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नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा गत दिनों 3 दिवसीय शक्ति पर्व का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में उपस्थित सिंधुताई सपकल 'माई' ने समारोह का शुभारंभ किया। इस पर्व में व्याख्यान, नाट्य थेरेपी, कार्यशाला, फिल्म प्रदर्शन, नुक्कड़ नाटक, प्रदर्शनियां, संगोष्ठी, पुस्तक परिचर्चा, नृत्य एवं संगीत का आयोजन किया गया। पहले दिन डिम्पल कौर द्वारा नाट्य थेरेपी कार्यशाला की गयी। प्रसिद्ध रंगकर्मी अरविन्द गौड़ निर्देशित नुक्कड़ नाटक 'दस्तक' प्रस्तुत किया गया। तो वहीं 'महिला एवं शिक्षा' विषय पर आधारित चर्चा सत्र में प्रो. शशि प्रभा कुमार, डॉ़ पंकज मित्तल, ड़ॉ स्वाति पाल, ड़ॉ. सविता खान, ड़ॉ. श्वेतांशु भूषण ने अपने-विचार व्यक्त किए। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सिन्धु ताई ने कहा कि मेरे ऊ पर बनी फिल्म में मेरे द्वारा जन्मे बच्चे की नाल को पत्थर से चार चोट में काटते हुए दिखाया गया है लेकिन हकीकत में मैंने 16 चोट मारकर बच्चे को नाल से अलग किया था। जब मेरे पति ने मुझे घर से निकाल दिया तो मैं श्मशान भूमि में रहने लगी। वहां रात में किसी आदमी से भय नहीं था, मैंने भीख मांगकर अपना पेट भरा और भीख में जो मिलता, उसे अन्य भिखारियों के साथ मिल-बांटकर खाती। मैं उन्हें खाना देती थी और वेे मेरा संरक्षण करते थे। आज वक्त खराब है लेकिन अभी समय है जब हम इसे ठीक कर सकते हैं। कौन कहता है कि भगवान नहीं होते? भगवान का नाम मुझे नहीं मालूम है लेकिन इतना यकीन है कि वह है।
कार्यक्रम में उपस्थित केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि आज जिस विभूति को सुनने हम सब यहां मौजूद हैं, उसकी जीवन यात्रा के बारे में जब हम पढ़ते या सुनते हैं तो सहसा यकीन नहीं होता कि इतना सब एक व्यक्ति के साथ घटित हुआ होगा, लेकिन यह सब सच है। सिंधुताई एक ऐसी शख्सियत हैं जिनके साथ इतना सब कुछ होने के बावजूद भी उनके मन में समाज के प्रति कटुता नहीं बढ़ी, बल्कि वेे समाज के प्रति और अधिक संवेदनशील हो गई जिनको समाज दुत्कार देता, सिन्धु ताई उनको अपना लेतीं। इस अवसर पर अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे। – प्रतिनिधि
''राष्ट्र की संस्कृति का हम करें सम्मान''
गत दिनों देहरादून स्थित विश्व संवाद केन्द्र की ओर से श्रीगोवर्धन विद्या मन्दिर में 'वार्षिकी 2017' का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में केंद्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के कुलपति डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि जब अयोध्या में श्रीराम मन्दिर की बात होती है तो हमारा मन अन्दर से झकझोरने लगता है। इसी से हमारे हिन्दू होने का पता चलता है। पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां इस धरा को धरती माता कहा जाता है। ऐसी संस्कृति विश्व के किसी भी देश में नहीं है। उन्होंने कहा कि सही अर्थों में राष्ट्र का नागरिक वही व्यक्ति होता है जो राष्ट्र की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धरोहरों का दिल से सम्मान करे, उनके प्रति आदर का भाव रखे। क्योंकि एक नागरिक को अच्छा नागरिक तभी कहा जाता है, जब वह राष्ट्र के प्रत्येक क्षेत्र की सांस्कृतिक व सामाजिकता का नि:स्वार्थ भाव से अपने हृदय से सम्मान करे। कार्यक्रम के अध्यक्ष उच्च शिक्षा मंत्री ड़ॉ धनसिंह रावत ने कहा कि युवाओं के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है। – (विसंकें, देहरादून)
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