चौथा स्तम्भ / नारद - अपनी ही खबरों के आईने में मीडिया
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

चौथा स्तम्भ / नारद – अपनी ही खबरों के आईने में मीडिया

by
Aug 28, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 28 Aug 2017 13:25:56

लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित की जेल से रिहाई को लेकर मीडिया अपना ही दामन छिपाने में जुटा है। देश के एक बहादुर फौजी को अगर अपने ही देश में 9 साल तक बंदी रहना पड़ा तो इस शर्मनाक स्थिति के पीछे तत्कालीन कांग्रेस सरकार के साथ-साथ मीडिया भी बराबर का दोषी है। खास तौर पर एनडीटीवी इस साजिश में खुलकर शामिल रहा है। उसकी कई पुरानी रिपोर्ट आज भी यूट्यूब पर देखी जा सकती हैं, जिनमें झूठे तथ्यों के आधार पर कर्नल पुरोहित और दूसरे तमाम हिंदू नेताओं, संतों और संगठनों के खिलाफ कहानियां गढ़ी गई हैं। यह वही एनडीटीवी है जिसने कहा था कि 1818 में मराठा साम्राज्य के अंत के साथ 'हिंदू आतंकवाद' की शुरुआत हुई थी। इसने ठाणे, नासिक और पुणे के पूरे इलाके को 'हिंदू आतंकवाद' का गढ़ कहकर संबोधित किया था। साथ ही हिंदू संगठनों के दफ्तरों को 'आतंकवादी ट्रेनिंग केंप' बताकर दिखाता रहा। ये चैनल बिना किसी आरोपपत्र के कर्नल पुरोहित को 'आतंकवाद का आरोपी' बताने में जुटा है।
शायद षड्यंत्र की पोल खुल जाने की खीझ ही रही हो कि एनडीटीवी समेत कई मीडिया समूहों ने कर्नल पुरोहित की रिहाई को किसी मामूली आपराधिक मुकदमे की तरह दिखाया। ज्यादातर ने शाम को अधकचरी बहसें कराकर कर्तव्य की इतिश्री कर ली। देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को निकालने के केंद्र सरकार के फैसले पर भी अंग्रेजी अखबारों का अजीबो-गरीब रुख देखने को मिला। कई अखबारों ने उनके पक्ष में संपादकीय लेख छापे। अब जब साफ हो चुका है कि ये घुसपैठिए देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं, मीडिया के एक वर्ग का अमानवीय रवैया समझ से परे हैं।
बीते हफ्ते जो खबर सबसे ज्यादा चर्चा में रही थी मुसलमानों में तीन तलाक की कुप्रथा पर सवार्ेच्च न्यायालय का फैसला। मीडिया को भी इसका कुछ श्रेय जरूर जाता है, जिसने इसे लेकर जागरूकता पैदा करने में मदद की। लेकिन यह बात भी सही है कि 2014 से पहले ज्यादातर चैनल और अखबार इस विषय को छूने तक से डरते थे। पूरी मीडिया में एक तरह की अघोषित आम सहमति थी कि मुसलमानों के धार्मिक अपराधों और उनकी कुरीतियों की चर्चा नहीं करनी है। वैसे तीन तलाक पर सवार्ेच्च न्यायालय के फैसले पर भ्रम की स्थिति पैदा करने में भी मीडिया ने भरपूर हाथ बंटाया। कई चैनल और एक समाचार एजेंसी ने सबसे पहले खबर देने की होड़ में गलत जानकारी प्रसारित कर दी। बताया गया कि अदालत ने तीन तलाक को सही ठहराया है। चैनलों को अपनी भूल समझने और सही खबर देने में काफी वक्त लगा। पत्रकारों की अपरिपक्वता का इस स्थिति के पीछे बड़ा हाथ है।  प्राकृतिक आपदाएं, मानवीय चूक और लापरवाही जैसे कारणों से आए दिन जनधन की हानि होती रहती है। इन्हें रोकना या काबू करना हर सरकार के लिए चुनौती होती है। मीडिया की भूमिका यह है कि वह जनता में जागरूकता लाने की कोशिश करे और सरकारों पर दबाव बनाए कि ऐसे कारणों को नियंत्रण में किया जाए जिनके चलते दुर्घटनाएं और आपदाएं आती रहती हैं। मुश्किल तब होती है जब मीडिया किसी दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा की कवरेज एक राजनीतिक दृष्टिकोण के साथ करे। गोरखपुर हादसे में हमने देखा कि सारी कवरेज उत्तर प्रदेश सरकार को कोसने पर केंद्रित थी। जबकि उस सड़ी हुई व्यवस्था का जिक्र कम ही था जिसके कारण साल दर साल बच्चे अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं।
इसी तरह भारतीय रेल की बदहाली किसी से छिपी नहीं है, लेकिन क्या रातोरात यह स्थिति बदल सकती है? सरकार की कोशिशों में कमियां उजागर करने के बजाए बुलेट ट्रेन और स्टेशनों पर साफ-सफाई को कोस कर मीडिया क्या हासिल करना चाहता है? हादसे रोकना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन उसके लिए सरकार और अधिकारियों पर दबाव बनाने का यह तरीका नहीं हो सकता कि अच्छी बातों पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े किए जाएं। अच्छा होता कि रेलवे में जारी बदलाव के लिए मीडिया एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाता।
उधर देश के पूर्वी इलाकों में बाढ़ को लेकर ऐसी ही नकारात्मक कवरेज देखने को मिली। देश के कई इलाकों को हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ती है।इसके कारण होने वाली तबाही को नियंत्रित करने में हमारा सरकारी तंत्र कितना सफल या विफल रहा है, इसे लेकर बहस हो सकती है। लेकिन यह कहां तक उचित है कि किसी बाढ़ पर सिर्फ इसलिए ज्यादा फोकस किया जाए क्योंकि वहां पर 'पसंद की सरकार' नहीं है। बिहार में बाढ़ की विभीषिका पर कुछ चैनलों ने विस्तृत रिपोटिंर्ग की, लेकिन अपने परंपरागत राजनीतिक पूर्वाग्रह से खुद को बचा
नहीं सके।
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने ऐसी टिप्पणियां भी कीं कि ''अगर नीतीश-लालू का गठबंधन रहा होता तो बिहार की बाढ़ को लेकर इतनी गंभीरता नहीं दिखती।'' अच्छा होगा, अगर मीडिया ऐसी मानवीय त्रासदियों को दिखाने में अपनी राजनीतिक संकीर्णता से ऊपर उठ सके।    

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies