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आवरण कथा 'इस दर्द की दवा नहीं' से प्रतीत होता है कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के दर्द से कांग्रेस उबर नहीं पा रही है। रह-रह यह दर्द उसे सता रहा है। कांग्रेस के अन्दर से उसके खिलाफ उठ रही आवाजें बता रही हैं कि कांग्रेस के अन्दर क्या चल रहा है। परिवारवाद के जाल में उलझी कांग्रेस पार्टी का अपने ही लोगों द्वारा विरोध बताता है कि पार्टी लगभग टूट चुकी है। दबी जुबान से उनके अपने ही लोग पार्टी में गांधी परिवार के एकछत्र राज को अब पसंद नहीं कर रहे हैं और कहने लगे हैं कि इस परिवार का राज चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब कांग्रेस का वजूद ही समाप्त हो जायेगा।
—कमलेश कुमार ओझा,
ओझौली (बिहार)
मानवता के दुश्मन
आज जिस प्रकार आइएसआइएस के आतंकी लोगों को निशाना बनाकर उनकी बेरहमी से हत्या कर रहे हैं, वह बताता है कि ये आतंकी किसी व्यक्ति या मत-पंथ के दुश्मन नहीं हैं बल्कि यह सम्पूर्ण मानवता के दुश्मन हैं। यह आतंक किसी एक देश के लिए ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरा है। सभी देशों को चाहिए कि इस प्रकार की आतंकी गतिविधियोंके विरुद्ध एक होकर इसके खिलाफ लड़ें।
—रूपसिंह सूर्यवंशी,
निम्बाहेड़ा,चित्तौड़गढ़(राज.)
सराहनीय कार्य
न्याय के मामले में जातीय संगठनों का हस्तक्षेप न केवल गैरकानूनी है, बल्कि अन्यायपूर्ण है। सर्वोच्च न्यायालय ने फतवों को लेकर जो कठोर रवैया अपनाया है,उसमें जहां कट्टरता और उन्माद पर अंकुश लगेगा वहीं उन असहाय और कमजोर लोगों को नैतिक बल मिलेगा जो इन फतवों के कारण शोषण का शिकार हो जाते हैं।
—मनोहर मंजुल,प.निमाड़(म.प्र.)
नक्सल गतिविधियों पर लगे अंकुश
वर्षों से देश के कई राज्यों में नक्सलवादियों ने आतंक कायम कर रखा है। वे जानबूझकर देश विरोधी कार्यों को करते हैं,जिससे देश को हानि पहुंचे। आज जरूरत है देश के ऐसे दुश्मनों को समाप्त करने की, क्योंकि जिस उद्देश्य को लेकर नक्सल आन्दोलन प्रारम्भ हुआ था वह आज पूरी तरह भटक चुका है। अब यह आन्दोलन जनता के हित में न होकर देश के विरोध में हो चुका है। ऐसी परिस्थिति में केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह इस आतंक को समाप्त करके राज्यों को इसके आतंक से मुक्त कराए।
—गोविन्द दास अग्रवाल,
गांधी चौक(म.प्र.)
गंगा की दशा पर चिंता
'जहर घोलकर अमृत की आस' लेख कोली समाज को अत्यंत पसंद आया। गंगा हमारे लिए मात्र नदी ही नहीं वरन भारतीय संस्कृति की पहचान है। जहां से इसका उद्गम होता है और जहां सागर में इसका मिलन होता है उस सम्पूर्ण क्षेत्र में यह एक प्रकार से जीवनदायिनी है। इसके अन्तर्गत आने वाला एक बड़ा भू-भाग देश को भोजन की गारंटी देता है। लेकिन इसके बाद भी लोगों द्वारा इसकी उपयोगिता समझ में नहीं आती है। गंगा को लोगों द्वारा इतना दूषित कर दिया गया है कि उसका जल आचमन के लायक तक नहीं रहा। आज देश के लोगों को समझना होगा कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है अपितु वह जीवनदायिनी है।
—खुशाल सिंह कोली,
फतेहपुर सीकरी,आगरा(उ.प्र.)
इस देश में अगर भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ना है तो कड़ा कानून लाना होगा, जो लोगों के मन में डर पैदा कर दे। जब तक यह डर नहीं पैदा होगा तब तक भ्रष्टाचार को समाप्त करना मुश्किल है। हमारे संविधान में कड़े कानून का अभाव है,जिसका फायदा देश के नेता और नौकरशाह उठाते रहते हैं और देश को लूटते रहते हैं। इस सबके बाद अगर पकड़े भी जाते हैं तो जांच इतनी लंबी होती है कि अधिकतर नेता और नौकरशाह लगभग इस जांच से बच ही निकलते हैं। ऐसे में सोचा जा सकता है कि भ्रष्टाचार कैसे समाप्त होगा। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह कुछ कानूनों में संशोधन करे, जिससे भ्रष्टाचार करने वालों को कड़ा दण्ड दिया जा सके। ताकि लोगों में संदेश जाये कि अगर भ्रष्टाचार किया तो कड़ा दण्ड मिलेगा और समाज में छवि धूमिल होगी वह अलग ।
—अशोक कुमार मोदनवाल,
जौनपुर(उ.प्र.)
भारत भी सबक ले!
वर्तमान समय में चीन जिस प्रकार मतान्तरण पर सख्ती दिखा रहा है,उससे भारत को भी सबक लेना चाहिए। चीन सरकार मतान्तरण करने वालों पर पैनी नजर रख रही है और जो भी ऐसे कायार्ें में लिप्त पाया जा रहा है, उनको सजा दी जा रही है। चीन ने कई चर्च और मस्जिदों को तहस-नहस करके सम्पूर्ण दुनिया को एक संदेश दिया है कि वह अपने यहां मतान्तरण को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा। क्योंकि चीन समझ गया है कि ये कट्टरपंथी आने वाले समय में उसके लिए दु:खदायी साबित होंगे। भारत को भी चीन से प्रेरणा लेनी चाहिए कि वह भी देश में अनेक स्थानों पर हो रहे मतान्तरण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोके। साथ ही कहीं भी इस प्रकार की कोई भी गतिविधि प्रकाश में आती है तो उस पर तत्काल कार्रवाई करे। तभी भारत भी इनके चंगुल से बच पाएगा।
—राधा मोहन सिंह,
शिवपुरी,इलाहाबाद(उ.प्र.)
इस ओर भी हो ध्यान
आज देश में गायों की निर्मम हत्या की जा रही है। देश का ऐसा कोई भी स्थान नहीं है, जहां आज गोतस्करी नहीं की जा रही हो। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह इस दिशा में कठोर कानून बनाए जो गोतस्करों को कड़ी सजा दे,तभी गोतस्करी पर लगाम लगेगी। साथ ही सरकार को गोचर भूमि की ओर भी ध्यान देना होगा। क्योंकि देश में आज गोचर भूमि का अभाव होता जा रहा है। तमाम सरकारों द्वारा ठोस समाधान हेतु इस ओर कोई कदम ही नहीं उठाया गया, जिसका परिणाम हमारे सामने है। आज सड़कों पर हमारा गोवंश भोजन के अभाव में सड़क दर सड़क फिर रहा है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह गोसंवर्द्धन के लिए गोचर भूमि पर भी ध्यान दे जिससे गोवंश को भोजन के कारण सड़क दर सड़क न भटकना पड़े।
—गोपाल कृष्ण पण्ड्या,
नागदा,उज्जैन(म.प्र.)
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