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संस्कृति बचाने को बनेगा कानून
धोती पहने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को क्लब में प्रवेश करने से रोकने के मामले के प्रकाश में आने के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने कहा है कि तमिल संस्कृति को बचाने के लिए सरकार जल्द ही कानून बनाएगी। विधानसभा के इसी सत्र में ऐसा कानून पास किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने तमिल संस्कृति को अपमानित करने वाले क्लब के लाइसेंस की समीक्षा करने की बात कही है। यदि क्लब की गलती पाई गई तो उसका लाइसेंस भी निरस्त किया जा सकता है।
कुछ दिनों पहले धोती पहने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को क्लब में प्रवेश नहीं करने देने को जयललिता ने अत्याचार करार दिया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन को जल्द ही नोटिस भेजा जाएगा। इस घटना की डीएमके और कांग्रेस समेत राज्य के अन्य दलों ने निंदा की थी। साथ ही सरकार से इस पर जवाब मांगा था। संसदीय कार्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता वेंकैय्या नायडू ने कहा कि यह फैसला स्वागत योग्य है। यह विडंबना है कि अभी भी क्लबों में ब्रिटिश काल के नियम लागू हैं। तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में धोती एक सामान्य पहनावा है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इसका स्वागत किया है। उन्होंने बताया कि उन्हें भी कुर्ता पहनने के चलते चेन्नई में दो बार क्लब में प्रवेश करने से रोका गया था। -प्रतिनिधि
कैग के कटघरे में बिहार सरकार
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बिहार सरकार के वित्तीय प्रबंधन और कई विभागों के कामकाज को कटघरे में खड़ा किया है। कैग की रपट में सरकार के कई विभागों के कार्यकलापों पर उंगलियां उठाई गई हैं। रपट के अनुसार धान के बदले चावल की आपूर्ति नहीं होने से 433.94 करोड़ रुपए की हानि हुई। ऐसे अनेक मामलों की चर्चा रपट में की गई है।
इन मामलों में नियमों की अनदेखी सामने आई है। रपट में सर्वशिक्षा अभियान में वित्तीय प्रबंधन के अभाव व अविश्वसनीय आंकड़ों के आधार पर योजना बनाने की बात भी की गई है। सबके लिए शिक्षा सुलभ कराने के उद्देश्य से शुरू की गई सर्वशिक्षा अभियान योजना के संबंध में कैग की रपट में गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। अभियान के दस्तावेजों में दर्ज आंकड़े जमीनी हकीकत से दूर नजर आते हैं। कई जिलों में बच्चों की कुल जनसंख्या से ज्यादा बच्चों को विद्यालयों में नामांकित दिखाया गया है। महालेखाकार पीके सिंह के अनुसार फसल बीमा योजना में बोई गई फसल के अनुसार ही बीमा राशि का भुगतान किया जाना था। जबकि वास्तव में बोई गई फसल के क्षेत्र से ज्यादा का भुगतान किया गया। इससे सरकार को 152 करोड़ का नुकसान हुआ है। इसी तरह धान अधिप्राप्ति में भी सरकार को 433 करोड़ राजस्व की क्षति हुई। इसके अलावा रपट में और भी कई अन्य विभागों व बंद पड़े नलकूपों के बिजली भुगतान की तरफ भी इशारा किया गया है। प्रतिनिधि
हिंदी के बाद संस्कृत पर भी राजनीति
तमिलनाडु में हिंदी के विवाद के बाद अब संस्कृत पर भी सियासी तलवारें खिंच गई हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के सर्कुलर पर भाजपा के सहयोगी दल एमडीएमके ने रोष व्यक्त किया है। उसके नेता वाइको ने केंद्र पर संस्कृत थोपने का आरोप लगाया है।
ये मामला सीबीएसई के उस सर्कुलर के बाद शुरू हुआ। जिसमें संबद्ध विद्यालयों को सात से 13 अगस्त तक संस्कृत सप्ताह मनाने का निर्देश दिया गया है। एमडीएमके ने इस सर्कुलर को वापस लेने की मांग की है। तमिलनाडु में भाजपा की अन्य सहयोगी पार्टी पीएमके ने भी इस पर विरोध जताया है। वास्तव में सीबीएसई का तर्क है कि सकुर्लर का उद्देश्य यह है इस भाषा को लोकप्रिय बनाया जा सके और लोगों की संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ सके। एमडीएमके महासचिव वाइको ने कहा कि सीबीएसई के निर्देश में संस्कृत को सभी भाषाओं की माता कहा गया है। यह विविध पृष्ठभूमि वाले छात्रों के हृदय में जहरीले बीज बोने का षड्यंत्र है और संस्कृत को दूसरे भाषा भाषियों पर थोपने का प्रयास करना गलत है। प्रतिनिधि
माओवादी नेता सब्यसाची पांडा गिरफ्तार
ओडिशा में माओवादी नेता सब्यसाची पांडा को गिरफ्तार कर लिया गया है। सब्यसाची को गंजम जिला स्थित बहरमपुर के बड़ा बाजार से पकड़ा गया। पुलिस ने बताया कि उसके पास से बरामद हथियारों को जब्त कर लिया गया है। उसकी गिरफ्तारी को लेकर सरकार ने उस पर 20 लाख रुपए का इनाम घोषित किया हुआ था।
पुलिस के हत्थे चढ़े सब्यसाची पर हत्या, अपहरण जैसे जघन्य अपराधों के दर्जनों मामले दर्ज हैं। अगस्त 2008 में उसने विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ कार्यकर्ता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती व चार अन्य लोगों की कंधमाल में हत्या कर दी थी। मार्च, 2012 में उसने इटली के दो नागरिकों का अपहरण कर लिया था। पुलिस के हत्थे चढ़ने से पहले वह
सुनील नाम से मीडियाकर्मी बनकर बातचीत करता था। पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार किया तो वह बड़ा बाजार इलाके में छिपकर रहने के लिए जगह तलाश कर रहा था। पुलिस के एक आलाअधिकारी ने बताया कि मानसून के दौरान जंगल में छिपकर रहना मुश्किल होता है। पुलिस की कई टीमें सब्यसाची की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थीं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान सब्यसाची का सहयोग कम हो गया था। वह ओडिशा के निश्चित इलाके गंजम, कंधमाल, गजपति और रायगढ़ा जिले में ही अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। पुलिस उस पर लगातार दबाव बनाए हुए थी। उसके कुछ साथी पकड़े जा चुके थे और कई ने आत्मसमर्पण कर दिया था।
जनवरी, 2010 में पुलिस ने सब्यसाची की पत्नी शुभाश्री अका मिली को माओवादियों का सहयोग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पूर्व पुलिस महानिदेशक गोपाल नंदा ने सब्यसाची की गिरफ्तारी को बड़ी सफलता बताया है। हालांकि इस बात से उन्होंने इंकार किया है कि सब्यसाची की गिरफ्तारी से राज्य में जारी माओवादी गतिविधियों पर कुछ हद तक अंकुश लग पाएगा। दरअसल वर्तमान में ओडिशा में होने वाली माओवादी गतिविधियों के पीछे जो लोग हैं, वे आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ से हैं।
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