Bhima Koregaon violence: अर्बन नक्सल ज्योति जगताप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, जमानत याचिका जुलाई तक के लिए टली
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Bhima Koregaon violence: अर्बन नक्सल ज्योति जगताप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, जमानत याचिका जुलाई तक के लिए टली

सुप्रीम कोर्ट की ग्रीष्मकालीन छुट्टियां कल से शुरू हो रही हैं।

by Kuldeep Singh
May 16, 2024, 12:55 pm IST
in भारत
Supreme court postponned bail plea of Urban naxal Jyoti Jagtap
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पुणे के एल्गार परिषद भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले की आरोपियों में से एक कथित एक्टिविस्ट और अर्बन नक्सल ज्योति जगताप को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने आरोपी ज्योति की जमानत याचिका पर सुनवाई को जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया है।

दरअसल, अर्बन नक्सल गौतम नवलखा को जमानत मिलने के बाद ज्योति जगताप ने भी सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत की याचिका फाइल कर दी। एक दिन पहले अरबन नक्सल ज्योति की अंतरिम जमानत याचिका को जस्टिस संजीव खन्ना, एमएम सुंदरेश और बेला त्रिवेदी की पीठ के समक्ष लिस्टेड किया गया था, जिसे बाद आज के लिए फिर से लिस्टेड किया था।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जब इस मामले की सुनवाई का वक्त आया तो तीनों जजों ने कहा कि चूंकि मामले की सुनवाई पूरी कर पाना आज संभव नहीं है अत: मामले की सुनवाई को 8 जुलाई के लिए दोबारा से लिस्टेड किया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के जजों की ग्रीष्मकालीन छुट्टियां कल यानि की 17 मई से शुरू हो रही हैं। अत: अब से सुप्रीम कोर्ट बंद हो रहा है। ऐसे में इस मामले को जुलाई तक के लिए टाल दिया गया है।

इसे भी पढ़ें: पिता पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली स्वाती मालीवाल मारपीट पर मौन क्यों ?

बॉम्बे हाई कोर्ट खारिज कर चुका है जमानत याचिका

गौरतलब है कि भीमा कोरेगांव में मामले की आरोपी एक्टिविस्ट के भेष में छुपी अर्बन नक्सल ने जमानत के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद ज्योति जगताप ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी थी। ज्योति जगताप प्रतिबंधित वामपंथी संगठन सीपीआई और 2018 में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से 2020 से जेल में बंद हैं।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पुणे में 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम का आयोजन वामपंथियों और अर्बन नक्सलियों द्वारा किया गया। इनका उद्येश्य दलितों और अन्य समुदायों की भावनाओं को भड़काने और भीमा कोरेगांव सहित महाराष्ट्र में कई जगहों पर हिंसा करना था। साथ ही इनकी कोशिश भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना था। इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 24 अगस्त 2021 को एक मसौदा पेश किया था। इसमें 15 आरोपियों के नाम थे। सभी आरोपी ‘वार्षिक तौर पर एम-4 (परिष्कृत हथियार) की सप्लाई’ के लिए 8 करोड़ रुपये जुटाने की भी साजिश रची थी और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए देश भर के विश्वविद्यालयों से छात्रों को अपने साथ जोड़ा था।

इन पर लगे थे आरोप

हालांकि, आरोपियों पर जहां 16 सामान्य धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे, वहीं उन पर अन्य धाराओं के तहत अलग-अलग आरोप भी लगाए गए थे। जैसे एकडेमिशियन आनंद तेलतुम्बडे पर सबूत नष्ट करने से संबंधित एक धारा के तहत आरोप लगाया गया थे। एनआईए ने जिन अन्य लोगों के खिलाफ आरोप लगाए थे; उनमें सुधीर धवले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गॉडलिंग, शोमा सेन, महेश राऊत, पी. वरवरा राव, वर्नोन गोंजाल्वेज, अरुण फेरिरा, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, हैनी बाबू, रमेश गायचोर, ज्योति जगताप और सुरेंद्र गोरखे भी शामिल हैं। मसौदे में फादर स्टैन स्वामी का भी जिक्र है, हालांकि पिछले महीने मौत के बाद उनके खिलाफ मामला रोक दिया गया है। इसके अलावा मामले में अन्य लोगों का जिक्र है, जिन्हें फरार करार दिया गया है।

Topics: Bhima Koregaon violenceएल्गार परिषदज्योति जगतापElgar ParishadJyoti JagtapSupreme Courtसुप्रीम कोर्टअर्बन नक्सलभीमा कोरेगांव हिंसाUrban Naxal
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