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शिवओम अम्बरकविवर हुल्लड़ मुरादाबादी की मार्मिक पंक्तियां हैं-सबको उस रजिस्टर पे हाजिरी लगानी है,मौत वाले दफ्तर में छुट्टियां नहीं होतीं।पिछले दिनों ये पंक्तियां बार-बार स्मृति में उभरीं। ये कुछ दिन हिन्दी की हास्य-व्यंग्य कविता के लिए बहुत से आंसू लेकर आये। पहले एक सड़क दुर्घटना में हास्य के पुरोधा कवि ओमप्रकाश आदित्य और युवा व्यंग्यकार नीरज पुरी तथा लाल सिंह गूजर का आकस्मिक अवसान हो गया और फिर कुछ दिनों की बीमारी के बाद वरिष्ठ हास्य व्यंग्य कवि अल्हड़ बीकानेरी भी दुनिया को अलविदा कह गये।कविवर ओमप्रकाश आदित्य ने हिन्दी कवि सम्मेलनों के मंच को सफलता के कथानक ही नहीं दिये, सरल-तरल हास्य की उत्फुल्लतादायी शक्ति को रेखांकित किया और अपनी प्रभावी प्रस्तुति से उन लोगों के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया जो मानते आ रहे हैं कि बिना चुटकुलों को सुनाये कोई हास्य कवि मंच पर सफल नहीं हो सकता। ऐसी ही छंदोबद्ध कविता की बानगी अल्हड़ बीकानेरी जी ने भी मंच पर प्रस्तुत की और सदैव सफलता के पर्याय रहे। अल्हड़ जी की लिखी कव्वाली और आदित्य जी के द्वारा रचित स्थिति कविता (सिचुएशन पोइट्री) कवि सम्मेलन के मंच की विशिष्ट उपलब्धियां हैं। न फिर वैसी कव्वाली सामने आई और न फिर वैसी स्थिति कविता ही लिखी जा सकी। आदित्य जी का यह प्रयोग सभी के लिए स्पृहणीय रहा। इस कविता में दी गई स्थिति यह है कि एक स्त्री मकान की छत के किनारे बैठी हुई है, देखकर लगता है कि वह शायद नीचे कूदने वाली है। इस स्थिति को देखकर हिन्दी के वरेण्य कवियों के चित्त में क्या-क्या भाव जागेंगे और वे उन्हें कैसे अपनी-अपनी शैली में अभिव्यक्त करेंगे-इसी बात को आदित्य जी ने प्रकट किया है। आदित्य जी के शब्दों में कविवर श्यामनारायण पाण्डेय, सुमित्रानंदन पंत, भवानीप्रसाद मिश्र, गोपाल प्रसाद व्यास, काका हाथरसी की अलग-अलग शैली में इस स्थिति की अभिव्यक्तियों को जिसने भी सुना है वह आदित्य जी की विलक्षण प्रतिभा का मुखर प्रशंसक बना है। मंचीय जीवन की सफलता के साथ अक्सर दामन थाम लेने वाली कुछ लड़खड़ाहटें आदित्य जी से भी जुड़ीं और अल्हड़ जी से भी। किंतु ऐसी कुछ छोटी-छोटी कमियां ही तो मनुष्य में विद्यमान पार्थिव तत्व की अधिकता को प्रकट करती हैं और उसके व्यक्तित्व को दिव्यता के आलोक वृत्त से अलग रखकर कुछ ज्यादा मानवीय और शायद इसी कारण अधिक आत्मीय बनाये रखती हैं। बहरहाल, हर कहानी एक दिन पूर्ण होती है और मन बड़ी गहनता से महसूस करता है-सिर्फ बिछुड़ने के लिए है ये मेल-मिलाप,एक मुसाफिर हम यहां एक मुसाफिर आप।(नीरज)20
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