देहरादून । होटल में वेटर का काम करने से लेकर सन 2016 में हुए रियो ओलंपिक में भारत का नेतृत्व करने वाले मनीष सिंह रावत की कहानी हर किसी के लिए महान प्रेरणा से कम नहीं है।
वह एक ऐसे हिमालय राज्य से आते हैं जहां किसी को रेसवॉकिंग स्पोर्ट की सामान्य जानकारी भी नहीं हैं लेकिन उसी खेल में मनीष ने देश का सम्मान अंतर्राष्ट्रीय स्तर बढ़ाया हैं। ट्रैक एंड फील्ड खेलों में रेसवॉकिंग किसी भी तरह से आसान खेल नहीं है, क्योंकि इस खेल में आपका एक पैर हमेशा हवा में रहना चाहिए और यदि ऐसा नहीं होता है, तो आप तुरंत अयोग्य साबित हो जायेंगे। इस खेल में आपके पास जबरदस्त स्टैमिना, तकनीक और फिटनेस होने के साथ लम्बी दूरी तक पैदल चलने की भी काबिलियत होनी चाहिए जो आपकी मानसिक क्षमता को भी परखने का काम करती हैं।
जन्म – 5 मई सन 1991 चमोली, उत्तराखण्ड.
मनीष सिंह रावत का जन्म 5 मई सन 1991 को उत्तराखण्ड के अत्यंत दूरस्थ क्षेत्र के अति दुर्गम ग्राम गोपेश्वर, सागर में हुआ था। मनीष रावत का परिवार बेहद गरीब था। पारिवारिक पृष्ठभूमि आर्थिक रुप से कमजोर होने के कारण उन्होंने बेहद संघर्षपूर्ण माहौल में जीवन यापन किया था। मनीष जब केवल 10 वर्ष के थे, उस समय उनके पिता का देहांत हो गया था। मनीष ने अपनी माँ को अपने सहित चार बच्चों के परिवार का पालन-पोषण करने के लिए दिन–रात खेतों में काम करते देखा था। मनीष अपनी मां के साथ सुबह खेत में काम करने के पश्चात करीब सात किमी दूर पैदल ही स्कूल जाते थे। आर्थिक रुप से कमजोर पारिवारिक कारणों से उन्हें होटल में वेटर के तौर पर काम करना पड़ा, इससे वह अपने परिवार को सहायता देकर संभालते थे। मनीष ने हाउस हेल्प, किसान, टूरिस्ट गाइड, डिशवाशर, खेतिहर मजदूर और ट्रैक्टर चलाने तक का काम किया था। दो बहन और एक छोटे भाई के साथ मनीष को अपनी अल्प आय पर परिवार का भरण-पोषण करने में बेहद कठिनाई होती थी। बेहद संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में मनीष ने राजकीय इन्टर कॉलेज बैरागना मण्डल, चमोली से हाईस्कूल की शिक्षा प्राप्त की थी।
एथलेटिक्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर उन्हें सरकारी नौकरी मिल सकती है, मनीष ने रेस वॉकिंग करने का फैसला किया। एक और जहां दूसरे एथलीट अच्छे संसाधनो के साथ ट्रैक पर ट्रेनिंग करते थे, वहीं मनीष पहाडियों पर पैदल चलकर अभ्यास करते थे। मनीष ने विश्वस्तर के उपकरणों की कमी और बद्रीनाथ में उनके पैदल चलने के अभ्यास का मज़ाक उड़ाने वालों की भीड़ से दूर होने से इनकार कर दिया था। फटे जूतों में पहाड़ी इलाकों में प्रशिक्षण लेने के साथ मनीष ने अपने परिवार के भरण पोषण हेतु कई तरह की नौकरियां करना भी जारी रखा था। सन 2009 में मनीष ने पौड़ी में आयोजित भारतीय सेना के स्पोर्टस कोटा भर्ती में आवेदन किया गया था, जिसमें उनका चयन नहीं हुआ था। मनीष अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए बेहद प्रयत्नशील थे। यह उनके लिए आर्थिक रूप से सबसे कठिन समय था। मनीष ने अपने परिवार के लिए खेल छोड़ने पर भी विचार किया था। उनके कोच ने उन्हें ऐसा करने से मना करते हुए मनीष का आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ ट्रेनिंग को जारी रखने के लिए कहा, जिससे वह अपने सपने को पूरा कर सके।
सन 2009 में देहरादून में आयोजित नॉर्थ जोन एथलेटिक्स चैम्पियशिप में 10 किमी. स्पर्धा में 49 मिनट 52 सेकण्ड का समय निकालकर उन्होनें प्रथम स्थान प्राप्त किया था। निरंतर अथक प्रयासों के पश्चात सन 2011 में मनीष रावत का उत्तराखण्ड पुलिस में खेल कोटा से आरक्षी के पद पर चयन हो गया था। ऑल इण्डिया पुलिस चैम्पियनशिप सन 2012 में उन्होनें 20 किमी. चाक रेस में 1 घंटा 25 मिनट का समय निकालकर तृतीय स्थान प्राप्त किया गया था। फरवरी सन 2013 में पटियाला, पंजाब में आयोजित प्रथम राष्ट्रीय रेस वाकिंग प्रतियोगिता में मनीष ने 50 किमी. वॉक रेस में प्रतिभाग कर 4 घंटा 13 मिनट का समय निकालकर द्वितीय स्थान प्राप्त किया था। इसके बाद मनीष का चयन 50 किमी.वाक रेस की राष्ट्रीय टीम में हो गया था।
सन 2014 में उन्होनें द्वितीय नेशनल रेस वाकिंग प्रतियोगिता में 50 किमी.में प्रतिभाग कर 4 घंटा 9 मिनट का समय निकालकर द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा चीन में आयोजित वर्ल्ड कप के लिये चयनित हुये। चीन में 50 किमी.वॉक रेस में 4 घंटा 2 मिनट 8 सेकेण्ड का समय निकालकर उन्होनें 32वाँ स्थान प्राप्त किया। सन 2014 में ही दिल्ली में आयोजित ओपन नेशनल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में उन्होनें 20 किमी. वाक रेस में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। अप्रैल सन 2015 में उनका पुर्तगाल कैम्प के लिये चयन हुआ, जहाँ उन्होनें आईएएएफ रेस वॉकिंग चैलेंज में 20 किमी. वॉक रेस में 1 घंटा 22 मिनट 50 सेकेंड का समय निकालकर ओलम्पिक के लिये क्वालीफाई किया था। मनीष रावत ने रियो ओलम्पिक सन 2016 में 20 किमी. चाक रेस में प्रतिभाग कर 1 घंटा 21 मिनट 21 सेकेंड का समय निकालकर 13वाँ स्थान प्राप्त कर देश, प्रदेश के साथ उत्तराखण्ड पुलिस का भी नाम रोशन किया था। इस प्रतियोगिता में मनीष रावत बहुत ही कम अंतर से पदक प्राप्त नहीं कर पाये। मनीष रावत ओलम्पिक खेलों में 50 व 20 किमी. वॉक रेस के लिए क्वालीफाई करने वाले देश के प्रथम खिलाड़ी है। वर्तमान समय में मनीष भारतीय रेसवॉकिंग टीम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस समय मनीष सिंह रावत राहुल द्रविड एथलीट मेंटरशिप प्रोग्राम के तत्वाधान में चलने वाली गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन के अंतर्गत मनीष अपनी तैयारी कर रहे हैं।
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