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वोट बैंक का चमत्कारश्री मुजफ्फर हुसैन ने अपने आलेख “कांग्रेस के हाथ को मुसलमानों का साथ” में बिल्कुल सही आकलन किया है कि कांग्रेस की जीत के पीछे न तो पार्टी का संघर्ष था और न ही सोनिया-राहुल का करिश्मा, जैसा कि कांग्रेस की आम धारणा बन गई है, बल्कि मुसलमानों का उस पर लौटा एतबार है। उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन की वजह रहीं मुलायम और माया की गलत नीतियां। तुष्टीकरण की बिसात पर खड़ी सपा को पहली बार ऐसा झटका लगा है कि उसके चुनाव चिन्ह पर लड़े 12 मुस्लिम प्रत्याशियों में से एक भी नहीं जीत पाया। इसी तरह बंगाल में कांग्रेस की सहायक ममता बनर्जी ने पिछले एक के मुकाबले 19 सीटें जीतकर संप्रग की हैसियत में-रमेश चन्द गुप्तानेहरू नगर, गाजियाबाद (उ.प्र.)दृ मुसलमानों ने कांग्रेस में पुन: आस्था प्रकट कर अपनी कृतज्ञता उजागर कर दी है। यह जीत कांग्रेस की नहीं, मुस्लिमों की जीत है, जो राष्ट्रवादी भाजपा को धूल चटाने के लिए बराबर तत्पर रहते हैं। ऐसे में भाजपा को अपने डगमगाते कदमों में दृढ़ता लानी चाहिए। अपने घोषित उद्देश्यों पर ईमानदारी से अमल करना चाहिए। मंथन में श्री देवेन्द्र स्वरूप ने ठीक ही लिखा है, जो नेता जिस दल की गोद में पलकर मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचा, उसी दल की जड़ खोदने में गर्वोक्ति कर रहा है।-क्षत्रिय देवलालउज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया, कोडरमा (झारखंड)दृ मुस्लिम समाज अपने हित के लिए जगह-जगह सामूहिक कदम उठा रहा है। हाल के लोकसभा चुनाव में भी इस समाज ने यही किया। बिहार में लालू प्रसाद ने उर्दू भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया तो मुस्लिम उनके साथ खड़े हो गए। अब नीतीश कुमार मैट्रिक में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले हर मुस्लिम छात्र को 10 हजार रु. का-हरेन्द्र प्रसाद साहानया टोला, कटिहार (बिहार)रामानंद जी के हत्यारों को सजा दोआवरण कथा के अंतर्गत श्री राकेश सैन की रपट “झुलसा पंजाब” से स्पष्ट संदेश मिलता है कि किसी भी मत-पंथ के अनुयायियों की धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे, इसका सदैव ध्यान रखा जाना चाहिए। वियना में संत रामानंद जी की हत्या हुई और हजारों कि.मी. दूर भारत में उनके अनुयायियों में आक्रोश फैल गया। चाहे हत्या किसी की भी हो, वह क्षम्य नहीं है। इसलिए संत रामानंद के हत्यारों को सजा दिलाने का प्रयास भारत सरकार भी करे।-मनीष कुमारकंकड़बाग, पटना (बिहार)दृ संत परमानंद की हत्या से उनके अनुयायियों का उत्तेजित होना, स्वाभाविक था। ऐसी घटना से तो हर सज्जन पुरुष दुखी होता है। मैं भी काफी दुखी हुआ। किंतु इस हालत में संयम भी बरता जाना चाहिए। किसी घटना के बाद रेल रोकने और हड़ताल आदि से सामान्य जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए अहिंसक अभियान चलाएं तो शायद वह ज्यादा असरदायक होगा और जनता भी साथ में होगी।-कृष्ण कुमार भारतीयकैथल (हरियाणा)वैदिक संस्कृति अपना”कहीं ताप न बने संताप” लेख में श्री आलोक गोस्वामी ने बिल्कुल सही कहा है कि धरती का पर्यावरण बिगड़ रहा है। इस कारण आने वाली पीढ़ी के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है। जो समस्या वैज्ञानिक आज बता रहे हैं, उन्हें हमारे ऋषि-महर्षि पहले से जानते थे, इसलिए यज्ञ कर वातावरण शुद्ध करते थे और प्रकृति का सहायक बन उसका उपयोग करते थे। आज हम पश्चिम की नकल कर प्रकृति का दोहन कर रहे हैं। यदि हमें पर्यावरण की रक्षा करनी है तो वैदिक संस्कृति अपनानी होगी, जैविक खेती अपनानी होगी। योग और उपचार के लिए योग और आयुर्वेद को अपनाना होगा।-मुकेश कुमार गुप्तासदाफल, बिजनौर (उ.प्र.)सतर्कता की आवश्यकताश्री नरेन्द्र सहगल का लेख “शान्ति पर खतरा” बहुत विचारणीय है। हमारा राष्ट्र सदा से शान्ति का पुजारी रहा है और बार-बार धोखा खाता रहा है। इतिहास साक्षी है कि प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू हिन्दी-चीनी, भाई-भाई करते रहे और चीन ने 1962 में हम पर हमला किया। 1947, 1965, 1971 और 1999 में हमने शांति के नाम पर ही पाकिस्तान के साथ जीती लड़ाई पर समझौते किए, जिसकी वजह से आज पूरा भारत आतंकवाद की चपेट में है। अमरीका को अपने व्यापार की चिंता है। वह तो सर्प को दूध पिलाता आया है और आगे भी पिलाएगा ही। किन्तु हमें सर्तक रहने की आवश्यकता है।-लक्ष्मी चन्दगांव-बांध, पो. भावगड़ी, सोलन (हि.प्र.)विश्व में गूंजे पाचजन्य10 मई के अंक में “नेपाल में अनूठी संस्कृति रक्षा दौड़” शीर्षक से नेपाल में हुए खेल महोत्सव का समाचार पढ़कर आनंद आया। यहां के सभी कार्यकर्ता बहुत उत्साही भी हुए। आशा है पाचजन्य परिवार आगे भी नेपाल से संबंधित ऐसे समाचारों को प्रकाशित कर हमें प्रोत्साहित करता रहेगा। पाचजन्य विश्वभर में पहुंचे, ऐसा प्रयास हम सभी कार्यकर्ताओं को करना चाहिए।-कृष्ण प्रसाद आचार्यहिन्दू स्वयंसेवक संघ नेपाल, माधव धाम गली नं. 4, महेन्द्र नगर, कंचनपुर (नेपाल)पूर्वोत्तर में ईसाई षड्यंत्रभारत के स्वतंत्र होने से बहुत पहले ही अंग्रेजों ने असम के अनेक जनजातीय क्षेत्रों में विदेशी ईसाई मिशनरियों का जाल फैला दिया था। परिणामस्वरूप बाद में नागा ईसाई उग्रवादियों द्वारा सशस्त्र विद्रोह खड़ा किया गया। बाद मेंवास्तव में भारत में माओवादियों द्वारा जो विस्फोट किए जा रहे हैं उन विस्फोटक पदार्थों को बनाने के लिए जेलिटिन की छड़ें बड़ी मात्रा में उन्हें सरकारी गोदामों से ही प्राप्त होती हैं। कई बार सरकारी शस्त्रागारों से ही वे शस्त्रास्त्र प्राप्त कर लेते हैं। सरकारी तंत्र में ऐसे तत्व मौजूद हैं जो ऐसे उग्रवादियों की सहायता करते हैं। असम के राजनेताओं को उग्रवादियों से संबंध का पता तब चला जब असम, मेघालय सीमा पर डीएचडी के दो उग्रवादियों को पकड़ा गया, जिनके पास से नगद एक करोड़ रुपए तथा छोटे-बड़े अन्यान्य हथियार भी मिले। पूछताछ करने पर उनके द्वारा बताया गया कि स्वयं प्रशासन के प्रमुख हौजाई आदि उग्रवादियों की सहायता करते हैं। गृहमंत्री पी.चिदंबरम से निवेदन है कि सरकारी तंत्र में छिपे ऐसे तत्वों की पहचान करवाएं जो उग्रवादियों के शुभचिंतक हैं और उन्हें गुप्त सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाकर तथा अन्य तरीकों से उग्रवादियों की सहायता करते हैं।-रमन कुमार1/1420, मानसरोवर पार्क, शाहदरा (दिल्ली)हर सप्ताह एक चुटीले, ह्मदयग्राही पत्र पर 100 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।-सं.कुछ याद उसे भी कर लोबीसवीं शताब्दी के पहले दशक में अमृतसर में पैदा हुआ मदनलाल ढींगरा इंजीनियर बनने के लिए इंग्लैंड गया, पर वहां भारतीय छात्रों का अपमान होते देखकर उसका राष्ट्रभक्त ह्मदय उबल पड़ा। वहां उसे वीर सावरकर का नेतृत्व और प्रेरणा मिली। भारत के इस बेटे ने तख्त-ए-लंदन तक हिन्दुस्थान की तेग चलाकर दुनिया को अपना परिचय दिया और गीता हाथ में लेकर लंदन की पैटन विले जेल में वंदेमातरम् कहता हुआ फांसी पर लटक गया। अपनों से दूर पर अपने ही देश के लिए बलिदान हुआ। तब मैडम कामा ने यह कहा था कि ढींगरा का बलिदान सदा याद रखा जाएगा और देश के हर चौराहे पर इसकी मूर्ति लगेगी। पर पूरा देश तो क्या, पंजाब भी अपने इस शहीद को भूल गया। कारण शायद यह है कि इसका कोई बेटा-पोता मंत्री या राजनेता नहीं बना। आज हमें पश्चाताप करना है। वर्ष 2009 शहीद मदनलाल ढींगरा के बलिदान का शताब्दी वर्ष है। पूरे देश के स्कूलों-कालेजों में हर विद्यार्थी तक ढींगरा का संदेश पहुंचाना है। उसने कहा था- भारत मां की सेवा ही भगवान राम और कृष्ण की पूजा है। उसने यह भी कहा था कि आज देश को यह सिखाने की जरूरत है कि देश के लिए कैसे मरा जाता है और यह पाठ स्वयं मरकर ही पढ़ाया जा सकता है। 23 वर्ष की आयु में भारत पुत्र भारत मां के चरणों में सब कुछ अर्पण कर गया। कुछ इस ढंग से पूरा देश मदनलाल ढींगरा की शहादत की शताब्दी मनाए जिससे नई पीढ़ी भी-लक्ष्मीकान्ता चावलास्वास्थ्य मंत्री, पंजाब, चण्डीगढ़पाठकों से निवेदनअनेक पत्र ऐसे प्राप्त होते हैं, जिनमें केवल नाम लिखा होता है। इस स्थिति में उन पत्रों को प्रकाशित करने में कठिनाई होती है। अत: पाठकों से निवेदन है कि वे अपना पूरा नाम और पता अवश्य लिखें। अंक से संबंधित पत्र समय पर भेजेंगे तो उन्हें स्थान देने में हमें सुविधा होगी। आपकी प्रतिक्रिया हमें प्रोत्साहन देती है। -सं.पचांगवि.सं.2066 – तिथि – वार – ई. सन् 2009आषाढ़ शुक्ल 13 रवि 5 जुलाई, 09″ 14 सोम 6 “आषाढ़ पूर्णिमा(श्री व्यास पूजा) – मंगल 7 “आषाढ़ कृष्ण 1 बुध 8 “” 2 गुरु 9 “” 3 शुक्र 10 “” 4 शनि 11 “दुनिया को संदेशस्वासाफ-साफ है दे रहा, दुनिया को संदेशदुनिया को संदेश, जानवर खाना छोड़ोशाकाहारी बनो, उसी से नाता जोड़ो।कह “प्रशांत” समझो पशुओं की मूक वेदनाउन पर प्यार लुटाओ, मानो उनको अपना।।-प्रशांत18
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