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नाम के राजा ने देश के राजा (प्रधानमंत्री) को सीधे-सीधे अपना संगी-साथी बता दिया, पर मौनी बाबा ने मौन ही साथ रखा है। 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाले के प्रमुख आरोपी डी. राजा ने अब लिखित तौर पर साफ कर दिया है कि वे मंत्री के तौर पर जो कुछ भी कर रहे थे, प्रधानमंत्री को सब पता था। और तो और, तत्कालीन विदेश मंत्री और वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी सच जानते हैं और इस मामले में भारत सरकार के महाधिवक्ता जी.ई. वाहनवती झूठ बोल रहे हैं।
2जी घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के सामने पूर्व केन्द्रीय मंत्री डी. राजा खुद पेश नहीं हो सके इसलिए समिति ने उन्हें जांच संबंधी कुछ प्रश्न भेजे थे। अपने 12 पन्नों के लिखित जवाब में डी. राजा ने संयुक्त संसदीय समिति को बताया- 'मेरे और प्रधानमंत्री के बीच दूरसंचार क्षेत्र से जुड़े अनेक मुद्दों को लेकर 2 नवम्बर, 2007 को पत्र व्यवहार हुआ था और उसके बाद इसी विषय पर व्यक्तिगत रूप से वार्ता भी हुई थी। इन चर्चाओं में यह सहमति बनी कि संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के नाते मैं तत्कालीन विदेश मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी से बात करूं, क्योंकि वे स्पेक्ट्रम खाली करने के लिए बनाए गए मंत्री समूह की अध्यक्षता कर रहे थे।' जनवरी, 2008 में स्पेक्ट्रम आबंटन के पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार ढंग से प्रस्तुत करते हुए डी. राजा ने कहा, 'तत्कालीन महाधिवक्ता वाहनवती भी उन वार्ताओं के दौरान मौजूद थे।' वाहनवती का कच्चा चिठ्ठा खोलते हुए डी. राजा ने कहा कि 'जिस 2008 की प्रेस विज्ञप्ति का उन्होंने अलग-अलग न्यायालयों में बचाव किया, उसकी प्रामाणिकता पर संदेह नहीं किया, उसी को जे.पी.सी. में उन्होंने अप्रमाणिक बताया और कहा कि सूचना मंत्री के नाते मैंने उसे अंतिम समय में अलग कलम से बदला। यह कथन पूरी तरह असत्य है।' 2जी घोटाले के प्रमुख आरोपी राजा ने अनेक तथ्यों, घटनाक्रम और साक्ष्यों के आधार पर जे.पी.सी. के समक्ष जोर देकर कहा कि उन्होंने कोई नीति नहीं बदली जिससे उन्हें निजी तौर पर कोई लाभ हो। जो कुछ भी किया उसकी पूरी जानकारी प्रधानमंत्री, तत्कालीन विदेशमंत्री और तत्कालीन महाधिवक्ता को स्पष्ट तौर पर थी।
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