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शिमला की संजौली मस्जिद समिति ने तीन अवैध मंजिलों को ध्वस्त करने के लिए वक्फ बोर्ड से मांगा निर्देश, कहा-ये वक्फ के अधीन

by Kuldeep Singh
Oct 17, 2024, 08:48 am IST
in हिमाचल प्रदेश
Shimla Sanjauli Mosque Dispute
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हिमाचल प्रदेश के शिमला के संजौली मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को गिराने के कोर्ट के आदेश के बाद अब मस्जिद कमेटी ने नई चाल चल दी है। अब वो ये कह रहा है कि संजौली की मस्जिद वक्फ बोर्ड के अधीन है। इसलिए मस्जिद कमेटी ने हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड को एक पत्र लिखकर उससे निर्देश मांगा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, संजौली मस्जिद कमेटी का कहना है कि उक्त मस्जिद वक्फ बोर्ड के अधीन कार्य करती है। मस्जिद समिति के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने अपने पत्र में कोर्ट के द्वारा अवैध घोषित की गई मस्जिद की दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल को गिराने के लिए निर्देश मांगा है। लतीफ ने कहा कि मैंने पत्र शिमला नगर निगम आयुक्त की अदालत के आदेश का हवाला दिया है और वक्फ बोर्ड से अनुमति मांगी है ताकि आदेश के मद्देनजर कार्रवाई की जा सके।

गौरतलब है कि इससे पहले संजौली मस्जिद विवाद पर कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन ऑल हिमाचल मुस्लिम ऑर्गनाइजेशन नाम के मुस्लिम संगठन ने संजौली मस्जिद की अवैध तीन मंजिलों को गिराने के कोर्ट के फैसले का विरोध किया था। इसके साथ ही इस्लामिक संगठन ने इसे गलत करार दिया था। मुस्लिम संगठन का कहना था कि वो नगर निगम के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देगा।

मुसलमानों का कहना है कि निगम के कमिश्नर के फैसले से मुस्लिमों की भावनाएं आहत हुई हैं। उसने कहा कि वो इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।

क्या है पूरा मामला

मामला कुछ यूं है कि शिमला के उपनगर संजौली स्थित विवादित मस्जिद के अवैध निर्माण पर शनिवार 5 अक्तूबर को नगर निगम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था। नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री की अध्यक्षता में मस्जिद के अवैध निर्माण पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया था कि मस्जिद की ऊपर की तीन मंजिलें अवैध हैं और इन्हें गिराना होगा। यह फैसला 14 साल से चल रहे कानूनी विवाद के बाद आया था। मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड को दो महीने के भीतर इन तीन मंजिलों को अपने खर्चे पर ध्वस्त करने के निर्देश दिए गए थे। मामले की अगली सुनवाई 21 दिसंबर 2024 को निर्धारित की गई है।

14 सालों से कोर्ट में चल रही थी सुनवाई

संजौली की यह मस्जिद 2007 में बनाई गई थी, लेकिन 2010 में स्थानीय निवासियों ने इसे अवैध बताते हुए नगर निगम कोर्ट में याचिका दायर की। तब से इस मामले की सुनवाई चल रही थी, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया था। मस्जिद के निर्माण पर बार-बार नोटिस जारी होने के बावजूद चार मंजिलों का निर्माण पूरा हो गया था। नगर निगम की लापरवाही का भी आरोप लग रहा है, क्योंकि अवैध निर्माण के बावजूद मस्जिद को बिजली और पानी की सुविधा मिलती रही।

Topics: हिमाचल प्रदेशवक्फ बोर्डHimachal Pradeshwaqf boardShimla Municipal Corporationसंजौली मस्जिदशिमला नगर निगमSanjauli Mosque
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