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21 वर्षीय मनीषा मोहन ने तैयार किया सोसायटी हार्नेसिंग इक्विपेंट (चंडीगढ़)
16 दिसम्बर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना जिस समय देशभर में चर्चा का विषय बनी और कानून बदलने को लेकर आंदोलन चल रहा था, उस समय मनीषा को घटना की जानकारी अपने भाई से मिली थी। ठीक उसी समय इस छात्रा ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि अब देश में मोमबत्तियां जलाने से कुछ नहीं होगा और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ न कुछ नई खोज करनी है।
उन्होंने बताया कि बेंगलुरू में एसआरएम विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान भी छात्राओं को शाम 7 बजे के बाद लैब में प्रवेश करने नहीं दिया जाता था। यह बात भी उनके दिमाग में घर कर चुकी थी और वह यह भी जानती थी कि हर समय, हर स्थान पर महिला या लड़की को पुलिसकर्मी सुरक्षा देने में सक्षम नहीं है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए उन्होंने 'शी' (सोसायटी हार्नेसिंग इक्विपमेंट) तैयार कर दिया, जो कि जीएसएम और जीपीएस की तकनीक से भी युक्त है। यह महिलाओं की ब्रा के साथ पहने जाने वाला उपकरण है और उनकी जेब से बाहर भी नहीं है। इसे पहनने वाली महिला के साथ यदि कोई शारीरिक छेड़छाड़ करने का प्रयास करेगा तो अचानक से छेड़छाड़ करने वाले को बिजली का झटका लगेगा। साथ ही परिवार के सदस्यों जैसे पिता, भाई या पति के पास एसएमएस पहंुच जाएगा कि वह संकट में है और एक नंबर फोन की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। इसके माध्यम से पीडि़त अपनी स्थिति तुरंत बता सकेगी। साथ ही इसमें रिकॉर्डिंग की सुविधा भी रहेगी जिससे आरोपी की हरकत कैमरे में कैद हो जाएगी और वह कानून के शिकंजे से बच नहीं सकेगा। मनीषा ने बताया कि रिकॉर्डिंग से न केवल छेड़छाड़ करने वाला, बल्कि यदि कोई महिला या लड़की किसी पर झूठा आरोप लगाती है तो उसका भी पर्दाफाश हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस उपकरण का मूल्य अभी तय नहीं किया गया है, लेकिन आम व्यक्ति भी इसे आसानी से खरीद सकेगा। खास बात यह है कि 'शी' वाटरपू्रफ है और पानी पड़ने से खराब नहीं होगा और वर्ष 2013 में इसका पेटेन्ट हो चुका है। मनीषा को सृष्टि टेकपीडिया गाधिंयन यंग टेक्नोलॉजीकल इनोवेशन अवार्ड भी मिल चुका है। मनीषा का मानना है कि देश में मध्यम व निम्न वर्ग की महिलाओं को सबसे ज्यादा सुरक्षा की आवश्यकता है और यह मशीन काफी हद तक उनकी सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने मंे सार्थक रहेगी और जल्द ही बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। ल्ल
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