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अमरीकी राष्टÑपति बराक ओबामा अपनी पिछली भारत यात्रा से लौटते लौटते भारत पर असहिष्णुता की तोहमत लगा गए थे। लेकिन इस बार के अमरीकी राष्टपति चुनाव में यह मुद्दा जोर-शोर से उठ रहा है कि क्या कोई मुस्लिम अमरीका का राष्टÑपति बन सकता है? इस मुद्दे पर राष्टÑपति पद के संभावित उम्मीदवीरों के बीच बहस छिड़ी हुई है। इस राष्टÑपति चुनाव में मुस्लिम, इस्लाम, इस्लामी उग्रवाद भी प्रमुख मुद्दे बनकर उभरे हैं। खुद ओबामा के ईसाई होने पर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में अमरीकी राष्टÑपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों में से एक बेन कारसन ने यह कहकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया कि कोई मुस्लिम अमरीका का राष्टÑपति बनने के काबिल नहीं है, क्योंकि उनका मजहब अमरीकी सिद्धांतों के अनुकूल नहीं है।
उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि ‘मैं किसी मुस्लिम को यहां राष्टÑपति बनाने के पक्ष में नहीं हूं।’ इस बयान से चुनाव प्रचार अभियान में बवाल पैदा हो गया है। राष्टÑपति पद के कई उम्मीदवारों ने तो इस टिप्पणी पर कड़ा एतराज जताया, लेकिन बहुत से ऐसे थे जिन्होंने काल्पनिक सवाल बताकर इससे कन्नी काट ली। लेकिन बाकी कई उम्मीदवारों ने उग्रवादी मुस्लिम और अमरीकी संविधान से इस्लाम की असहमति के मुद्दे को महत्वपूर्ण माना। इस बीच अमरीका के सबसे बड़े ‘मुस्लिम एडवोकेसी ग्रुप’ ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके कारसन से अपील की है कि वे 2016 के राष्टÑपति पद के चुनाव से हट जाएं, उनके विचार अमरीकी संविधान के अनुकूल नहीं हैं, क्योंकि संविधान में कहा गया है कि अमरीका में किसी पद के लिए किसी की पांथिक जांच की जरूरत नहीं होगी।
अपनी टिप्पणी से राजनीतिक बवाल मचने पर एक साक्षात्कार में कारसन कुछ चौकस होते दिखे। उन्होंने कहा कि वे किसी उदारवादी मुस्लिम के बारे में सोच सकते हैं जो अपने मजहब की प्रभावी ढंग से निंदा करे। उन्होंने कहा-‘यदि कोई मुस्लिम अपनी मजहबी मान्यताओं को ठुकराने को तैयार हो और हमारे संविधान को मजहब से ऊपर रखने और हमारी जीवन पद्धति को स्वीकार करने को तैयार हो तो मैं उसका समर्थन करना चाहूंगा।’ लेकिन उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं अमरीका के राष्टÑपति पद के लिए ऐसे किसी मुस्लिम का समर्थन नहीं करूंगा जिसने इस्लाम के केंद्रीय सिद्धांत शरिया को त्यागा न हो।’
लेकिन वे तब भी अपने उस बयान पर कायम रहे जिसमें उन्होंने कहा था कि यह देश किसी ऐसे आदमी को नहीं चुन सकता जिसका मत संविधान को लागू करने के उसके कर्तव्य में हस्तक्षेप करे। उन्होंने कहा कि उनका विश्वास है कि इस्लाम अमरीका के सिद्धांतों और संविधान के अनुकूल नहीं है। ‘मैं जानता हूं कि कई शांतिपूर्ण मुस्लिम हैं जो इस सिद्धांत को नहीं मानते लेकिन जब तक वे इस सिद्धांत को पूरी तरह छोड़ने की बात नहीं करते तब तक मैं राष्टÑपति पद के लिए किसी मुस्लिम उम्मीदवार की हिमायत नहीं कर सकता।’
दरअसल यह विवाद एक और विवाद की प्रतिक्रिया में पैदा हुआ था। करिश्माई व्यवसायी और रिपब्लिकन पार्टी के राष्टÑपति पद के उम्मीदवार बनने को उत्सुक डोनाल्ड ट्रंप से चुनाव अभियान के दौरान एक मतदाता ने यह कहा था कि ‘हमारे देश की एक समस्या हैं मुस्लिम और राष्टÑपति बराक ओबामा मुस्लिम हैं।’ इसके जवाब में ट्रंप को इसका खंडन करना चाहिए था कि ओबामा मुस्लिम नहीं हैं। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिस पर काफी विवाद खड़ा हुआ। लेकिन इसके जवाब में ट्रंप ने जो कहा वह विवाद पैदा करने वाला ही था।
इस बारे में एक टीवी चैनल द्वारा सवाल पूछे जाने पर ट्रंप ने कहा,‘उग्रवादी मुसलमान अमरीका के लिए समस्या हैं। भले ही सारे मुसलमान समस्या न हों। आखिरकार वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को स्वीडन के नागरिकों ने नहीं उड़ाया था।’ उन्होंने कहा,‘बहुत से मुस्लिम मेरे दोस्त हैं, लेकिन इस्लाम के उग्रवादी तत्व ही आतंकवादी हमलों के दोषी होते हैं।’
कारसन के बयान पर ‘मुस्लिम एडवोकेसी ग्रुप’ काफी नाराज है। वह केवल उनसे चुनाव से हटने की अपील करके ही चुप नहीं रहा, उसने बयान जारी कर कहा कि मुस्लिम नहीं, कारसन संविधान के प्रतिकूल हैं। संविधान ने कहा है कि किसी तरह की मजहबी परीक्षा नहीं होगी। लेकिन इस समूह के बयान के बाद कारसन के बिजनेस मैनेजर विलियम्स ने बयान जारी कर कहा कि कारसन किसी की भावना को आहत नहीं करना चाहते, लेकिन अमरीका के प्रति अपने प्रेम के कारण वे इस्लाम के बारे में इस नतीजे पर पहुंचे हैं। यदि सारी दुनिया की तरफ देखें तो दिखाई देता है कि इस्लाम किस तरह से प्रदूषित हो गया है। इस्लाम और शरिया कानून में कई विध्वंसक तत्व उभर आए हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि रिपब्लिकन पार्टी के राष्टÑपति पद के तमाम उम्मीदवारों में सबसे आगे चल रहे ट्रंप ने कारसन द्वारा मुसलमानों के बारे में की गई टिप्पणी की निंदा करने से इनकार कर दिया। कारसन की इस टिप्पणी का उनकी लोकप्रियता पर अच्छा असर पड़ा है। बयान के बाद के 24 घंटों में उनके चुनाव अभियान के लिए हो रहे धन संग्रह में तेजी आ गई। उनके एक लाख फेसबुक दोस्त बढ़े। राष्टÑपति पद के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवारों की भीड़ में कारसन डोनाल्ड टंÑप के बाद सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार बन गए हैं।
डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्टÑपति पद के उम्मीदवारों में से एक और लूसियाना के गवर्नर बॉबी जिंदल ने इस सवाल का अपनी शैली में जवाब दिया कि क्या मुस्लिम अमरीका का राष्टÑपति हो सकता है। उन्होंने कहा-‘यह काल्पनिक सवाल है, लेकिन मीडिया यह खेल खेलना ही चाहता है तो मेरा जवाब यह है कि यदि आपको ऐसा मुस्लिम उम्मीदवार मिले जो रिपब्लिकन हो, जो पांथिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष करे, जो अमरीका की यहूदी-ईसाई परंपरा का आदर करे, जो आईएसआईएस और उग्रवादी इस्लाम को नष्ट करने के लिए प्रतिबद्ध हो, जो महिलाओं को दूसरे दर्जे की नागरिक मानने की संस्कृति का विरोध करे और जो बाइबिल पर हाथ रखकर संविधान की रक्षा करने की कसम खाए तब मैं उसे वोट देने को तैयार हूं।’
यहां हम बता दें कि बॉबी जिंदल भारतीय मूल के हैं और उन्होंने ईसाई मत अपनाया हुआ है। वे लंबे समय से अमरीका में उग्रपंथी मुसलमानों के खिलाफ जिहाद छेड़े हुए हैं। उनका कहना है कि यदि अमरीका ने रेडिकल इस्लाम की चुनौती को गंभीरता से नहीं लिया तो निकट भविष्य में यहां भी ‘नो गो जोन’ बन जाएंगे।
वे मुस्लिम आप्रवासियों को अमरीका की नागरिकता दिए जाने के खिलाफ हैं। वे कहते हैं-‘हमने पांथिक स्वतंत्रता के सिद्धांत के आधार पर अमरीका का निर्माण किया है। हम पंथ के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं करते और निश्चित ही कुछ ऐसे मुस्लिम हैं जो देशभक्त हैं। लेकिन यह भी सही है कि यहां उग्रवादी मुसलमान भी हैं जो महिलाओं को दूसरे दर्जे की नागरिक बनाना चाहते हैं। फिर ऐसे मुस्लिम भी हैं जो उनको मिली स्वतंत्रताओं का इस्तेमाल दूसरों को मिली स्वतंत्रताओं को खत्म करने के लिए करना चाहते हैं। ऐसे लोगों को अपने देश में बसने की अनुमति देने की कोई तुक नहीं है। एक सवाल मैं अक्सर पूछता हूं कि क्या हम किसी आईएसआईएस के सदस्य को अमरीका में आने देंगे? हम उन लोगों को क्यों आने दें जो अमरीका आकर अमरीकियों को मारना चाहते हैं?’
वे कहते हैं-‘अमरीका में हम कहते हैं कि आपको अपनी आस्था पर चलने का अधिकार तब तक है जब तक आप दूसरों को नुक्सान नहीं पहुंचाते। हम पांथिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संगठन की स्वतंत्रता पर विश्वास करते हैं। लेकिन इससे आपको यह कहने का अधिकार नहीं मिल सकता कि महिलाएं दूसरे दर्जे की नागरिक होनी चाहिए। आप को यह कहने का अधिकार नहीं है कि हमने आपको जो स्वतंत्रता दी है वह दूसरों को नहीं मिलनी चाहिए। यूरोप में ऐसा हो रहा है। वहां दूसरी और तीसरी पीढ़ी के आप्रवासी हैं, जो समाज के साथ एकरस होना नहीं चाहते, वे स्वयं को समाज का हिस्सा मानते ही नहीं। हम ऐसे लोगों को चाहते हैं जो अमरीकी बनना चाहते हैं। हम ऐसे लोगों को नहीं चाहते जो इस्लामवादी हों, उग्रवादी और आतंकवादी इस्लाम पर विश्वास करते हों। हम ऐसे लोगों को नहीं चाहते जो दूसरों की स्वतंत्रता का हनन करें। अगर हमने इस पर बल नहीं दिया तो हमारा हाल भी यूरोप जैसा हो जाएगा। यह खतरनाक होगा। इसलिए एक चुस्त आप्रवासी नीति की जरूरत है जो देश को मजबूत बनाए।’
चौदह साल पहले अमरीका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकवादी हमला हुआ था। इसके कारण अमरीका इस्लाम और उग्रवादी इस्लाम को लेकर जागा था। लेकिन पहली बार यह बात एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी है कि इस्लाम के सिद्धांत लोकतांत्रिक अमरीका के संवैधानिक मूल्यों के अनुकूल नहीं हैं। सतीश पेडणेकर
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