यहां की निर्मित वस्तुओं को बेचकर उससे जो आय होती है उस आय का 75 प्रतिशत अपनी सेना के साजोसामान पर व्यय करके अत्याधुनिक हथियार से सेना को मजबूत करता है , जिसके बाद समय आने पर उसका प्रयोग पलटकर भारत पर ही कर देता है। लेकिन इतना सब होने के बाद न तो भारत सरकार और न ही भारत में रहने वालों लोगों को आंखों से कुछ दिखाई देता है। प्रतिदिन चीन करोड़ों रुपयों का कारोबार भारत से करता है। इससे न केवल हमारी अर्थव्यवस्था कमजोर होती है बल्कि स्वदेश में जो चीजें निर्मित होती हैं उन उद्योग-धन्धों पर संकट छाता है। हम सभी को चाहिए कि देश में निर्मित की जाने वाली चीजों का प्रयोग करें,जिससे हमारे घरेलू उद्योग-धंधे बचेंगे और साथ ही हमारा दुश्मन भी आर्थिक रूप से कमजोर होगा।

-राम पाण्डेय

गा्रम-शिवगढ़,जिला-बछरावां (उ.प्र.)

 

हिन्दुओं पर हो रहा उत्पीड़न

जम्मू-कश्मीर में आज भी हिन्दुओं का उत्पीड़न खुलेआम हो रहा है। आए दिन श्रीनगर व कश्मीर से इस प्रकार के समाचार प्रकाश में आते रहते हैं। लेकिन इतना कुछ होने के बाद न तो केन्द्र सरकार और न ही प्रदेश सरकार द्वारा कोई ठोस कदम उठाया जाता है। सवाल यह है कि आखिर हिन्दुओं के साथ ही ऐसा क्यों होता है?

-निमित जायसवाल

रामगंगा विहार,मुरादाबाद (उ.प्र.)

 

आआपा की हकीकत

अरविंद केजरीवाल को पता था कि सरकार चलाना उनके बस की बात नहीं है और कांग्रेस उन्हें सरकार चलाने भी नहीं देगी। फिर भी उन्होंने अपने सत्तालोलुप साथियों के दबाव में आकर ह्यझाड़ू वाले हाथह्ण की सरकार बनायी।

अब इस नूराकुश्ती की समाप्ति और उनकी सरकार के त्यागपत्र के बाद यही कहना ठीक होगा कि आआपा न तो भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए बनी थी और न ही दिल्लीवासियों के दुख दर्द को दूर करने के लिए, वह तो सत्ता और राजनीति करने के लिए बनी थी । कांग्रेस के साथ नूराकुश्ती का खेल पूरे देश ने देख लिया है । शायद ही अब कोई ऐसा हो जो इनकी कारगुजारियों से परिचित न हो गया हो।

-विजय कुमार

रामकृष्णपुरम, नई दिल्ली

 

– जरीवाल सरकार अपने वायदे पूरे भी नहीं कर पाई और तब तक अपने ही द्वारा बनाई गई कई तरह की समस्याओं में घिर कर उसने सत्ता से त्याग पत्र दे दिया। लेकिन यह त्याग पत्र उसने लालच के चलते दिया है क्योंकि लोकसभा चुनाव नजदीक है इसलिए लोगों को उसने यह बताने का प्रयास किया है कि उसे सत्ता का कोई भी मोह नहीं है और हम आमजन की मांगों के लिए सत्ता को छोड़ रहे हैं। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि सब जानने के बाद भी उसने कांग्रेस पार्टी जो भ्रष्टाचार में सिर सें पैर तक डूबी हुई थी के साथ गठबंधन किया, क्यों?

-डॉ. आनन्द भारतीय

गा्रम-वसंतपुर,जिला चम्पारण(बिहार)

 

शुल्क बढ़ाना निंदनीय

चीन द्वारा कैलास मानसरोवर की यात्रा का शु़ल्क बढ़ाना अत्यधिक निंदनीय है। हिन्दू तीर्थ स्थलों पर प्रत्येक वर्ष किसी ना किसी प्रकार राजनीति करके कभी देश के अन्दर से तो कभी देश के बाहर से श्रद्घालुओं को ठेस पहंुचायी जाती है। लेकिन धार्मिक स्थानों पर राजनीति को छोड़कर सरकार को चाहिए कि वह इसमें हस्तक्षेप करके इस बढ़े हुए किराये को वापस करवाये।

-सूर्यप्रताप सिंह

कांडरवासा (म.प्र.)

 

कार्यशैली में हो रहा बदलाव

राजनीतिक दल लोक-लुभावन घोषणा कर अपना वोट बैंक पक्का करते हैं,लेकिन अब आम जनमानस जागरूक हो गया है। अब वह राजनेताओं के छलावे में नहीं आने वाला इसलिए कुछ दिनों से राजनैतिक दलों की कार्यशैली में बदलाव भी नजर आने लगा है।

-संजय राज हिराणी

चैन्नई-79

 

भ्रष्टाचार का बढ़ता दायरा

भौतिक सुविधा की अंधी दौड़ में आज भ्रष्टाचार ने अपने पांव पसार रखे हैं। नीचे से लेकर ऊपर तक सारा सिस्टम भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है। ऐसे में जनता जाए तो कहां जाए? विधायिका पर से भरोसा उठ चुका है,कार्यपालिका अपना कार्य पूरे तरीके से कर नहीं रही। जनता को खुद जागना होगा और इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी तब ही यह समाप्त होगा।

-संतोष सिंह भागली

पुरोहितान (बिहार)

 

दुख के साथी

पिछले वर्ष जून माह में आई आपदा ने केदारनाथ में भारी तबाही मचाई,जिससे देश-विदेश के अनगिनत नागरिकों के जान-माल का नुकसान हुआ। पर इस आपदा की घड़ी में जिन वीर साहसी व स्थानीय लोगों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए सैकड़ों लोगों की जाने बचाकर उन्होंने जो महत्वपूर्ण कार्य किया है वह अपने आप में गौरव पूर्ण है लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा ऐसे लोगों को नजर अंदाज कर देना निंदनीय और शर्मनाक है।

-उमेदुलाल

पटूड़ी, टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड)

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