निष्ठा तथा कर्मशक्ति का सम्मान है जुगलजी का अभिनंदन
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कोलकाता में अमृत महोत्सव अभिनंदन
–डा. मुरली मनोहर जोशी, संसद सदस्य
'जुगलकिशोर जैथलिया का अभिनंदन किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि निष्ठा, कर्मशक्ति 'जुगलकिशोर जैथलिया का अभिनंदन किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि निष्ठा, कर्मशक्ति तथा वैचारिक दृढ़ता जैसी सद्वृतियों का सम्मान है। मूल्यों, नीतियों एवं आदर्शों के घोर पतन वाले इस युग में जहां अनियंत्रित काम और अनियंत्रित अर्थ ने अपना जाल फैला रखा है, जुगलजी जैसे मूल्यनिष्ठ, सिद्धांतप्रिय, कर्मठ कार्यकर्ता आश्वस्ति प्रदान करते हैं'जुगलकिशोर जैथलिया का अभिनंदन किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि निष्ठा, कर्मशक्ति तथा वैचारिक दृढ़ता जैसी सद्वृतियों का सम्मान है। मूल्यों, नीतियों एवं आदर्शों के घोर पतन वाले इस युग में जहां अनियंत्रित काम और अनियंत्रित अर्थ ने अपना जाल फैला रखा है, जुगलजी जैसे मूल्यनिष्ठ, सिद्धांतप्रिय, कर्मठ कार्यकर्ता आश्वस्ति प्रदान करते हैं तथा वैचारिक दृढ़ता जैसी सद्वृतियों का सम्मान है। मूल्यों, नीतियों एवं आदर्शों के घोर पतन वाले इस युग में जहां अनियंत्रित काम और अनियंत्रित अर्थ ने अपना जाल फैला रखा है, जुगलजी जैसे मूल्यनिष्ठ, सिद्धांतप्रिय, कर्मठ कार्यकर्ता आश्वस्ति प्रदान करते हैं। वैचारिक एवं सैद्धांतिक स्तर पर बिना किसी चिंता के हर चुनौती को स्वीकार कर जैथलियाजी ने साहित्यिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि समाज के विभिन्न क्षेत्रों को समृद्ध कर बदले में बिना कुछ चाहे, राष्ट्र की महत्वपूर्ण सेवा की है'। उक्त उद्गार संसद सदस्य तथा भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी ने गत 2 अक्तूबर को कोलकाता (प.बं.) में 'कर्मयोगी जुगलकिशोर जैथलिया अमृत महोत्सव समारोह समिति' द्वारा आयोजित अमृत महोत्सव अभिनंदन में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए व्यक्त किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध साहित्यकार डा. कृष्णबिहारी मिश्र ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से विविध क्षेत्र के लोगों ने जिस उल्लास के साथ जैथलियाजी का अभिनंदन किया उससे प्रसन्नता हुई है तथा यह धारणा पुष्ट हुई है कि समाज के लिए स्वयं को समर्पित करने वाला सदैव सम्मानित होता है। उन्होंने कहा कि जैथलियाजी ने श्रेष्ठ कर्म और दृढ़ चरित्र के बल पर इतने लोगों का भरोसा अर्जित किया है, यह सचमुच गर्व की बात है।
अपने भावपूर्ण उद्गार में श्री जुगलकिशोर जैथलिया ने कहा कि आचार्य विष्णुकांत शास्त्री, कर्मयोगी भंवरलाल मल्लावत, समाजसेवी राधाकृष्ण नेवटिया तथा सुंदर सिंह भंडारी के सान्निध्य में मुझे जो सीख मिली है उसने धन से विरत राष्ट्र एवं समाजसेवा का सार्थक मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा कि बचपन से ही उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के त्यागी, तपस्वी प्रचारकों एवं कार्यकर्ताओं के जीवन को निकट से देखने एवं जानने का सुअवसर मिला है।
वरिष्ठ आयकर सलाहकार श्री सज्जन कुमार तुल्स्यान ने कहा कि जुगलजी ने विकट पारिवारिक परिस्थितियों के बावजूद देश-समाज एवं मां भारती की सेवा में स्वयं को समर्पित कर अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रख्यात रंगकर्मी श्री विमल लाठ ने श्री जुगलकिशोर जैथलिया के विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों के प्रेरक अनुभव सुनाए। कार्यक्रम को समाजसेवी श्री रणेन्द्रलाल बंद्योपाध्याय, पत्रकार श्री विश्वम्भर नेवर, भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्षा डा. प्रतिभा अग्रवाल, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री राहुल सिन्हा, समाजसेवी श्री सरदारमल कांकरिया आदि ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर श्री जुगलकिशोर जैथलिया के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित तथा श्री महावीर बजाज द्वारा संपादित 'कर्मयोग का पथिक' ग्रंथ का लोकार्पण भी डा. मुरली मनोहर जोशी ने किया।
अमृत महोत्सव में कोलकाता की 50 से अधिक सामाजिक संस्थाओं- राजस्थान परिषद, बड़ाबाजार पुस्तकालय, पारीक सभा, राजस्थान ब्राह्मण संघ, परिवार मिलन, विश्व हिन्दू परिषद, भारतीय जनता पार्टी, वनबंधु परिषद आदि के पदाधिकारियों तथा श्री जुगलकिशोर जैथलिया के मित्रों तथा सगे-संबंधियों ने श्री जुगलकिशोर जैथलिया का पुष्पगुच्छ, स्मृतिचिह्न आदि देकर अभिनंदन किया।
कार्यक्रम का संचालन श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के अध्यक्ष डा. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन किया समारोह समिति के उपाध्यक्ष श्री रुगलाल सुराणा जैन ने। कार्यक्रम का शुुभारम्भ विप्र फाउण्डेशन के सदस्यों द्वारा भारत वंदना से हुआ। प्रतिनिधि
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