प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पैगम्बर के खिलाफ टिप्पणी को लेकर साम्प्रदायिक घृणा और दिन दहाड़े हत्या व षड्यंत्र के आरोपी मुख्य अभियुक्त सैयद आसिम अली को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। और अन्य पीठ से पूर्व में ट्रायल पूरा करने के निर्देश का पालन करने का अधीनस्थ अदालत को आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि एक साल में ट्रायल पूरा नहीं होता तो याची हाईकोर्ट आ सकता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने लखनऊ के नाका हिंडोला थाने में दर्ज आपराधिक मामले की प्रयागराज की अदालत में चल रहे ट्रायल केस में अभियुक्त की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।
मालूम हो कि, 2016 में सोशल मीडिया में पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को लेकर दो अभियुक्तों मुफ्ती नईम काजमी व इमाम मौलाना अनवारूल हक ने फतवा जारी कर कहा कि हत्या करने वाले को 51 लाख व डेढ़ करोड़ रूपए दिए जायेंगे। शिकायतकर्ता के पति की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। जिसकी एफआईआर 18 अक्टूबर 19 को दर्ज कराई गई। जिसमें दो नामित व दो अज्ञात पर हत्या का आरोप लगाया गया। विवेचना के दौरान षड्यंत्र का बड़ा खुलासा हुआ और 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रायल लखनऊ से प्रयागराज स्थानांतरित किया गया है। अभी तक 35 गवाहो में से सात गवाहों का परीक्षण किया गया है। अन्य दो सह अभियुक्तों की जमानत मंजूर करते हुए हाईकोर्ट ने ट्रायल यथाशीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है। 24 अक्टूबर 19 से याची जेल में बंद हैं। चार साल पांच माह बीत चुके हैं। तर्क दिया गया कि याची मुख्य आरोपी हैं। कोर्ट ने कहा कि साम्प्रदायिक घृणा फैलाना और दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या करना गम्भीर अपराध है। इसलिए याची जमानत पाने का हकदार नहीं हैं। अर्जी खारिज कर दी गई।
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