ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में जमकर हंगामा हुआ। मंदिर में भीड़ ने खालिस्तान समर्थक नारे लगाए। इतना ही नहीं लोग खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले व किसान आंदोलन के दौरान चर्चा में आए दीप सिद्धू की तस्वीरें लेकर भी नजर आए।
जानकारी के अनुसार लोगों का एक समूह अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर जुटा। इस दौरान खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए गए और भिंडरावाले के पोस्टर दिखाए गए। ऑपरेशन ब्लू स्टार की वर्षगांठ पर बड़ी संख्या में सिविल वर्दी में पुलिस फोर्स भी तैनात की गई है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि आजादी ने सिखों को धार्मिक और राजनीतिक रूप से कमजोर किया है। यहां पहली बार संगत के लिए श्री अकाल तख्त साहिब के पास एलईडी स्क्रीन लगाई गई है। इसके साथ ही शहर में कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। पिछले काफी दिनों से सुरक्षा एजेंसियों ने शहर को चारों तरफ से सील किया हुआ है। पंजाब भर से पुलिस और अर्धसैनिक बल के 10 हजार जवान शहर के चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए हैं।
शहर में धारा 144 लागू करते हुए लाइसेंसी हथियार लेकर चलने पर भी रोक है। किसी भी प्रकार से शहर का माहौल खराब न हो, इस पर पुलिस कड़ी नजर रखे हुए है। शहर के प्रवेश द्वारों पर लगातार वाहनों की चेकिंग की जा रही है। बैरिकेडिंग के जरिए 90 जगहों पर नाकाबंदी की गई है। इसके साथ ही 110 पीसीआर की टीमें शहर में लगातार गश्त कर रही हैं। अगर कहीं कोई वारदात होती है तो ये टीमें तुरंत मौका-ए-वारदात पर पहुंचेंगी।
केवल दरबार साहिब के आसपास और हेरिटेज स्ट्रीट में चार हजार जवानों को तैनात किया गया है। पुलिस की गुप्तचर टीमें गर्मख्यालियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए हैं। रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, श्री दुर्ग्याणा तीर्थ, श्री रामतीर्थ, माल के प्रवेश द्वारों पर लगातार तलाशी ली जा रही है। हेरिटेज स्ट्रीट और श्री दरबार साहिब के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई है। दल खालसा के वर्कर भी बड़ी संख्या में समागम में हिस्सा लेने के लिए अकाल तख्त पर पहुंचे।
क्या है ऑपरेशन ब्लू स्टार
पंजाब में आतंकवाद के दौरान खालिस्तानी आतंकियों ने अमृतसर के श्री हरि मंदिर साहिब में किलेबन्दी कर शरण ली हुई थी। 6 जून, 1984 में भारतीय सेना ने पहले संयम से काम लेते हुए आतंकियों को बाहर निकलने को कहा, परन्तु उनके द्वारा भयंकर गोलाबारी करने के चलते सेना को एक्शन लेना पड़ा। इसमें जरनैल सिंह भिण्डरांवाला व उसके भारी संख्या में साथी मारे गए और कई सैनिक भी बलिदान हुए। उसके बाद इस घटना को लेकर हर साल बरसी मनाई जाती है और अलगाववादियों द्वारा आपत्तिजनक नारेबाजी की जाती है। अलगाववादी इसे घल्लुघारा दिवस बताते हैं जिसका अर्थ है वह दिन जब सिखों का नरसंहार हुआ।
अकाल तख्त के जत्थेदार का पंथ को संदेश
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि आजादी के बाद सिखों को धार्मिक और राजनीतिक रूप से कमजोर किया गया है। सरकारों के सिखों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। सिखों को मजबूत होकर देश की इकोनामी में भागीदारी बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा कि ईसाईयत के बढ़ रहे प्रभाव का मुकाबला करने के लिए सबको एकजुट होना होगा। सिखी के प्रचार के लिए सभी को एकजुट होकर मैदान में उतरना होगा। जत्थेदार ने कहा कि 1947 से ही सिखों को दबाने की नीतियां बन गई थीं।
उन्होंने कहा कि सिखों के सामने आज बहुत चुनौतियां खड़ी हैं, जो हमें धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक तौर पर कमजोर कर रही हैं। इसी कड़ी में ईसाईयत का प्रचार जोर-शोर से हो रहा है। इस पर अंकुश लगाने के लिए एकजुट होकर दोबारा मैदान में डटना होगा। गांव-गांव जाकर सिखी को बुलंद करना होगा। अब एसी कमरों से बाहर निकलने का समय आ गया है। अगर हम धार्मिक रूप से मजबूत नहीं होंगे तो हम आर्थिक रूप से ताकतवर नहीं होंगे। इससे ही राजनीतिक कमजोरी आएगी।
राज करने का संकल्प खालसा दोहराता रहेगा। कोई खुली जुबान से राज मांगता है तो कोई दबी जुबान से। सिख संस्थाओं की उन्होंने अपील की कि वह गुरुद्वारों में गतका एकेडमी स्थापित करेंगे। माडर्न शूटिंग रेंज कायम की जाए, इसमें कोई हर्ज नहीं है। हम खुलेआम शस्त्रों की ट्रेनिंग देंगे, लुक छिपकर नहीं देंगे। सफर बहुत लंबा है, इसके लिए हमें मतभेद भुलाकर चलना होगा। गुरु हमारे साथ है, उनकी आशीष हमारे साथ है। जत्थेदार ने कहा हम सभी मतभेद भुलाकर साथ चले। सभी गुरु के बन जाएं, गुरु हमारे साथ है, उनका आशीर्वाद हमारे साथ है।
टिप्पणियाँ