BREAKING: कतर: मौत की सजा पाए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की याचिका कतर कोर्ट ने स्वीकारी, जल्द होगी सुनवाई

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Kuldeep singh

भारत सरकार की कोशिशों ने आखिरकार अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। कतर की जेल में जासूसी के आरोप में मौत की सजा काट रहे 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की याचिका को कतर की कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस मामले में भारत सरकार ने कतर की कोर्ट में गुरुवार को अपील दायर की थी।

कतर की अदालत ने पिछले महीने ही नौसेना के अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई थी। अदालत ने कहा कि वे अपील का अध्ययन कर रहे हैं और अगली सुनवाई जल्द होने की उम्मीद है। मौत की सजा पाने से पहले एक साल से 8 भारतीय नौसैनिक कतर की जेल में बंद थे। इस मामले में विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, “फैसला गोपनीय है। प्रथम दृष्टया एक अदालत है जिसने निर्णय दिया जिसे हमारी कानूनी टीम के साथ साझा किया गया। सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करते हुए अपील दायर की गई है। हम कतर के अधिकारियों के संपर्क में हैं।”

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत इस मामले पर कतरी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है और सरकार भारतीय नागरिकों को सभी कानूनी और दूतावास संबंधी सहायता देना जारी रखेगी।

इजरायल के लिए जासूसी के आरोप में हुए थे गिरफ्तार

गौरतलब है कि कतर में जिन 8 नौसेना के पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई है , उसमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश गोपकुमार शामिल हैं। ये सभी अधिकारी अल दाहरा कंपनी में काम करते थे। ये कंपनी डिफेंस इक्विपमेंट बनाती थी। फिलहाल ये कंपनी बंद हो चुकी है। हालांकि, इन सभी अधिकारियों को पिछले साल ही कतर के इस्लामिक प्रशासन ने गिरफ्तार कर लिया था।

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कतर सरकार ने 2022 इन पर जासूसी का आरोप लगाया था। कतर ने आरोप लगाया था कि ये सभी नौसैनिक इजरायल के लिए जासूसी करते थे। इन सभी अधिकारियों को पिछले साल 30 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। इन्हें कतर की इंटेलीजेंस एजेंसी स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद इन सभी अधिकारियों को सॉलिटरी कन्फाइनमेंट यानी कि एक ऐसे एकांत सेल में बंद कर दिया गया था, जहां पर केवल एक ही व्यक्ति होता है। यहां पर इन अधिकारियों को किसी से भी मिलने की इजाजत नहीं थी।

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