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कालू सियार और भल्ली भेड़िया हरित वन में रहते थे। वे आपस में गहरे दोस्त थे। लेकिन एक दिन दोनों में किसी बात पर अनबन हो गयी। दोनों अब अलग-अलग रहने लगे।
कालू सियार का अकेले मन नहीं लगता था। वह किसी न किसी को अपना दोस्त बनाना चाहता था। लेकिन उसके बुरे व्यवहार की वजह से उसे कोई भी अपना दोस्त नहीं बनाना चाहता था। वह हर समय किसी दोस्त की तलाश में रहता। एक दिन उसे झब्बू भालू आता दिखाई दिया। कालू भोली सी सूरत बनाकर झब्बू के पास पहुंचा और बड़े भोलेपन से कहा- व्झब्बू भाई, आजकल मैं अकेला हूं। मेरा कोई दोस्त नहीं है। क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे?व्
व्कालू, क्या तुम यह नहीं जानते कि दोस्ती समान विचारों वालों में होती है? अगर तुम्हारे मेरे विचार आपस में मिल गये तो हमारे बीच में स्वत: ही दोस्ती हो जायेगी। इसका पता कुछ ही दिन में चल जायेगा कि तुम मेरे दोस्त बनने लायक हो या नहीं।व्
इसके बाद कालू सियार और झब्बू भालू साथ-साथ रहने लगे। एक दिन झब्बू को पुराने पीपल के पेड़ से मधुमक्खियों का बड़ा छत्ता तोड़ना था। वह कालू को भी अपने साथ ले गया। झब्बू ने छत्ता तोड़ने से पहले कालू को एक गड्ढे में छुपने का संकेत दिया जिससे मधुमक्खियां उसको काट न लें। इसके बाद झब्बू ने पेड़ पर चढ़कर आराम से छत्ता तोड़ लिया। फिर उसने उसके शहद को एक मटकी में भर लिया। इस शहद का कुछ हिस्सा उसने कालू को भी दोस्त होने के नाते दे दिया।
कालू ने देखा कि झब्बू का काम तो बड़ा आसान है। पेड़ पर चढ़ो, छत्ता तोड़ो और शहद पाओ। बस यही सोचकर कालू के मन में लालच घर कर गया। उसने चालाकी से झब्बू से यह पता लगा लिया कि ऐसे बड़े छत्ते और कहां-कहां लगे हैं।
अगले दिन कालू झब्बू को बिन बताये मधुमक्खी के छत्ते तोड़ने चल पड़ा। शहद के लिए मटकी उसके हाथ में थी। लेकिन जैसे ही पेड़ पर चढ़कर कालू ने मधुमक्खियों के छत्ते को तोड़ना चाहा, मधुमक्खियों ने उस पर हमला बोल दिया। मधुमक्खियों के डर से वह पेड़ से नीचे गिर पड़ा और वहां से चीखता, चिल्लाता भागा। उसकी चीख सुनकर झब्बू दौड़ता हुआ आया। वह सोच रहा था कि कालू जरूर किसी मुसीबत में फंस गया है इसलिए उसे उसकी मदद के लिए जाना चाहिए। लेकिन वहां पहुंचकर उसे कालू की सारी चालाकी समझ में आ गयी। वह समझ गया कि कालू ने उसके साथ धोखा किया है।
जब कालू अगले दिन झब्बू से मिलने आया तो झब्बू ने उसे डांटते हुए कहा- व्कालू, तुम अपने कपटी व्यवहार से बाज नहीं आये। तुमने मेरे साथ धोखा किया। इसलिए तुम मेरे दोस्त बनने लायक नहीं। मेरा तुम्हारा संबंध यहीं पर खत्म।व्
झब्बू से संबंध खत्म होने पर कालू फिर अकेला रह गया। लेकिन अभी उसने दोस्त बनाने में हिम्मत नहीं हारी थी। उसने सोचा हरित वन में इतने जानवर हैं कोई न कोई तो उसका दोस्त बन ही जायेगा।
इस बार कालू ने दोस्ती के लिए चुना जंपी बंदर को। जंपी बंदर ने कालू से कहा- व्कालू, मुझे रोज पेड़ों से फल तोड़ने पड़ते हैं। तुम साथ रहोगे तो मुझे पेड़ों से फल तोड़ने में सहायता मिल जायेगी। मैं पेड़ों से फल तोडूंगा, तुम उन्हें टोकरे में डालते जाना।व् कालू सियार जंपी की बात पर सहमत हो गया। वह प्रतिदिन जंपी के साथ पेड़ों से फल तुड़वाने के लिए जाने लगा।
कुछ दिन बाद जंपी को ऐसा लगा कि जितने फल वह पेड़ों से तोड़ता है उतने फल उसके घर नहीं पहुंचते। अब वह कालू पर नजर रखने लगा। उसने एक दिन कालू को फल छुपाते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। इन फलों को कालू बाद में दूसरों को बेच देता था। जंपी ने भी कालू से अपनी दोस्ती तोड़ने में ही भलाई समझी। आखिर ऐसे धोखेबाज से जंपी दोस्ती क्यों रखता?
इसके बाद कालू ने दोस्ती के लिए तलाशा ताकतवर मोटू हाथी को। मोटू से दोस्ती गांठकर कालू सियार की हिम्मत बहुत बढ़ गयी। अब वह ताकतवर मोटू हाथी से की दोस्ती का लाभ उठाने लगा। अब वह किसी से भी डरता नहीं था। अपनी बुरी हरकतों को वह खुलकर अन्जाम देने लगा। अब वह किसी की पालतू मुर्गी चुराकर भाग जाता, तो किसी की बत्तख। अब वह किसी से झगड़ा करने से भी नहीं डरता था, क्योंकि ताकतवर मोटू हाथी से उसकी दोस्ती जो थी। इसलिए कोई जानवर जल्दी से उसका मुकाबला करने का भी साहस नहीं करता था।
लेकिन जब कालू सियार की हरकतें हद से ज्यादा बढ़ गयीं तो दुखी जानवरों ने उसकी शिकायत सीधे मोटू से की। मोटू ने भी सच्चाई को जान लिया। एक दिन वह तालाब पर पानी पीने जा रहा था तभी उसे किसी के चीखने की आवाज सुनाई दी। मोटू ने देखा कि कालू सियार कोकिल बत्तख के बच्चों को दबोचने की कोशिश कर रहा है। कोकिल अपने बच्चों को बचाने के लिए ही चीख रही थी।
तभी मोटू ने एक जोर की चिंघाड़ लगायी। चिंघाड़ को सुनकर कालू सियार घबरा गया। लेकिन मोटू हाथी उसे सबक सिखाये बिना छोड़ना नहीं चाहता था। उसने कालू सियार को सूंड में ऊंचा उठाकर पटक दिया। कालू दर्द से चीख पड़ा। इतनी देर में और बहुत से जानवर भी वहां इकट्ठे हो गये। जब उन्होंने मोटू हाथी को कालू की धुनाई करते देखा तो वे सब बड़े खुश हुए। कालू अब जान बचाने के लिए मोटू से हाथ जोड़कर माफी मांगने लगा। तब मोटू ने उसे फिर कभी उधर न आने की चेतावनी देकर छोड़ दिया। इस प्रकार उनकी दोस्ती भी खत्म हो गयी।
कालू सियार फिर से अकेला हो गया था। बैडी भेड़िया भी अकेले ही था क्योंकि उसकी भी इस बीच किसी से दोस्ती नहीं हो सकी थी। एक दिन दोनों की मुलाकात फिर से हो गयी। दोनों ने एक-दूसरे को अपना-अपना दुखड़ा सुनाया। उन्होंने एक-दूसरे का दुख-दर्द बांटा। वे फिर से#े एक-दूसरे के दोस्त बनकर साथ-साथ रहने लगे। कालू सियार को बैडी भेड़िये से अच्छा दोस्त कोई नहीं लगा। भेड़िया भी अपने जैसे पुराने दोस्त को पाकर बहुत खुश था। सही कहा जाता है कि समान विचार और समान स्वभाव वाले प्राणी एक हो ही जाते हैं। दुष्टों की मण्डली में दुष्ट और सज्जनों की सभा में सज्जन ही शोभा पाते हैं।
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