उत्तराखंड : वक्वबोर्ड और अल्पसंख्यक आयोग चाहता है मदरसों में पढ़ाई जाएं रामायण, दारुल उलूम मौलवी कर रहे इंकार
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उत्तराखंड : वक्वबोर्ड और अल्पसंख्यक आयोग चाहता है मदरसों में पढ़ाई जाएं रामायण, दारुल उलूम मौलवी कर रहे इंकार

मदरसों में जब इंग्लिश और संस्कृत पढ़ाई जा सकती है तो क्यों नहीं पढ़ाई जा सकती और रामायण : मजहर नईम नवाब

by WEB DESK and दिनेश मानसेरा
Feb 1, 2024, 03:01 pm IST
in उत्तराखंड
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देहरादून
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स का कहना है कि हम अपने मदरसों में रामायण का पाठ पढ़ाएंगे, उनकी इस बात का समर्थन अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम ने भी किया है। किंतु इस विपरीत दारुल उलूम के मौलाना कहते है हम नही पढ़ाएंगे।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर में प्रभु श्री राम के विराजमान होने के दौरान उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के बयान ने खूब सुर्खियां बटोरी थी कि वक्फ बोर्ड के अधीन चल रहे मदरसों में रामायण का पाठ पढ़ाया जाएगा।
श्री राम मर्यादा पुरषोत्तम है और उनकी जीवन यात्रा को हर तबके के लिए जानना जरूरी है।
उनके इस बयान का  अल्पसंख्यक आयोग ने भी समर्थन किया है।
अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब ने रामायण पढ़ाने की बात को सही करार देते हुए कहा कि मदरसों में जब इंग्लिश और संस्कृत पढ़ाई जा सकती है तो रामायण क्यों नहीं पढ़ाई जा सकती और रामायण पढ़ाए जाने से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
मजहर नईम कहते है कांग्रेस के लोग केवल राजनीति के लिए इसका विरोध करते रहे हैं
उन्होंने कहा  कि मदरसों में रामायण पढ़ाए जाने से मिलेगा दूसरे धर्म का ज्ञान मिलता है।

उधर उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शम्मून कासमी ने भी मदरसा शिक्षा में वेद पुराण पढ़ाने की बात कही है।

मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष कासमी का बयान

उत्तराखंड के मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी का कहना है कि उत्तराखंड के 417 मदरसों में एनसीआरटीसी पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है जिसमे मर्यादा पुरुषोत्तम राम के विषय में ,हमारे वेद पुराणों हमारे गीता  ग्रंथ में विस्तार से जानकारी दी जा रही है। प्रभु राम हमारे अराध्य है और हमारे आदर्श भी है।

दारुल उलूम के मौलवियों ने किया विरोध

हरिद्वार : उत्तराखंड  में चल रहे दारुल उलूम के मदरसों के मौलवियों ने मदरसों में रामायण वेद पुराणों की शिक्षा दिए जाने के विरोध करते हुए कहा है कि जिन्हे रामायण वेद पुराण पढ़ने है वो दूसरे स्कूलों में दाखिला ले सकते है, हम ये सब नहीं पढ़ाएंगे।
दारुल उलेमा के उत्तराखंड अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद आरिफ ने कहा है कि वे खुद एक मदरसे के प्रिसिपल है वे ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे। हम हरगिज ऐसा नहीं पढ़ाएंगे
उल्लेखनीय है  दारुल उलूम देवबंद का कट्टरपंथी मदनी गुट से जुड़े जितने भी मदरसे है वो अपने पाठ्यक्रम पर चलते रहे है।
ये मदरसे अपने आप को राष्ट्रीय धारा से जुड़ने से परहेज करते रहे है।
उधर कभी कांग्रेस में रह कर मुस्लिम यूनिवर्स्टी की बात करने वाले आम इंसान विकास पार्टी के अध्यक्ष अकील अहमद ने कहा है कि शादाब शम्स जैसे नेता बीजेपी सरकार में लाभ लेने और प्रचार में छाए रहने के लिए ऐसे बेतुके बयान देते है यदि उनमें ऐसी सोच है  तो वे गुरुकुल में भी कुरान की शिक्षा की भी पैरवी करें।

Topics: Ramayanaदारुल उलूमदेवबंद मदरसाUttarakhand Waqf Board
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