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नेहरू-नून समझौता घोर राष्ट्रघातक

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Sep 28, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 28 Sep 2015 15:13:31

पाञ्चजन्यके पन्नों से

पाक के प्रति दृढ़ नीति आवश्यक

योजना में राष्ट्रीय दृष्टिकोण अपनाया जाए

बंगलौर। भारतीय जनसंघ की कार्यकारिणी ने एक प्रस्ताव द्वारा भारत सरकार से मांग की कि वह पाकिस्तान के प्रति ‘दृढ़ तथा यथार्थवादी नीति’ अपनाये।

भारत पाक सम्बन्ध विषयक उक्त प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि कार्यकारिणी का यह मत है कि भारत-पाक के बीच मनमुटाव हैं तथा यह मनोमालिन्य उस परिस्थिति की देन है जिसके आधार पर पाकिस्तान का निर्माण हुआ है। यह परिस्थिति दिनों दिन बिगड़ती ही जा रही है। इसका प्रतीक गत मार्च से पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारत की पूर्वी सीमाओं पर की जा रही गोलीबारी की अनेक घटनाएं, भारतीय ग्राम लक्ष्मीपुर, त्रिपुरा तथा तुकेरग्राम पर पाक द्वारा जबरन कब्जा है।

कार्यकारिणी का मत है कि नेहरू-नून समझौता न केवल पाक-आक्रमणों को रोकने में असफल सिद्ध हुआ है वरन् उसके कारण भारत का काफी हिस्सा पाक को व्यर्थ ही दे दिया जावेगा। इस समझौते के बाद पाकिस्तान की घटनाओं में जो परिवर्ततन हुए हैं उससे स्थिति अब अधिक बिगड़ गई है। सैनिक प्रशासक अयूब खां ने तो भारत के विरुद्ध शत्रुता खुले रूप से प्रकट कर दी है और अब वहां पाकिस्तानी युवकों में भारत के खिलाफ जेहाद की भावना फैलाने के लिए धार्मिक नेताओं का भी उपयोग किया जा रहा है। कश्मीर और बंगाल की सीमाओं पर पाकिस्तानी सैनिकों का भारी जमाव किए जाने के भी समाचार मिले हैं।

कार्यकारिणी ने जनता का ध्यान पाकिस्तान के सैनिक प्रशासकों द्वारा ली गई कथित शपथ की ओर आकर्षित किया कि ‘पूर्व तथा पश्चिम पाक को मिलाने वाला बीच का हिस्सा कश्मीर जीत लिया जाए।’ अत: कार्यकारिणी ने सरकार तथा जनता से सचेत होकर स्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।

योजना

एक अन्य प्रस्ताव द्वारा कार्यकारिणी ने सरकार से योजना के प्रति नया दृष्टिकोण अपनाने की मांग की है। उक्त प्रस्ताव में सभी प्रमुख दलों के सहयोग पर जोर देते हुए कहा गया है कि योजना के क्रियान्वयन के समय ही नहीं तो योजना के निर्माण के समय भी आर्थिक हितों का पूरा ध्यान रखा जाए।

द्वितीय योजना की सफलता-असफलता पर विचार करते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि द्वितीय योजना के निर्धारित लक्ष्य पूरे तो नहीं होंगे वरन् इससे देश की आर्थिक स्थिति पर बुरा परिणाम होगा। इस योजना के कारण देश में नई आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। अत: सरकार को चाहिए कि वह योजना पर पुनर्विचार कर उसमें आवश्यक सुधार करे। साथ ही उक्त योजना की अवधि बढ़ाए।

योजनाएं-कांग्रेस के चुनाव प्रचार का साधन

कार्यकारिणी ने इस बात पर खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि देश की योजनाएं कांग्रेस के चुनाव प्रचार का साधन मात्र रही हैं। उनमें राष्ट्रीय दृष्टिकोण का पर्याप्त अभाव रहा है। कार्यकारिणी ने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया है कि तृतीय योजना के निर्माण के समय भी कांगे्रस के महामंत्री को योजना आयोग में लिया गया है तथा योजना आयोग के उपाध्यक्ष को कांग्रेस कार्यकारिणी में लिया गया है। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि पूरी योजना एक ‘पार्टी का दिखावा’ मात्र है।

भारतीय जनसंघ अधिवेशन में   पारित प्रस्ताव्

बंगलौर। भारतीय जनसंघ के सातवें वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित कर जम्मू व कश्मीर में नागरिक स्वतंत्रताओं और शान्ति एवं व्यवस्था के मामले में बिगड़ती हुई स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है: ‘भारतीय संविधान के जम्मू-कश्मीर पर लागू न किए जाने के परिणामस्वरूप वहां के निवासी जिन अधिकारों से वंचित हो गए हैं। उनको सुरक्षित रखने तथा जम्मू कश्मीर को पूर्णरुपेण सर्वोच्च न्यायालय एवं चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत लाने की आवश्यकता का सभी राजनैतिक दल अनुभव कर रहे हैं।’प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि जनसंघ कार्यालय में जम्मू से ऐसे अनेक समाचार प्राप्त हुए हैं जिनसे पता चलता है कि सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवारों को प्रजापरिषद तथा अन्य विरोधी उम्मीदवारों द्वारा पराजित किए जाने पर भी विजयी घोषित कर दिया गया है। प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर व केंद्र सरकार से मांग की गई कि वे लोकतंत्र विरोधी कार्यों को समाप्त करने के लिए अविलम्ब प्रभावी पग उठाएं।

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