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जनसंख्या के हिसाब से भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है और खेलों की दृष्टि से पहले बीस में भी नहीं है। आजादी मिलने के समय फिर भी हमारी स्थिति काफी संतोषप्रद थी, लेकिन जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ खेलों में हमारा प्रदर्शन नीचे आता गया। संभवत: इसी से चिंतित होकर एक अपेक्षाकृत युवा खेल मंत्री ने स्थिति सुधारने की एक गंभीर कोशिश की, पर खेल संगठनों में वर्षों से बैठे राजनीतिक मठाधीशों ने इसे फिलहाल असफल कर दिया है। खेल मंत्रालय द्वारा तैयार किये गए 'राष्ट्रीय खेल (विकास) विधेयक-2011' की केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने ही भ्रूण-हत्या कर दी। हालांकि खेल मंत्री अजय माकन इस विधेयक को पारित करवा लेने का संकल्प व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन यह आसान नहीं होगा।
इस समय पांच वर्तमान केन्द्रीय मंत्री और एक प्रभावशाली पूर्व मंत्री खेल संगठनों पर अधिकार जमाये बैठे हैं। मंत्रिमण्डल की बैठक में पांचों मंत्रियों ने प्रस्तावित खेल विधेयक का विरोध किया। वास्तव में कोई भी मंत्री या नेता खेल संगठनों पर से अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहता और वास्तव में यही समस्या की जड़ भी है। देश में खेले जाने वाले प्रत्येक खेल के 'राष्ट्रीय खेल संगठन' बने हुए हैं। सभी प्रांतों के खेल संगठन राष्ट्रीय फेडरेशन से जुड़े रहते हैं तथा राष्ट%
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