|
केरल-कन्नूर के रहने वाले सदानंदन मास्टर की तब माकपा के पैशाचिक गुंडों ने दोनों टांगें काट दीं थीं जब उनकी बहन की सगाई होने वाली थी। उसी समय एक दिन जब वे अपने रिश्तेदार के यहां से लौट रहे थे तभी उन्हें को कुछ लोगों ने घेर लिया और उन्हें जमीन पर गिराकर कुल्हाड़ी के वार से घुटनों तक उनके दोनों पैर काट दिए। उनके पैर वापस न जुड़ पाएं, इसलिए उन्हें जमीन से रगड़ते हुए जंगल में फेंक दिया।
केरल-कन्नूर के रहने वाले सदानंदन मास्टर की तब माकपा के पैशाचिक गुंडों ने दोनों टांगें काट दीं थीं जब उनकी बहन की सगाई होने वाली थी। उसी समय एक दिन जब वे अपने रिश्तेदार के यहां से लौट रहे थे तभी उन्हें को कुछ लोगों ने घेर लिया और उन्हें जमीन पर गिराकर कुल्हाड़ी के वार से घुटनों तक उनके दोनों पैर काट दिए। उनके पैर वापस न जुड़ पाएं, इसलिए उन्हें जमीन से रगड़ते हुए जंगल में फेंक दिया।
ल्ल आपने 22 वर्ष बाद पूर्णगणवेश पहना है, कैसा अनुभव हो रहा है?
यह बिलकुल सही है कि मुझे 22 वर्ष बाद पूर्ण गणवेश पहनने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। संघ का जो पहले का गणवेश था, उसमें हाफ पैंट के कारण मैं उसे पहन नहीं सकता था। लेकिन अब फुल पैंट के चलते मैं इसे आसानी से पहन सकता हूं। संघ के गणवेश में जो बदलाव हुआ है, इस कारण मैं अत्यधिक प्रसन्न हूं। साथ ही पूर्ण गणवेश पहकर मेरे अंदर और ज्यादा आत्मविश्वास और उत्साह आ गया है।
ल्ल रा.स्व.संघ के स्वयंसेवक की गणवेश से पहचान होती है। इतने समय तक आप इससे दूर रहे, इस बीच मन में कोई टीस या विचार आया?
बिल्कुल, संघ के स्वयंसेवक को लोग उसके गणवेश से पहचान लेते हैं। तो स्वाभाविक है कि एक स्वयंसेवक का मन खिन्न हुआ। मुझे यह भी लगा कि कुछ हानि हुई है मेरी। पर संघ कार्य कभी प्रभावित नहीं हुआ। पर अब मैं गणवेश बड़ी ही आसानी से पहन सकता हूं और स्वयंसेवकों के साथ कदम-ताल कर सकता हूं। मैंने इस बार विजयादशमी के दिन इसे पहना और कुछ दूर कदम ताल भी मिलाई।
ल्ल खासकर केरल क्षेत्र में गणवेश परिवर्तन पर स्वयंसेवकों का उत्साह कैसा दिखाई दे रहा था?
विजयादशमी के दिन जितने भी स्वयंसेवक कार्यक्रम में रहे या फिर जिन्होंने पथसंचलन में हिस्सा लिया, सभी बड़े उत्साह और आत्मविश्वास से भरे हुए थे। सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कई लोगों ने एवं अन्य व्यक्तियों ने गणवेश बदलने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
ल्ल केरल में आए दिन स्वयंसेवकों की हत्याएं हो रही हैं, वामपंथी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। लेकिन इस सबके बाद भी केरल में संघ कार्य तीव्रगति से बढ़ता चला जा रहा है?
यह ईश्वरीय कार्य है,इसलिए रुकने वाला नहीं है। संघ समाज को जोड़ने, हर वर्ग में राष्ट्रीयता का बोध कराने, देश और संस्कृति से जोड़ने का काम शाखा के माध्यम से कर रहा है। और केरल में इसका असर दिखाई दे रहा है। खासकर युवा बहुत ही ज्यादा संघ की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर माकपा का हिंसात्मक रवैया भी कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार है। यहां उनके द्वारा फैलाई जा रही असहिष्णुता चरम पर है। वे विभिन्न संस्थानों के माध्यम से यहां पर अशांति का माहौल तैयार करते हैं। ऐसा कोई सप्ताह शायद ही बीतता होगा जब संघ या हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं को निशाना न बनाया जाता हो। अब तक सैकड़ों स्वयंसेवकों पर माकपाई गुंडों द्वारा हमला किया जा चुका है। इसी सप्ताह इनके लोगों द्वारा हमारे एक और स्वयंसेवक की हत्या कर दी गई। लेकिन ऐसी हत्याओं से संघ कार्यकर्ता डरने वाले नहीं हैं। वे और जोश और उत्साह के साथ संघ कार्य में लगेंगे।
टिप्पणियाँ