गोवा, भारत में एससीओ यानी शंघाई सहयोग संगठन की बैठक का आज उद्घाटन करते हुए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने उसी धारदार अंदाज में नजर आए जिसके लिए वे आज विश्व भर में जाने जाते हैं। जयशंकर ने बैठक में अपना वक्तव्य रखते हुए आतंकवाद पर सीधी चोट की। इस बैठक में चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी भाग ले रहे हैं।
भारत का पक्ष रखते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने बैठक में मौजूद पाकिस्तानी विदेश मंत्री को संकतों में बात समझा दी। उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि सीमापार आतंकवाद सहित आतकवाद को हर तरह से समाप्त करना ही चाहिए।
इस बात पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी, चीन के विदेश मंत्री छिन कांग कुछ असहज नजर आए, क्योंकि उन्होंने संकेत का समझ लिया था। बैठक में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी मौजूद थे। इन सबकी उपस्थिति में भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद की तरफ से आंखें फेर लेना एससीओ के सुरक्षा हितों की दृष्टि से नुकसानदेह ही साबित होगा।
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया जिस वक्त कोविड-19 की आपदा तथा उसके प्रभावों से जूझ रही थी, उस वक्त भी आतंकवाद की समस्या वैसी ही बनी रही थी। इसमें किसी भी कूटनीतिक जानकार को संदेह नहीं होगा कि जयशंकर का संकेत आतंकवाद को राज्य की नीति में शामिल करने वाले पाकिस्तान की तरफ ही था।
भारत के विदेश मंत्री ने इससे भी एक कदम आगे जाते हुए अपील की कि आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों को वित्तपोषण के सभी रास्तों को बंद करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पांचजन्य ने अभी कल ही कराची में मस्जिद के बाहर कश्मीर और फिलिस्तीन के नाम पर चंदा उगाही करते हुए प्रतिबंधित आतंकवादी गुट जैशे मोहम्मद के लोगों का सचित्र समाचार प्रकाशित किया था।
जयशंकर ने अपने संबोधन में आगे कहा कि दुनिया जिस वक्त कोविड-19 की आपदा तथा उसके प्रभावों से जूझ रही थी, उस वक्त भी आतंकवाद की समस्या वैसी ही बनी रही थी। इसमें किसी भी कूटनीतिक जानकार को संदेह नहीं होगा कि जयशंकर का संकेत आतंकवाद को राज्य की नीति में शामिल करने वाले पाकिस्तान की तरफ ही था।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत का यह दृढ़ मत है कि आतंकवाद को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है। इसलिए आतंकवाद चाहे सीमापार से हो अन्य किसी भी रूप में, इस पर लगाम लगानी ही चाहिए।
भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद का प्रतिकार करना तो एससीओ के मौलिक एजेंडे का हिस्सा है। अपने संबोधन के शुरू में उन्होंने कहा कि वे एससीओ की भारत द्वारा पहली बार की जा रही अध्यक्षता के अंतर्गत यहां आए मेहमानों की मेजबानी करते हुए आनंद का अनुभव कर रहे हैं। भारत एससीओ में बहुपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने, शांति व स्थिरता को बढ़ावा दिए जाने और सदस्य देशों के नागरिकों के बीच नजदीकी संवाद को बहुत ज्यादा महत्व देता है।
इस बैठक में जयशंकर ने अफगानिस्तान का भी उल्लेख किया और कहा कि वहां जो चल रहा है उस पर हमारा ध्यान बना हुआ है। उन्होंने अपील की कि हमारे प्रयास अफगानी नागरिकों के हित की दिशा में होने चाहिए। अफगानिस्तान में तात्कालिक प्राथमिकताएं हैं मानवीय सहायता, वहां एक असल मायनों में समावेशी सरकार होना, आतंकवाद का प्रतिकार करना तथा महिलाओं, बच्चों तथा अल्पसंख्यकों के अधिकारों को संरक्षित करना।
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