जहर पर सरकारी मुहर
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भगवती प्रकाश शर्मा
जैव रूपांतरित ( जी. एम.) फसलों के परीक्षण करने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका विचाराधीन
न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा किए बिना पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोइली ने फसलों पर परीक्षण करने की अनुमति दी
12 नवंबर 2012 को ऑस्टे्रलिया के वैज्ञानिकों ने ह्यफ्रेन्केनह्ण नाम जैव रूपांतरित गेहूं के बारे में चेतावनी देते हुए कहा था कि इसे खाने से लीवर फेलियर तक हो सकता है
देश में जैव रूपांतरित फसलों यानी जेनेटिकली मॉडिफाइड (जी़ एम़) फसलों के परीक्षण के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका विचाराधीन है। इसके बाद भी पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोइली ने इनके परीक्षण की अनुमति देकर देश के पारिस्थितिकी तंत्र के सामने एक गंभीर संकट उत्पन्न कर दिया है। इस संबंध में याचिका पर की जाने वाली सुनवाई के क्रम में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने छह विशेषज्ञों की एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति बनाई थी।
जिसमें से पांच विशेषज्ञों ने परीक्षणों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के लिए अपना मत दिया था, केवल एक विशेषज्ञ परीक्षण की अनुमति दिए जाने के पक्ष में थे। इन सब बातों को नजरअंदाज करके, देश के संपूर्ण वानस्पतिक जगत, उसके जैव द्रव्य और जीव सृष्टि के सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के लिये गंभीर चुनौती उत्पन्न करने वाले इन परीक्षणों पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के कारण बताओ नोटिस की भी अनदेखी करके,आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले परीक्षण किए जाने की अनुमति देना अत्यंत संदेहास्पद है।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त तकनीकी विशेषज्ञ समिति के विशेषज्ञों में से केवल एक विशेषज्ञ ह्यआर. एस. परोदाह्ण के विमत के कारण ही न्यायालय ने परीक्षणों पर तत्काल रोक लगाने की जगह, इसके लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। इसका उत्तर देकर न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करने की बजाए मोइली द्वारा इन घातक परीक्षणों को अनुमति देने के पीछे, ऐसी फसलों से होने वाले अरबों रुपये के कारोबार के लिए लालायित विदेशी कंपनियों का दबाव ही दृष्टिगोचर होता है।
क्या हैं जी. एम. फसलें ?
किसी फसल में कोई इच्छित गुण प्रकट करने के लिए, उस वांछित गुण से युक्त पौधे या जंतु उस गुण के कारक वंशानु या जीन को प्रत्यारोपित करने पर उस बाहरी वंशानुयुक्त नई फसल प्रजाति को जैव रूपांतरित या जी. एम. फसल कहते हैं। उदाहरण के लिये टमाटर को पाले से बचाने के लिये टमाटर की फसल में, बर्फीले समुद्र में पाई जानेवाली मछली को बर्फ की ठंडक से बचाने वाली जीन या वंशानु को प्रत्यारोपित करके, पाला रोधी (फ्रोस्ट रेसिस्टेंट) टमाटर विकसित किया गया है। इसी प्रकार कपास के डोडा कीट को मारने में सक्षम विष उत्पादक बैक्टीरिया ह्यबेसिलस थोरेंजियेंसिसह्ण को इस विष के कारक वंशानु या जीन को कपास में प्रत्यारोपित करके ऐसा बी़ टी. कपास विकसित किया है, जिससे उस कपास में उस कीट के प्रतिरोध की आंशिक सामर्थ्य आ गई है। वैसे यह अलग बात है कि अब वह डोडा कीट ऐसे ह्यसुपर कीटह्ण में संवर्द्धित हो गया है कि वह अब बी़ टी. कपास के उस विष को भी सह लेता है। हाल में ऐसी कीटरोधी या खरपतवार नाशक रोधी विशेषताओं से युक्त सैकड़ों जैव रूपांतरित फसल प्रजातियां जैसे मक्का, �
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