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अधिकाधिक लोग हमारे समर्थन में एकत्रित हो रहे हैं, क्योंकि वे भली-भांति समझ चुके हैं कि संघ जितना शक्तिशाली होगा, उतना ही भारत शक्तिशाली होगा।
-श्रीगुरुजी (श्री गुरुजी समग्र, खण्ड 9, पृ.23)
युग प्रवत्र्तक श्री गुरुजी
परम पूज्य श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरुजी के जन्म शताब्दी वर्ष का श्रीगणेश विजया एकादशी, माघ कृष्ण 11, तद्नुसार 24 फरवरी, 2006 के शुभ दिन हुआ। श्री गुरुजी भारतीय मनीषा और राष्ट्रीय चेतना के एक ऐसे नायक महापुरुष के नाते स्मरण किए जा रहे हैं जिन्होंने सदियों से सुप्त भारतीय चेतना को जागृत करने वाले डा. हेडगेवार के मंत्र को क्रियारूप में परिणत किया और हमारी सभ्यता के अधिष्ठान को आने वाली शताब्दियों के लिए जागृति का बल दिया। राष्ट्र में बहुत कम ऐसे महापुरुष हुए हैं जिनके व्यक्तित्व और कर्तृत्व ने जनजीवन के सभी अंगों और उपांगों को प्रभावित करने में समर्थ जनान्दोलन खड़ा किया है। श्री गुरुजी ऐसे ही युग प्रवत्र्तक थे जिन्होंने धर्म, शिक्षा, श्रमिक क्षेत्र, अध्यापन, वनवासी कल्याण, पत्रकारिता, भाषा और साहित्य, राजनीति, कला और विज्ञान जैसी प्रत्येक राष्ट्रीय धारा को भारतीय आत्मा से जोड़ राष्ट्रीय एकात्मता और समरसता का ऐसा महासिन्धु सृजित किया, जो अतुलनीय है। उन्होंने संन्यस्त जीवन को एक नया स्वरूप और नई व्याख्या दी। भारतवर्ष के हजारों वर्ष के इतिहास में समाज जीवन और धर्म को दिशा देने वाली काषाय वस्त्रधारी संन्यासी व्यवस्था का अपार महात्म्य और गौरव स्वयं सिद्ध है। परंतु सामान्य नागरिक के नाते समाज जीवन से एकरस होते हुए जीवन का क्षण-क्षण राष्ट्र के निमित्त होम करने वाले प्रचारक और गृहस्थ स्वयंसेवकों की अभूतपूर्व और अप्रतिम डा. हेडगेवार धारा को श्री गुरुजी ने सिन्धु समान व्याप और गंगा के समान अमृत्व दिया। ऐसे राष्ट्रोन्नायक का जन्म शताब्दी वर्ष सामाजिक समरसता का मंत्र बनकर उदित हुआ है और यह साम्प्रत युग धर्म है कि हम हिन्दू समाज को जातिगत भेदभावों और कुरीतियों से मुक्त कर उसे समरस और सबल बनाते हुए भारत भाग्य विधाता बनें।
ये भारत मां के लाल
जिस भारत माता की जय का उद्घोष करते हुए देश के क्रांतिकारी फांसी चढ़ गए थे, आजादी के 57 साल बाद उस भारत माता के अपमान पर आजाद देश की सरकार और संसद मौन के समान निष्क्रिय है और सांसद गीले कागज के मानिंद फुसफुसाहटों के अलावा कुछ बोलने से इसलिए डरे रह गए हैं क्योंकि भारत माता का अपमान करने वाले का नाम है मकबूल फिदा हुसैन। मुस्लिम भावनाओं के आहत होने पर सरकार, संसद और राजनेता सब एक हो जाते हैं। भाजपा का भी मुस्लिम प्रकोष्ठ प्रदर्शन करता है। लेकिन भारत माता तो राष्ट्रवादियों और अन्तरराष्ट्रवादियों की समान रूपेण है, पर फिलीस्तीन पर देश भर में काले रिबन लगाने वाले भारत माता के अपमान पर खामोशी ओढ़े रहे, इससे बढ़कर शर्म की बात और क्या होगी? इन लोगों ने खुद को भारत की नजरों में गिरा दिया। सरकार, संसद और सांसदों की ऐसी दास मानसिकता को हजार बार धिक्कार है।
भारत माता का अपमान ऐसा ही है जैसे कोई गलीज व्यक्ति आपको जन्म देने वाली मां को गाली दे और अपमान करे। सोचिए, क्या श्रीराम कौशल्या के अपमान पर चुप रह सकते थे? गांधी ने कैथरिन मेयो को जिंदगी भर माफ नहीं किया, क्योंकि उसने मदर इंडिया पुस्तक लिखकर भारत माता का अपमान किया था। महबूब खान हम सबके प्रिय इसलिए हुए क्योंकि मदर इंडिया फिल्म बनाकर इस देश की धड़कन और भविष्य की आशा का उन्होंने भावपूर्ण चित्रण किया था। भारत माता हमारे लिए सिर्फ एक प्रतीक नहीं बल्कि हमारी सामूहिक राष्ट्रीय चेतना का प्राण है। जगज्जननी माता है जिसका श्री अरविंद ने भवानी भारती के रुप में आह्वान किया था। हरिद्वार में उन्हीं भारत माता का स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी ने मंदिर बनाया और हिन्दू मुस्लिम सभी क्रांतिकारियों के चित्र और मूर्तियां लगाईं। लेकिन यह सरकार और संसद डेनमार्क में पैगम्बर मोहम्मद के कार्टून पर तो चिंता, गुस्सा और दु:ख प्रकट करती है, और जिसका किसी ने विरोध नहीं किया, क्योंकि किसी की भी धार्मिक संवेदनाओं को आहत करना गलत बात है। पर वही सरकार और संसद एथेंस में देवी दुर्गा के अपमान पर खामोश रहती है और भारत माता के विद्रूप चित्रण पर ऐसा व्यवहार करती है मानो कुछ हुआ ही न हो। नवरात्र नजदीक आ रहे हैं, जिन दिनों पूरे देश में देवी के स्वरूप की आराधना होती है। आस्थावान व्रत रखते हैं, मंदिरों में देवी सप्तशती के पाठ होते हैं, उसी समय देवी दुर्गा के हाथों में व्हिस्की की बोतलें थमाकर शराब के विज्ञापन छापे गए। हालांकि हिन्दुओं के विरोध पर वे पोस्टर वापस ले लिए गए हैं, परंतु भारत माता का अश्लील चित्र इस देश की मिट्टी में जन्मे और यहां का नमक खाए एक आदमी ने बनाया है। मगर इस अपमान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसे क्या कहेंगे? हुसैन का अपराध अक्षम्य है और कोई भारतीय उसे माफ नहीं करेगा।
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