उधर, चीनी सहयोग से नेपाल के रास्ते भारत में खून-खराबा करने व अराजकता फैलाने में जुटे माओवादी नक्सलियों को आईएसआई न केवल हथियार मुहैया करा रही है, बल्कि उन्हें प्रशिक्षित भी कर रही है, क्योंकि भारत की किसी भी तरह से तबाही पाकिस्तान और आईएसआई का खुला एजेंडा है। नेपाल में चीन-आईएसआई गठजोड़ का अड्डा भारत के लिए कितना बड़ा खतरा बनता जा रहा है, इसकी परवाह शायद भारत सरकार को नहीं है। अन्यथा उसकी नेपाल नीति में इसकी चिंता व झलक दिखाई देती। इस सत्य को समझना होगा कि सत्ताभिमुख रहकर कोई भी शासन देश की सुरक्षा व एकता-अखंडता के लिए खड़े होने वाले खतरों से सख्ती से नहीं निपट सकता। उसके लिए राष्ट्राभिमुख नीतियां और सोच चाहिए जिसका कांग्रेस व सेकुलरी सोच में सर्वथा अभाव दिखता है। प.बंगाल में कम्युनिस्टों का शासन तो नक्सलियों को अनुकूल लगता ही था, लेकिन सत्ता में आने के लिए ममता बनर्जी ने जिस प्रकार मुस्लिम तुष्टीकरण व नक्सलियों के प्रति नरम रवैया दिखाया है, वह आज राज्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है, जिसके प्रति वहां के पुलिस महानिदेशक केन्द्रीय गृहमंत्रालय द्वारा आहूत बैठक में चिंता जता रहे हैं।
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