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रक्षा मंत्री भी मान रहे हैं कि वीवीआईपी हैलीकाप्टर सौदे में घोटाला हुआ। इटली के व्यापारियों ने रिश्वत दी, रक्षा सौदे से जुड़े भारतीय दलालों ने वह ली। इटली पहुंच गया तह तक कि किसने रिश्वत दी, कितनी दी। पर भारत के रक्षा मंत्री कह रहे हैं कि दलाली ली गई, किसने ली, कितनी ली, जांच जारी है, धैर्य रखिए, दोषियों पर कार्रवाई होगी। पर दोषी मिलेंगे तब न। इटली तो जांच में सहयोग कर ही नहीं रहा है, सीबीआई की टीम वहां घूम-टहल कर आ चुकी है। यहां पूर्व वायुसेना प्रमुख से पूछताछ हो चुकी है, उनके रिश्तेदारों को भी खंगाला जा चुका है, पर सीबीआई दावा नहीं कर रही है कि उसके हाथ पुख्ता सबूत लगे हैं। आधिकारिक बयान यही है कि अपराध का मूल स्रोत बाहर है और वहां से मदद नहीं मिल रही है। अतिविशिष्ट लोगों के उड़नखटोले की बात तो जाने दीजिए, 2006 में हुए 'वार रूम लीक' मामले में भी मुख्य आरोपी रविशंकरन के प्रत्यर्पण की मुहिम में भारत को मुंह की खानी पड़ी है। भारत ने इंग्लैण्ड में रह रहे रविशंकरन के प्रत्यर्पण की मांग की थी पर वेस्टमिनिस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने उसे ठुकरा दिया।
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