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1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद बंगलादेश का जन्म हुआ। भारत की मदद से अस्तित्व में आए बंगलादेश ने 23 अप्रैल, 1977 को सेकुलरवाद, समाजवाद एवं प्रजातंत्र को स्वीकार किया। किन्तु 9 जून, 1988 को संविधान में संशोधन करके बंगलादेश ने सेकुलरवाद को खत्म कर अपने आपको इस्लामी राज्य घोषित किया। इसके बाद से वहां हिन्दुओं की स्थिति खराब होती गई। 2001 में बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकर्ताओं ने चुनाव से पहले करीब 150 दिन तक हिन्दुओं पर हमले किए। हिन्दुओं की हत्या की गई, उनके घरों को जलाया गया, करीब 1000 हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया। अदालती आदेश पर जांच आयोग बना पर दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। 2001 के चुनाव के बाद खालिदा जिया के नेतृत्व में बीएनपी की सरकार बनी। अपने पांच साल के शासनकाल में इस सरकार ने मदरसों के जरिए मुल्लावाद को बढ़ावा दिया। नतीजा यह हुआ कि वहां तालिबानी तत्वों ने अपनी जड़ें जमा लीं। हिन्दुओं पर हमले के सिलसिले को इन तत्वों ने आगे बढ़ाया। यही वजह है कि बंगलादेश में हिन्दुओं की आबादी तेजी से घट रही है। 1947 में बंगलादेश में हिन्दू 28 प्रतिशत थे। 1961 में यह आंकड़ा 18 फीसदी पर सिमट गया। 1981 में 12 प्रतिशत और अब करीब 10 प्रतिशत हिन्दू बचे हैं। इन्हें भी बंगलादेश से खदेड़ने का प्रयास होता रहता है। 28 फरवरी, 2013 को एक अदालत ने जमाते इस्लामी के उपाध्यक्ष एवं कट्टरवादी नेता दिलावर हसन सैयदी को बंगलादेश मुक्ति युद्ध के दौरान हिन्दुओं के नरसंहार और जबरन मतान्तरण के लिए मौत की सजा सुनाई। इसके बाद बंगलादेशी कट्टरवादी सड़कों पर उतर आए। चुन-चुन कर हिन्दुओं को निशाना बनाया। इस वर्ष 28 फरवरी से 11 मार्च तक 19 मन्दिरों पर हमले किए। करीब एक सौ हिन्दू मारे गए। सैकड़ों घरों में आग लगा दी गई।
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