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क्या हुआ सिंगापुर में ‘शंगरी-ला डायलॉग’ और शीर्ष गुप्तचर एजेंसियों की बैठक में!

बैठक में अमेरिका की तरफ से वहां के गुप्तचरी प्रमुख यानी नेशनल इंटेलिजेंस की निदेशक एवरिल हाइन्स आई थीं तो भारत की गुप्तचर संस्था रॉ यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के निदेशक सामंत गोयल भी इस बैठक में शामिल हुए थे

by WEB DESK
Jun 6, 2023, 02:30 pm IST
in विश्व
शंगरी ला डायलॉग में हाथ मिलाते हुए चीन के रक्षा मंत्री ली शांग्फू और अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन

शंगरी ला डायलॉग में हाथ मिलाते हुए चीन के रक्षा मंत्री ली शांग्फू और अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन

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सिंगापुर में विश्व की प्रमुख गुप्तचर एजेंसियों की एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न् हुई है। आज की भूराजनीति और वैश्विक घटनाओं के संदर्भ में यह बैठक कितनी खास थी इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें अमेरिका के बड़े अधिकारियों सहित दो दर्जन से अधिक वरिष्ठ गुप्तचर अधिकारी शामिल हुए थे।

दरअसल सिंगापुर में हाल ही में सुरक्षा से जुड़े विषयों पर ‘शंगरी-ला डायलॉग’ हुआ था। इसके दौरान ही यह गुप्तचर बैठक आयोजित की गई थी। गुप्त बैठक ‘गुप्त’ थी इसलिए पहले की तरह इसकी पूर्व सूचना सार्वजनिक नहीं की गई थी। बैठक में भारत के रॉ प्रमुख सामंत गोयल का सम्मिलित रहना भारत के संदर्भ में इसका महत्व रेखांकित करता है।

दिलचस्प बात है कि ऐसी गुप्तचरी के विषयों से जुड़ी बैठकें सिंगापुर की सरकार आयोजित करती आ रही है। सिंगापुर में होने वाले इस सुरक्षा शिखर सम्मेलन के दौरान ही यह बैठक पहले सूचना सार्वजनिक किए बिना किसी और जगह पर रखी जाती है।

जहां इसमें अमेरिका की तरफ से वहां के गुप्तचरी प्रमुख यानी नेशनल इंटेलिजेंस की निदेशक एवरिल हाइन्स आई थीं तो भारत के एक सूत्र द्वारा ​दी गई जानकारी के अनुसार, भारत की गुप्तचर संस्था रॉ यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के निदेशक सामंत गोयल भी इस बैठक में शामिल हुए थे।

गुप्तचरी की यह बैठक कितनी गुप्त रही, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि सिंगापुर में जो अमेरिकी दूतावास है, उससे ‘इस बैठक के संबंध में कोई जानकारी नहीं है’। उधर चीन और इधर भारत सरकार ने भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस बैठक का आयोजन मुख्यत: ‘फाइव आईज नेटवर्क’ करता है और इस ‘नेटवर्क’ का संचालन अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया के द्वारा होता है।

पता यह चला है कि गुप्तचरी पर हुई इस बैठक में एजेंडा था गुप्तचरी की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय विषय। बेशक इसमें जिन देशों ने भाग लिया था उन्हें देखें तो इस संबंध में आपसी समझ और समन्वय बढ़ाने संबंधी चर्चा की गई थी।

अब सवाल उठता है कि आखिर यह गुप्तचरी संबंधी बैठक सिंगापुर में ही क्यों आयोजित होती आ रही है? दरअसल, गुप्तचरी से जुड़ी सेवाओं में आपस में समझ में आने वाला एक गुप्त या कूट कोड होता है। इसमें खास मुद्दा है कि ऐसे में जब ज्यादा औपचारिक तथा ‘ओपन डिप्लोमेसी’ मुश्किल हो तो बात गुप्त तरीके से की जाए। यही वजह है कि सिंगापुर को इस बैठक के लिए उचित स्थान माना जाता है। इसमें चर्चित विषय बहुत महत्व के होते हैं इसलिए चर्चा के बिन्दु और एजेंडा सार्वजनिक रूप से बताया नहीं जाता है।

दिलचस्प बात यह भी है कि गुप्तचरी की यह बैठक कितनी गुप्त रही, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि सिंगापुर में जो अमेरिकी दूतावास है, उससे ‘इस बैठक के संबंध में कोई जानकारी नहीं है’। उधर चीन और इधर भारत सरकार ने भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस बैठक का आयोजन मुख्यत: ‘फाइव आईज नेटवर्क’ करता है और इस ‘नेटवर्क’ का संचालन अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया के द्वारा होता है।

पता यह भी चला है कि शंगरी ला सम्मेलन में रूस शामिल नहीं हुआ था, अलबत्ता यूक्रेन के उप रक्षा मंत्री वलोदिमिर हैवरीलोव इसमें शामिल थे। इस सम्मेलन में 600 प्रतिनिधियों ने लिया था जो दुनिया के 49 देशों से आए थे। रक्षा मंत्रियों और अधिकारियों ने आपस में और सबके साथ भी बैठकें कीं। इस सम्मेलन में मुख्य वक्ता के नाते ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीसी मौजूद थे। इसमें विशेष रूप से अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन, चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू तथा ब्रिटेन के अधिकारियों ने भाग लिया था।

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