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अतुल तिमूरनिकर
52 वर्ष जीआईआईएस
प्रेरणा
महात्मा गांधी के विचार मुझे हरदम प्रेरित करते हैं। उन्होंने जो सिद्धांत दिया वह मुझे पग-पग पर राह दिखाता है।
उददेश्य
बच्चे खुले दिमाग के साथ भविष्य के लिए तैयार हों। उनके अंदर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अपने को जानकर कुछ करने की शक्ति हो। मूल्यों पर अपनी जिंदगी स्थापित करें।
जीवन का अहम मोड़
बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करते-करते बहुत कुछ देखा था। लेकिन मन में बराबर खटकता था कि जिस समाज ने हमें सब कुछ दिया, उसे हमें भी कुछ वापस लौटाना है। बस मन में ठानी और आज यहां हैं।
ज्ञान-धन के प्रति दृष्टि
ज्ञान व्यक्ति की नींव होती है। धन इसके जरिए अपने आप आएगा
दिलचस्प आंकड़ा
ग्लोबल इंटरनेशनल स्कूल में 800 शिक्षक 13,000 से ज्यादा छात्रों को पढ़ाते हैं
-अश्वनी मिश्र-
सिंगापुर में 10 बरस तक एचसीएल एवं आईबीएम जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम कर चुके महाराष्ट्र के अतुल तिमूरनिकर वर्तमान में ग्लोबल स्कूल फाउंडेशन के चेयरमैन हैं। शिक्षा की गुणवत्ता कैसे सुधरे, इसके लिए ग्लोबल इंडियन इंटरनेशनल स्कूल (जीआईआईएस)का संजाल भारत सहित सात देशों—सिंगापुर, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम, जापान, थाईलैंड में काम कर रहा है। अतुल ने 2002 में सिंगापुर में इस संस्था का पहला स्कूल स्थापित किया था लेकिन आज जीआईआईएस का संजाल काफी बड़ा है। इस का सालाना कारोबार 200 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है।
अतुल ने नागपुर के विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग करने के बाद ईस्ट लंदन ऑफ विश्वविद्यालय से एमबीए किया। शिक्षा के बाद उन्होंने दस वर्ष तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया। लेकिन मन में यह उथल-पुथल मची हुई थी कि जिस समाज ने इतना कुछ दिया, उसे भी कुछ लौटाना चाहिए। इसी उथल-पुथल के बीच तिमूरनिकर ने नौकरी छोड़ दी। वे कहते हैं, ''उस समय उनकी उम्र 30 बरस की थी। मैंने अपने भविष्य को मोड़ लिया। अक्सर कार्यक्षेत्र से जुड़े लोग शिक्षा में व्यापक सुधार और पढ़ाई की प्रणाली की खामियों एवं कठिनाइयों के बारे में ही चिंता करते दिखाई देते थे। मैंने तय किया कि शिक्षा क्षेत्र में अभी बहुत काम करना बाकी है। शुरुआत में मैंने 5 लाख डॉलर का ऋण लिया और इससे माउंट सोफिया, सिंगापुर में 48 अप्रवासी बच्चों के साथ एक छोटे से स्कूल की शुरुआत की। धीरे-धीरे इसका विस्तार होता चला गया और आज यह शृंखला बहुत बड़ी हो चुकी है। ग्लोबल इंटरनेशनल स्कूल में 800 शिक्षक 13,000 हजार से ज्यादा छात्रों को पढ़ाते हैं।''
उनका फाउंडेशन आज वैश्विक स्तर पर अपने विद्यालयों के जरिए छात्रों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का प्रयास कर रहा है। साथ ही इन स्कूलों में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का अध्ययन कराता है। वह प्रमुखत: तीन बातों का ध्यान रखता है: कौशल विकास, व्यक्तित्व निर्माण एवं उसका समग्र विकास। वनवासी बच्चों को भी उचित शिक्षा मिले और वे मुख्यधारा से जुड़ सकें, इसके लिए जीआईआईएस ने 2007 में गुजरात सरकार के सहयोग से महात्मा गांधी ग्लोबल इंडियन एकलव्य स्कूल शुरू किया है। शिक्षा में अप्रतिम योगदान के लिए फाउंडेशन को 60 से पुरस्कार मिल चुके हैं।
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