मौन मोहन सिंह का मौन भंग
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विजय कुमार
शर्मा जी कल बहुत दिन बाद मिले, तो चेहरे पर हंसी शरद पूर्णिमा की चांदनी की तरह छिटक रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे बराक ओबामा ने अमरीका में राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें उपराष्ट्रपति बना दिया हो। उनकी चाल ऐसी थी मानो एक पैर धरती पर, तो दूसरा मंगल ग्रह पर रखने की तैयारी हो।
– शर्मा जी, आपका उत्साह तो कपड़ों से बाहर निकल रहा है ?
– बस पूछो मत वर्मा। तुम मौनमोहन सिंह कहकर जिनकी आलोचना करते हो, उन्होंने अपना मौन भंग कर दिया है।
– हां, सुना है कि जब से ममता बनर्जी ने 440 वोल्ट का झटका दिया है, तबसे उनकी जुबान कुछ खुल गयी है।
– यही तो मैं भी कह रहा हूं। अब देखना देश की प्रगति राजधानी एक्सप्रेस की तरह होगी।
– यह तो बहुत खुशी की बात है पर हथेली में आशा के ऐसे नकली फूल उगाकर वे देश को कई बार 'फूल' बना चुके हैं।
– हां, पर इस बार की बात दूसरी है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कह दिया है कि अगले पांच साल में देश के हर गांव को चौबीस घंटे सस्ती दर पर बिजली मिलने लगेगी।
– शर्मा जी, लोग तो रात को नींद में सपने देखते हैं पर मनमोहन जी शायद दिन में भी सपने देखने लगे हैं ?
– क्यों?
– क्योंकि बिजली तो तब मिलेगी, जब वह बनेगी। कुडनकुलम परमाणु संयंत्र आंदोलनकारियों के कारण रुका है, तो कोयले वाले बिजलीघर भ्रष्टाचारियों के कारण। टिहरी में बांध बने दस साल हो गये; पर आज तक वो अपनी क्षमता की आधी बिजली भी नहीं बना सका। जो बांध बने हैं, उनके पानी के लिए राज्य सरकारें कहीं सड़क पर लड़ रही हैं, तो कहीं न्यायालय में।
– तुम चाहे जो कहो, पर मनमोहन जी ने कह दिया है, तो फिर पांच साल में सबको भरपूर बिजली सस्ते में मिलने लगेगी।
– लेकिन मनमोहन जी अगले पांच दिन बाद इस कुर्सी पर होंगे या नहीं, यह कौन जानता है ?
– क्यों, उनकी कुर्सी पूरी तरह सुरक्षित है।
– जी हां। एक पैर ममता ने तोड़ लिया है। मायावती और मुलायम सिंह कब अपने हिस्से का पैर हटा लें, कोई नहीं जानता। इसके बाद भी आप कुर्सी को सुरक्षित कहें, तो दोष आपका नहीं, उस डॉक्टर का है, जो आपकी आंखों का इलाज कर रहा है।
– नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। ये दोनों हमारे पक्के समर्थक हैं। आखिर साम्प्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर जो रखना है।
– शायद इसीलिए सरकार ने दोनों के पीछे 'कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इन्वैस्टिगेशन' (सी.बी.आई) को लगा दिया है। देखना है कि चूहे–बिल्ली के इस खेल में कौन जीतता है ? मायावती कभी दो दिन की बात कहती हैं, तो कभी चार दिन की। मनमोहन जी की समझ में नहीं आ रहा कि माया से ममता दिखाएं या मुलायम से सख्ती। इसीलिए 24 घंटे बिजली होने पर भी वे ठीक से सो नहीं पाते।
– पर तुम किसी चक्कर में न रहो वर्मा। यदि किसी कारण इन्होंने हाथ खींचा, तो हम बिहारी बाबू का तीर अपने तरकश में डाल लेंगे।
– लेकिन नीतीश कुमार तो आपके विरोध में हैं ?
– तो क्या हुआ ? उन्होंने कहा है कि वे दिल्ली में उसी को समर्थन देंगे, जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगा।
– यानी संकट पड़ने पर आप उन्हें यह दर्जा देकर सरकार के लिए जरूरी ऊर्जा प्राप्त कर लेंगे?
– हां, बिल्कुल।
– लेकिन कुछ दिन पूर्व सी.बी.आई के सम्मेलन में प्रधानमंत्री महोदय ने ही कहा है कि वे कानून बदलकर ऐसी व्यवस्था करेंगे, जिससे रिश्वत लेने वालों की तरह रिश्वत देने वालों को भी अपराधी माना जा सके। तो यह कदम रिश्वत के दायरे में आयेगा या नहीं ?
यह सुनते ही शर्मा जी को सांप सूंघ गया। 24 घंटे बिजली के सपने के बावजूद उनके चेहरे का बल्ब फिर से फ्यूज हो गया। काफी देर तक जब वे नहीं बोले, तो मैं समझ गया कि मौनमोहन सिंह की पीठ पर चढ़ा बेताल अब उनके कंधे पर बैठ गया है।
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