सद्व्यवहार की सीख
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परिवारों को बचाए और बनाए रखने के लिए शुरू हुए जन अभियान ह्यकुटुम्ब प्रबोधनह्ण ने एक पुस्तक कुटुम्ब प्रबोधनी प्रकाशित की है। हाल ही में छप कर आई पुस्तक कुल 56 पृष्ठों की है। ठीक नाम के अनरूप यह परिवार को जगाती हुई प्रतीत होती है।
इस पुस्तक में लेखक द्वारा बताया गया है कि परिवार के नित्य दिनचर्या में प्रात:काल से रात सोने तक क्या-क्या करें जिससे दिन अच्छी प्रकार से व्यतीत हो बताया गया है। इसमें उन सभी विषयों को समाहित किया गया जिनको अगर परिवार में अपनाया जाए, तो परिवार एक सुसंस्कारवान, विद्यावान, और राष्ट्रभक्त बन सकता है।
पुस्तक में सबसे पहले शीर्षक जानकारी के अन्दर जिक्र किया गया है कि हमें अपने शरीर के लिए खाने में किन-किन चीजों का प्रयोग करना चाहिए, जल्दी सोना और क्यों जल्दी उठना चाहिए, प्राणायाम करने से क्या लाभ होते हैं एवं घर व बाहर क्या पहनना या क्या नहीं पहनना चाहिए जैसी बातों को बताया गया है। साथ ही इस पुस्तक में कुछ मंत्र और भजन दिए गए हैं, जिनसे घर का वातावरण भक्तिमय हो जाता है। पुस्तक में सबसे रोचक मेरी भावना नामक गीत के खंड 4 में कुछ पंक्ति-
अहंकार का भाव न रक्खूं, नहीं किसी पर क्रोध करूं,
देख दूसरों की बढ़ती को, कभी न ईर्ष्या-भाव धरूं,
रहे भावना ऐसी मेरी, सरल-सत्य व्यवहार करूं बने जहां तक इस जीवन में, औरों का उपकार करुं ऐसे अनेक गीत इसमें समाहित हैं।
इसके अलावा इस पुस्तक में आज के समय में स्वस्थ कैसे रहें के लिए लेखक ने ह्यस्वस्थ रहें शीषर्कह्ण में बताया है कि फलों में क्या लेना, सब्जियों में किन-किन सब्जियों को खाना। इस सबकोे गीतों के माध्यम से बडे़ ही मनोहर रूप में लेखक ने प्रस्तुत किया है। समीक्षक
पुस्तक का नाम-कुटुम्ब प्रबोधनी
पृष्ठ संख्या-56
सहयोग राशि -30 रुपए
प्रकाशक – कुटुम्ब प्रबोधन
दिल्ली प्रांत केशव कुंज,
देशबन्धु गुप्ता मार्ग,
झण्डेवाला, दिल्ली-110055
मंगलकारी दिनचर्या
समाज में रहने के लिए मनुष्य को अनेक चीजों का ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि जीवन को अच्छे प्रकार से चलाने के लिए हमें कुछ सूत्रों को याद रखना व अपनी दिनचर्या में उतारना पड़ता है, इसके फलस्वरूप उसका हमें लाभ मिलता है।
परिवार और समाज की अनेक चीजों को समेटती पुस्तक ह्यमंगल भवन अमंगलहारीह्ण मूल रूप से कन्नड़ भाषा के ह्यमनेये मांगल्यह्ण का हिंदी अनुवाद है, जो हाल ही में प्रकाशित होकर आयी है। यह पुस्तक पूर्णरूप से समाज और परिवार पर आधारित है। इसमें बताया गया है कि परिवार क्या है, परिवार का आचरण कैसा होना चाहिए एवं प्रारम्भ में ही बच्चों को किस प्रकार के संस्कार दिए जाए जिससे बच्चों का जीवन उज्ज्वल हो सके, आदि महत्वपूर्ण बातेंं बताई गयी हैं।
पुस्तक में ह्यपेयजल, दूध, सब्जियां आदिह्ण नाम से शीर्षक दिया गया है जिसके अंदर कुछ ऐसी अनमोल बातों को बताने का प्रयास किया है जैसे सब्जी कौन लाता है। लाते समय किन-किन बातों को ध्यान रखते हैं? क्या आपको चुन के सब्जी लाने की कला ज्ञात है? जैसी बड़ी ज्ञान की बातें लेखक ने इसमें संकलित की हैं। परिवार में अक्सर हम अनेक उन छोटी बातों को भूल जाते है जिसके कारण हमें हानि उठानी पड़ती है, जैसे यदि घर में कोई बीमार है तो उसे क्या-कुछ देना चाहिए? खाने में परहेज युक्त भोजन कैसा होना चाहिए, वैद्य की सलाह से औषधि दे रहे हैं आदि चीजों को गहनता से बताया गया है। साथ ही आज के समय जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात है व्यवहार कुशलता उसके बारे में ह्यव्यवहार कुशलताह्ण के शीर्षक में पूर्ण से बताया गया है।
इस पुस्तक के सार की बात करें तो अध्याय 3 के ह्यसमाज समष्टिह्ण शीर्षक में वह सब बताने का पूरा प्रयास किया गया है जिसकी प्रत्येक व्यक्ति को खोज रहती है जिसको वह जानने के लिए काफी उत्सुक रहता है, जैसे ईश्वर का नाम क्या है? ईश्वर कहां है? ईश्वर कब जागृत रहता है? ईश्वर का काम क्या है एवं ईश्वर का साक्षात्कार कैसे करना चाहिए? जैसी अनेकों बातों का समावेश किया गया है।
पुस्तक का नाम – मंगल भवन अमंगलहारी
लेखक -समीक्षक
पृष्ठ संख्या-362
मूल्य-120 रु.
दैनिक ज्ञान की कुंजी
ेसमाज या परिवारों में क्या करना, क्या नहीं करना एवं किन-किन चीजों को करने से व्यक्ति को उसका लाभ मिलता है। आज के भाग-दौड़ भरे युग में व्यक्ति में व्यावहारिकता व संस्कार का क्षरण हो रहा है। इन तमाम चीजों के विषय में बड़ी सरलता के साथ प्रकाशक परिवार प्रदीपिका ने ह्यपरिवार पाथेयह्ण नाम से पुस्तिका को प्रकाशित किया है। यह पुस्तिका मात्र 24 पृष्ठों की है। आज के समय व्यवस्था को देखकर यह पुस्तिका लोगों के लिए अमृत रूपी कलश के समान सिद्व होगी, क्योंकि इसमे कई चरणों में उन चीजों का वर्णन किया गया है जिनके करने मात्र से ही जीवन धन्य बन सकता है।
पुस्तिका में सबसे पहले सुखी होने के लिए हम सबको करना ही है नाम के शीर्षक से पाठ है, जिसके अंदर सूर्योदय से लेकर रात्रिकाल के समय तक प्रत्येक व्यक्ति को क्या-क्या करना चाहिए, ताकि जीवन में प्रसन्नता का आभास हो सके। साथ ही पुस्तिका में महिलाओं के लिए विशेष चीजें बताईं गइंर् हैं। पृष्ठ 9 पर बताया गया है कि महिलाओं को सवेरे उठते ही घर के सामने पानी डालकर,साफ करके रंगोली डालना एवं जब घर में कभी विशेष पकवान तैयार करें तो अपने परिवार के कुछ घरों में उनको देना जैसी अनेक छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातें इसमें संकलित की गई हैं।
इस पुस्तिका में हमारी विशेष आस्थाएंं नाम का शीर्षक है जिसके अंदर वह सभी बाते हैं, जिनको अगर व्यक्ति अपनी दिनचर्या में उतार ले तो वह कभी भी परेशान नहीं होगा और न ही उसको कोई कष्ट होगा, जैसे परिवार ही स्वर्ग है, यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता जैसी चीजों को बिंदुवार बतलाया गया है।
24 पृष्ठों की यह पुस्तक गागर में सागर के समान है, बडे़े ही छोटे-छोटे वाक्यों में चीजों को बताने का पूरा प्रयास किया गया है।
पुस्तक का नाम – परिवार पाथेय
लेखक – समीक्षक
पृष्ठ संख्या-24
मूल्य-10 रु.
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