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तेल से कमाए दीनारों और अमरीका के भेजे हथियारों ने पश्चिम एशिया के तमाम मुस्लिम देशों में आज मार-काट का ऐसा मंजर खड़ा कर दिया है कि दुनिया निरीह-निर्दोष लोगों को जिहादी हिंसा के खूनी पंजों में जाते हुए देखने को मजबूर है। इजिप्ट, सीरिया, लेबनान, इराक में जिस तरह के हालात बने हैं उनके पीछे अमरीका की अपने हितों के लिए दूसरे मुल्कों के घरेलू मामलों में दखल देने और अपनी दादागिरी चलाने की रणनीति होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। सऊदी अरब को अपने पाले में करके शिया बहुल इराक में सीरिया से पहंुचे उद्दंड लड़ाकों को कभी घुड़काने तो कभी मुलम्मेदार भाषा में झिड़कने की वाशिंग्टन की राजनीति किसको मालूम नहीं है? फिलिस्तीन, लेबनान, सीरिया, इजिप्ट और इराक में 'खलीफा' की खलीफाई का स्वांग रचकर मजहबी उन्माद को अपने पाले में लेने की गरज से आईएसआईएस के नाम से उठ खड़े हुए लड़ाकों का एक बड़े भू भाग पर कब्जा करने को आतुर दिखना सभ्य समाज के लिए खतरे की घंटी मानी जानी चाहिए। खासकर तब, जब उन उन्मादी जिहादियों के हाथ सद्दाम के जमाए परमाणु बमों तक पहंुचने की खबरें मिल रही हों। 'अरब का वसंत' जिस उठापटक को जन्मा गया है उसके पूरे बेबिलोनियाई क्षेत्र में पतझड़ लाने का खतरा साफ मंडरा रहा है। बात सिर्फ शिया-सुन्नी तक जाकर नहीं ठहर जाएगी। 'खलीफा का राज' मजहबी हिंसा से पूरे पश्चिम एशिया को लीलने की इच्छा का ही एक नाम है।
नई इस्लामी खिलाफत: ऐलान और असर
पाञ्चजन्य और आर्गनाइजर द्वारा 14 जुलाई 2014 को मध्य प्रदेश भवन, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में 'इस्लामी खिलाफत और इसके प्रभाव' विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संवाद में इराक में जारी खून-खराबे और इस्लाम सहित जिहाद पर व्यापक चर्चा हुई। चार सत्रों में चली इस गोष्ठी में अनेक शिक्षाविद्, शोधार्थी, पूर्व नौकरशाह, रक्षाकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। गोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए विशेषज्ञों ने इराक में जारी संघर्ष को पूरे विश्व के लिए संवेदनशील एवं चिंताजनक बताते हुए स्थानीय स्तर पर इसका तत्काल ठोस समाधान ढूंढने की बात कही और इस नई खिलाफत को विश्व शान्ति में बाधक बताया।
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द्वितीय सत्र –नई खिलाफत, पश्चिम एशिया पर इसका प्रभाव
तृतीय सत्र – इस्लामी विश्व में व्याप्त संघर्ष और वैश्विक प्रभाव
चतुर्थ सत्र – भारत पर प्रभाव: मुद्दे, नीतियां और चुनौतियां
आवरण कथा से संबंधित |
कब चेतेगा सभ्य समाज? |
इराक संकट और सुन्नी आईएसआईएस |
फिरकों में बड़े टकराव की दस्तक |
जिहाद के पीछे पूंजीवाद |
इराकी बवंडर के भारत के लिए मायने |
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