छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में ग्रामीणों ने नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नक्सल प्रभावित इलाके के लोग विकास कार्य चाहते हैं, लेकिन नक्सली उसमें बाधक हैं। यह पहला मामला है जब नारायणपुर में लोग खुलकर नक्सलियों के खिलाफ बोल रहे हैं।
दरअसल, नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के छोटे डोंगर थानांतर्गत मढ़ोनार गांव में करीब ढाई करोड़ की लागत से प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत सड़क और पुल का निर्माण कराया जा रहा था। नक्सली नहीं चाहते कि उनके प्रभाव क्षेत्र में सड़क निर्माण या कोई विकास कार्य हो। इसलिए उन्होंने सड़क निर्माण बंद करने की चेतावनी दी थी। लेकिन नक्सलियों की चेतावनी के बावजूद सड़क निर्माण कराया जा रहा था। इसी दौरान 23 सितंबर की रात को ग्रामीणों की वेशभूषा में नक्सली आए और पहले मुंशी संदीप को जमकर पीटा और सड़क निर्माण में जुटे मजदूरों के सामने गला रेतकर उसकी हत्या कर दी। नक्सलियों ने एक जेसीबी, ट्रैक्टर सहित कई गाडि़यों में आग लगा दी। इस घटना को अंजाम देने के बाद नक्सलियों ने पर्चे भी फेंके। इसमें उन्होंने लिखा था- सड़क निर्माण कार्य बंद करने के लिए पहले भी ठेकेदार और मुंशी को चेतावनी दी गई थी। इसके बावजूद सड़क निर्माण कराया जा रहा था। इसे तत्काल बंद किया जाए। नक्सलियों के उत्पात के बाद पूरा मढ़ोनार गांव 8 किलोमीटर पैदल चल कर प्राथमिकी दर्ज कराने थाने पहुंच गया। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
थाने पहुंचे ग्रामीणों का कहना था कि बड़ी संख्या में नक्सलियों ने धावा बोला और निर्माण कार्य बंद करा दिया। इससे उनके रोजी-रोजगार पर संकट आ गया है। नक्सलियों ने ग्रामीणों के साथ मारपीट की और एक मुंशी को बेरहमी से मार डाला। ग्रामीणों ने कहा कि वे गांव में सड़क और पुल चाहते हैं, लेकिन नक्सली इसमें बाधक बन रहे हैं। सड़क नहीं होने के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गांव तक एम्बुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है। बरसात के मौसम में इलाके के छोटे-बड़े नदी-नालों में पानी भर जाता है, जिससे जरूरत का सामान लेने के लिए वे दूसरे गांव तक भी नहीं जा पाते हैं। ग्रामीणों ने कहा कि केवल खेती से उनका गुजारा नहीं हो रहा। मढ़ोनार में बिना सुरक्षा के काम चल रहा था। हालांकि कुछ दिन पहले ही नक्सल अभियान के विशेष डीजीपी ने बैठक लेकर विकास कार्यों में सुरक्षा देने के निर्देश दिए थे।
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