जानो भगवान राम के होने के साक्ष्य
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लघु फिल्म 'राम मंदिर, अदालत और आस्था' से
खुदाई में मिले साक्ष्यों को न्यायालय ने स्वीकार करते हुए माना कि जिस जगह को लेकर विवाद है, वह स्थल भगवान राम की जन्मभूमि है।
'अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ यह बात हिन्दू समाज सदियों से मानता आया है, परन्तु कुछ लोगों द्वारा उत्पन्न किए गए विवाद के बाद न्यायालय के आदेश पर हुई खुदाई में जो साक्ष्य सामने आए उनसे समाज की आस्था को और बल मिला है। खुदाई में मिले साक्ष्यों को न्यायालय ने स्वीकार करते हुए माना कि जिस जगह को लेकर विवाद है, वह स्थल भगवान राम की जन्मभूमि है'। उक्त बातें गत 9 अप्रैल को दिल्ली में श्रीमती अनघा घैसास ने 'राम मंदिर, अदालत और आस्था' नामक लघु फिल्म के बारे में बताते हुए कहीं। श्रीराम जन्मभूमि पर विगत 30 सितम्बर, 2011 को आए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई इस फिल्म की संकल्पना श्रीमती अनघा घैसास ने लिखी है तथा इसे तैयार किया है 'क्रिएशन्स एंटरटेनमेंट्स' ने।
फिल्म निर्माण के उद्देश्य को पत्रकारों को बताते हुए श्रीमती घैसास ने कहा कि आम भारतीय के मानस पर श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन एवं भगवान श्रीराम के प्रति उनकी आस्था को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करना है। उन्होंने कहा कि जिन साक्ष्यों के आधार पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था उन साक्ष्यों के बारे में अभी तक बहुत लोगों को पता नहीं है। और तो और, पढ़े-लिखे समाज को भी इसकी जानकारी नहीं है। इसका एक कारण यह भी है कि न्यायालय के साढ़े आठ हजार पन्नों के फैसले को पढ़ पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि फिल्म में न्यायालय के फैसले को सरल ढंग से प्रस्तुत किया गया है, ताकि लोगों को यह पता चल सके कि वे कौन से साक्ष्य हैं जिनके आधार पर कहा गया कि जिस स्थल को लेकर विवाद था वह स्थान भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है। साक्ष्यों के मिलने से हमारी आस्था को मजबूती मिली है, इसलिए लोगों को इन साक्ष्यों के बारे में पता होना ही चाहिए। श्रीमती घैसास ने कहा कि फिल्म बनाने की प्रेरणा मुझे जोधा-अकबर फिल्म देखते समय मेरे बेटे द्वारा पूछे गए प्रश्न 'अकबर इतना महान राजा था, हिंदुओं में कोई नहीं हुआ क्या' से मिली।
हिन्दी और अंग्रेजी दो भाषाओं में तैयार की गई करीब 45 मिनट की इस फिल्म को इस अवसर पर छोटा करके दिखाया भी गया। फिल्म में श्रीराम जन्मभूमि पर हिन्दू समाज की आस्था से लेकर बाबरी ढांचा विध्वंस, न्यायालय के आदेश पर हुई खुदाई और उसमें मिले साक्ष्यों को बहुत ही सुन्दर ढंग से दिखाया गया है। इसमें महंत अवैद्यनाथ, पेजावर स्वामी विश्वेशतीर्थ, विश्व हिन्दू परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल, मुस्लिम पक्षकार हाशिम अंसारी, जफरयाब जिलानी आदि का साक्षात्कार भी है। कुल मिलाकर इस फिल्म के जरिए भगवान राम के होने के साक्ष्यों को बड़े सरल व प्रामाणिक ढंग से समझा जा सकता है। तरुण सिसोदिया
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