|
दक्षिणी दिल्ली में रामकृष्णपुरम् के सेक्टर-6 स्थित विश्व हिन्दू परिषद् का केन्द्रीय कार्यालय आज दुनियाभर के उन हिन्दुओं के लिए एक तीर्थ से कम नहीं है, जो भारतभूमि को मां मानते हैं। इन्हीं हिन्दुओं के अर्पण, समर्पण और अपने तपस्वी कार्यकर्ताओं के बल पर विहिप आज अपनी 50वीं वर्षगांठ अर्थात् स्वर्ण जयन्ती मना रही है। इन 50 वषार्ें में विहिप ने भारत सहित दुनिया के कई देशों में हिन्दुत्व का वैचारिक शंखनाद किया है और हिन्दुत्व के प्रति स्वाभिमान जगाने का वन्दनीय कार्य किया है। कोई स्वाभिमानी हिन्दू न्यूयार्क, हेग, काठमाण्डू, फ्रेंकफर्ट आदि स्थानों के हिन्दू सम्मेलनों और गो रक्षा, अस्पृश्यता निवारण, श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति जैसे आन्दोलनों को कैसे भूल सकता है।
अपने प्रतीक चिन्ह वट वृक्ष की भांति ही विश्व हिन्दू परिषद् अपने संरक्षक श्री अशोक सिंहल के मार्गदर्शन में आज विश्व-व्यापी विराट वट वृक्ष का रूप ले चुकी है। दिनों-दिन इसकी शाखाएं दसों दिशाओं में फैलती जा रही हैं और उनके माध्यम से हिन्दू समाज के विभिन्न वगोंर् में समरसता व सद्भावना का विस्तार हो रहा है। लेकिन इसके साथ ही मार्ग में बाधा बनीं वैश्विक चुनौतियों का सामना भी करना है। हिन्दू पहचान को संजोए रखकर आगे बढ़ना है। स्वर्ण जयन्ती के इस पुण्य अवसर पर विहिप की 50 वर्ष की अनूठी यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर समग्र दृष्टिकोण डालते हुए प्रस्तुत है एक विशेष आयोजन।
टिप्पणियाँ